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मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव

अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से भर दिया है, अगले तीस सालों तक वह तीस बैचों को छात्रों को पढ़ाता रहेगा। विश्वविद्यालयों में पिछले दस साल में सब कुछ बदल गया। पढ़ें, प्रो. लक्ष्मण यादव से...

मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव
अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से...
आखिर ‘चंद्रगुप्त’ नाटक के पन्नों में क्यों गायब है आजीवक प्रसंग?
नाटक के मूल संस्करण से हटाए गए तीन दृश्य वे हैं, जिनमें आजीवक नामक पात्र आता है। आजीवक प्राक्वैदिक भारत की श्रमण परंपरा के...
कौशांबी कांड : सियासी हस्तक्षेप के बाद खुलकर सामने आई ‘जाति’
बीते 27 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ यौन हिंसा का मामला अब जातिवादी बनता...
अपने जन्मदिन पर क्या सचमुच लालू ने किया बाबा साहब का अपमान?
संघ और भाजपा जहां मजबूत हैं, वहां उसके नेता बाबा साहब के विचारों और योगदानों को मिटाने में जुटे हैं। लेकिन जहां वे कमजोर...
कॉमरेड ए.के. राय कहते थे, थोपा गया विकास नहीं चाहते आदिवासी
कामरेड राय की स्पष्ट धारणा थी कि झारखंडी नेतृत्व के अंदर समाजवादी एवं वामपंथी विचारधारा उनके अस्तित्व रक्षा के लिए नितांत जरूरी है। लेकिन...
यात्रा संस्मरण : जब मैं अशोक की पुत्री संघमित्रा की कर्मस्थली श्रीलंका पहुंचा (अंतिम भाग)
चीवर धारण करने के बाद गत वर्ष अक्टूबर माह में मोहनदास नैमिशराय भंते विमल धम्मा के रूप में श्रीलंका की यात्रा पर गए थे।...
जब मैं एक उदारवादी सवर्ण के कवितापाठ में शरीक हुआ
मैंने ओमप्रकाश वाल्मीकि और सूरजपाल चौहान को पढ़ रखा था और वे जिस दुनिया में रहते थे मैं उससे वाकिफ था। एक दिन जब...
When I attended a liberal Savarna’s poetry reading
Having read Om Prakash Valmiki and Suraj Pal Chauhan’s works and identified with the worlds they inhabited, and then one day listening to Ashok...
मिट्टी से बुद्धत्व तक : कुम्हरिपा की साधना और प्रेरणा
चौरासी सिद्धों में कुम्हरिपा, लुइपा (मछुआरा) और दारिकपा (धोबी) जैसे अनेक सिद्ध भी हाशिये के समुदायों से थे। ऐसे अनेक सिद्धों ने अपने निम्न...
फिल्म ‘फुले’ : बड़े परदे पर क्रांति का दस्तावेज
यह फिल्म डेढ़ सौ साल पहले जाति प्रथा और सदियों पुरानी कुरीतियों और जड़ रूढ़ियों के खिलाफ, समता की आवाज बुलंद करनेवाले दो अनूठे...
आंबेडकरवाद के अतीत और वर्तमान को समझाती एक किताब
यह किताब आंबेडकरवादी आंदोलन की दो तस्वीरें प्रस्तुत करती है। एक तस्वीर वह जो डॉ. आंबेडकर के जीवनकाल में थी और दूसरी तस्वीर में...
दलित-बहुजन विमर्श के नये आयाम गढ़तीं दिनेश कुशवाह की कविताएं
दिनेश कुशवाह की कविताओं में ऐसी कई भारतीय समाज की दृश्यावलियां उभर कर आती हैं, जो साहित्य और इतिहास के पन्नों में गायब हैं।...
‘चमरटोली से डी.एस.पी. टोला तक’ : दलित संघर्ष और चेतना की दास्तान
यह आत्मकथा सिर्फ रामचंद्र राम के इंस्पेक्टर से डीएसपी बनने तक जीवन संघर्ष की गाथा नहीं बल्कि यह दलित समुदाय के उस प्रत्येक व्यक्ति...
रोज केरकेट्टा का कथा संसार
रोज केरकेट्टा सोशल एक्टिविस्ट रही हैं। झारखंड अलग राज्य के आंदोलन की एक अग्रणी नेता। और इसी सामाजिक सरोकार ने उन्हें निरा कहानीकार बनने...
‘कुशवाहा रामप्रकाश’ : कुशवाहा पर कुशवाहा की कविता
यह कविता उन तमाम उत्पीड़ितों की व्यथा-वाणी है जिनकी पहली-दूसरी पीढ़ी खेती-बारी से गुज़रते हुए उच्च शिक्षा की दुनिया तक पहुंची है और अपने...
‘जाति का विनाश’ में संतराम बीए, आंबेडकर और गांधी के बीच वाद-विवाद और संवाद
वर्ण-व्यवस्था रहेगी तो जाति को मिटाया नहीं जा सकता है। संतराम बीए का यह तर्क बिलकुल डॉ. आंबेडकर के तर्क से मेल खाता है।...
इन कारणों से बौद्ध दर्शन से प्रभावित थे पेरियार
बुद्ध के विचारों से प्रेरित होकर पेरियार ने 27 मई, 1953 को ‘बुद्ध उत्सव’ के रूप में मनाने का आह्वान किया, जिसे उनके अनुयायियों...
‘दुनिया-भर के मजदूरों के सुख-दुःख, समस्याएं और चुनौतियां एक हैं’
अपने श्रम का मूल्य जानना भी आपकी जिम्मेदारी है। श्रम और श्रमिक के महत्व, उसकी अपरिहार्यता के बारे में आपको समझना चाहिए। ऐसा लगता...
सावित्रीबाई फुले, जिन्होंने गढ़ा पति की परछाई से आगे बढ़कर अपना स्वतंत्र आकार
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति जोतीराव फुले के समाज सुधार के काम में उनका पूरी तरह सहयोग देते हुए एक परछाईं की तरह पूरे...
रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...