यह फिल्म बिहार के लोकप्रिय लोक-कलाकार रहे भिखारी ठाकुर की याद दिलाती है, जिनकी भले ही हत्या नहीं की गई, लेकिन उनके द्वारा इजाद किए गए ‘बिदेसिया नाच’ को ‘लौंडा नाच’ कहकर आज भी उपेक्षित किया जाता है