सूबे में विधानसभा चुनाव के सात-आठ महीने रह गए हैं। ऐसे में राजेश कुमार राम के हाथ में नेतृत्व और कन्हैया को बिहार में आगे रखने का फैसला भी देर से लिया गया फैसला है। जिलों में पार्टी पर अगड़ी जातियों के नेताओं का दबदबा है। पढ़ें, हेमंत कुमार का यह आलेख