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तमिलनाडु में ऑनर किलिंग : फिर सामने आया दलितों के खिलाफ गैर-दलितों के मन में भरा जहर

दलित युवक केविन सेल्वा गनेश की यह ऑनर किलिंग उस तमिलनाडु में की गई है, जहां आर्य, वैदिक और ब्राह्मण संस्कृति-सभ्यता के बरअक्स द्रविड़, अनार्य, बहुजन-श्रमण और गैर-ब्राह्मण संस्कृतिक-सभ्यता को स्थापित करने के लिए सबसे तीखा आंदोलन चला। बता रहे हैं डॉ. सिद्धार्थ रामू

तमिलनाडु में ऑनर किलिंग : फिर सामने आया दलितों के खिलाफ गैर-दलितों के मन में भरा जहर
दलित युवक केविन सेल्वा गनेश की यह ऑनर किलिंग उस तमिलनाडु में की गई है, जहां आर्य, वैदिक और ब्राह्मण संस्कृति-सभ्यता के बरअक्स द्रविड़,...
‘कांवड़ लेने नहीं जाना’ के रचयिता से बातचीत, जिनके खिलाफ दर्ज किया गया है यूपी में मुकदमा
“कुछ निठल्ले सवर्ण शिक्षक हैं स्कूल में। उनका सिर्फ़ एक ही काम रहता है– स्कूल में टाइम पास करना। आप देखिए न कि आज...
एसआईआर के जरिए मताधिकार छीने जाने से सशंकित लोगों की गवाही
रूबी देवी फुलवारी शरीफ़ की हैं। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। उन्होंने जन-सुनवाई में बताया कि “मेरे पास अपने पूर्वजों से जुड़े कोई...
डीयू : पाठ्यक्रम में सिख इतिहास के नाम पर मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रहों को शामिल करने की साजिश
याद रखा जाना चाहिए कि सिख धर्म और समुदाय ने अपने ऐतिहासिक संघर्षों में जातिवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाई है और समानता, बराबरी तथा...
सपा का ‘पीडीए’ बसपा के ‘बहुजन’ का विकल्प नहीं
कांशीराम का जोर संवैधानिक सिद्धांतिकी को धरती पर उतारने पर था। बसपा मूलतः सामाजिक लोकतंत्रवादी रही। दूसरी ओर, यह बहस का विषय है कि...
जेर-ए-बहस : क्या शंबूक श्रमण परंपरा का प्रतिनिधि था?
रामायण में शंबूक प्रकरण को जाति के नजरिए से ही देखा गया है। देवता शंबूक की हत्या के बाद राम की प्रशंसा करते हुए...
मुंगेरी लाल आयोग के ऐतिहासिक दस्तावेज
“आयोग को यह बताते हुए दुःख होता है कि अबतक के अध्ययन से यही पता चला कि प्रायः सभी नियुक्ति प्राधिकारियों ने जाने या...
बुद्ध, आत्मा और AI : चेतना की नई बहस में भारत की पुरानी भूल
हमें बुद्ध की मूल शिक्षाओं और योगाचार बुद्धिज्म के निरीश्वर, वैज्ञानिक चेतना-दर्शन की ओर लौटने की ज़रूरत है। इससे हम न केवल ख़ुद को...
दलित सरकारी कर्मी ‘पे बैक टू सोसायटी’ का अनुपालन क्यों नहीं करते?
‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ का ऐतिहासिक नारा देने के तकरीबन चौदह साल बाद डॉ. आंबेडकर ने आगरा के प्रसिद्ध भाषण में...
बंगाली अध्येताओं की नजर में रामराज्य
रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर राजशेखर बसु और दिनेश चंद्र सेन आदि बंगाली अध्येताओं ने रामायण का विश्लेषण अलग-अलग नजरिए से किया है, जिनमें तर्क...
रोज केरकेट्टा का साहित्य और उनका जीवन
स्वभाव से मृदु भाषी रहीं डॉ. रोज केरकेट्टा ने सरलता से अपने लेखन और संवाद में खड़ी बोली हिंदी को थोड़ा झुका दिया था।...
भक्ति आंदोलन का पुनर्पाठ वाया कंवल भारती
आलोचक कंवल भारती भक्ति आंदोलन की एक नई लौकिक और भौतिक संदर्भों में व्याख्या करते हैं। इनका अभिधात्मक व्याख्या स्वरूप इनके पत्रकार व्यक्तित्व का...
सत्यशोधक पंडित धोंडीराम नामदेव कुंभार का धर्मचिंतन
पंडित धोंडीराम नामदेव कुंभार ने एक ऐसे विचारक के रूप में अपना बहुमूल्य योगदान दिया, जिन्होंने ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता को अस्वीकार किया। संस्कृत भाषा और...
जेर-ए-बहस : प्रसाद के अधूरे उपन्यास ‘इरावती’ का आजीवक प्रसंग जिसकी कभी चर्चा नहीं होती
जिस दौर में जयशंकर प्रसाद ने इन कृतियों की रचना की, वह भी सांस्कृतिक-राजनीतिक उथल-पुथल का था। आजादी की लड़ाई अपने अंतिम दौर में...
जातिवाद और सामंतवाद की टूटती जकड़नों को दर्ज करती किताब
बिहार पर आधारित आलेख के लेखक का मानना है कि त्रिवेणी संघ के गठन का असर बाद में लोहिया के समाजवाद से लेकर जगदेव...
‘जाति का विनाश’ में संतराम बीए, आंबेडकर और गांधी के बीच वाद-विवाद और संवाद
वर्ण-व्यवस्था रहेगी तो जाति को मिटाया नहीं जा सकता है। संतराम बीए का यह तर्क बिलकुल डॉ. आंबेडकर के तर्क से मेल खाता है।...
इन कारणों से बौद्ध दर्शन से प्रभावित थे पेरियार
बुद्ध के विचारों से प्रेरित होकर पेरियार ने 27 मई, 1953 को ‘बुद्ध उत्सव’ के रूप में मनाने का आह्वान किया, जिसे उनके अनुयायियों...
‘दुनिया-भर के मजदूरों के सुख-दुःख, समस्याएं और चुनौतियां एक हैं’
अपने श्रम का मूल्य जानना भी आपकी जिम्मेदारी है। श्रम और श्रमिक के महत्व, उसकी अपरिहार्यता के बारे में आपको समझना चाहिए। ऐसा लगता...
सावित्रीबाई फुले, जिन्होंने गढ़ा पति की परछाई से आगे बढ़कर अपना स्वतंत्र आकार
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति जोतीराव फुले के समाज सुधार के काम में उनका पूरी तरह सहयोग देते हुए एक परछाईं की तरह पूरे...
रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...