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जब आरएसएस के सवाल पर लोहिया से भिड़ गए थे मधु लिमये

मधु लिमये बहुत हद तक डॉ. आंबेडकर से प्रेरित दिखते हैं। जाति प्रथा के ख़ात्मे तथा आरक्षण, जिसे वह सामाजिक न्याय के सिद्धांत का एक हथियार समझते थे, के ज़रिए पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने के पैरोकार थे। बता रहे हैं सुमित कुमार

जब आरएसएस के सवाल पर लोहिया से भिड़ गए थे मधु लिमये
मधु लिमये बहुत हद तक डॉ. आंबेडकर से प्रेरित दिखते हैं। जाति प्रथा के ख़ात्मे तथा आरक्षण, जिसे वह सामाजिक न्याय के सिद्धांत का...
आंबेडकरवादी राजनीति : फैशन या लोकतांत्रिकरण?
सच तो यह है कि आंबेडकर का नाम बार-बार लेना (अमित शाह के शब्दों में फैशन) राजनीतिक संस्कृति के लोकतांत्रिकरण का एक प्रमाण है।...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : सांप्रदायिकता का खेल तेज
दिल्ली में ज्यादातर गरीब मुसलमानों और दलितों की ऐसी बस्तियां हैं, जहां पानी, सड़क और सफाई जैसी बुनियादी समस्याएं हैं। लेकिन राजनीतिक दल इन...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित, ओबीसी और मुसलमानों के लिए तमिलनाडु मॉडल ही एकमात्र विकल्प (अंतिम भाग)
ओबीसी, दलित और मुसलमानों को सुरक्षा और स्वाभिमान की राजनीति चाहिए जो कि मराठा-ब्राह्मण जातियों की पार्टियों द्वारा संभव ही नहीं है, क्योंकि सत्ता...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : हर पार्टी की नज़र दलित वोटरों पर
सत्तर सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 12 सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। लेकिन दिल्ली की 16.75 प्रतिशत फीसदी से ज़्यादा आबादी...
सवर्ण व्यामोह में फंसा वाम इतिहास बोध
जाति के प्रश्न को नहीं स्वीकारने के कारण उत्पीड़ितों की पहचान और उनके संघर्षों की उपेक्षा होती है, इतिहास को देखने से लेकर वर्तमान...
त्यौहारों को लेकर असमंजस में क्यों रहते हैं नवबौद्ध?
नवबौद्धों में असमंजस की एक वजह यह भी है कि बौद्ध धर्मावलंबी होने के बावजूद वे जातियों और उपजातियों में बंटे हैं। एक वजह...
संवाद : इस्लाम, आदिवासियत व हिंदुत्व
आदिवासी इलाकों में भी, जो लोग अपनी ज़मीन और संसाधनों की रक्षा के लिए लड़ते हैं, उन्हें आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत गिरफ्तार किया...
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, अंतिम भाग)
तिकड़ी में शामिल करने के बावजूद शिव को देवलोक में नहीं बसाया गया। वैसे भी जब एक शूद्र गांव के भीतर नहीं बस सकता...
ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद के खिलाफ था तमिलनाडु में हिंदी विरोध
जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद...
पेरियार पर केंद्रित एक अलग छाप छोड़नेवाली पुस्तक
यह किताब वस्तुनिष्ठ स्वरूप में पेरियार के जीवन दर्शन के वृहतर आयाम के कई अनछुए सवालों को दर्ज करती है। पढ़ें, अरुण नारायण की...
साहित्य का आकलन लिखे के आधार पर हो, इसमें गतिरोध कहां है : कर्मेंदु शिशिर
‘लेखक के लिखे से आप उसकी जाति, धर्म या रंग-रूप तक जरूर जा सकते हैं। अगर धूर्ततापूर्ण लेखन होगा तो पकड़ में आ जायेगा।...
नागरिकता मांगतीं पूर्वोत्तर के एक श्रमिक चंद्रमोहन की कविताएं
गांव से पलायन करनेवालों में ऊंची जातियों के लोग भी होते हैं, जो पढ़ने-लिखने और बेहतर आय अर्जन करने लिए पलायन करते हैं। गांवों...
नदलेस की परिचर्चा में आंबेडकरवादी गजलों की पहचान
आंबेडकरवादी गजलों की पहचान व उनके मानक तय करने के लिए एक साल तक चलनेवाले नदलेस के इस विशेष आयोजन का आगाज तेजपाल सिंह...
ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं में मानवीय चेतना के स्वर
ओमप्रकाश वाल्मीकि हिंदू संस्कृति के मुखौटों में छिपे हिंसक, अनैतिक और भेदभाव आधारित क्रूर जाति-व्यवस्था को बेनकाब करते हैं। वे उत्पीड़न और वेदना से...
डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...
सरल शब्दों में समझें आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान
डॉ. आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखकर देश के विकास, अखंडता और एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया और सभी नागरिकों को...
संविधान-निर्माण में डॉ. आंबेडकर की भूमिका
भारतीय संविधान के आलोचक, ख़ास तौर से आरएसएस के बुद्धिजीवी डॉ. आंबेडकर को संविधान का लेखक नहीं मानते। इसके दो कारण हो सकते हैं।...