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दलित आलोचना की कसौटी पर प्रेमचंद का साहित्य (संदर्भ : डॉ. धर्मवीर, अंतिम भाग)

प्रेमचंद ने जहां एक ओर ‘कफ़न’ कहानी में चमार जाति के घीसू और माधव को कफनखोर के तौर पर पेश किया, वहीं दूसरी ओर ‘रंगभूमि’ उपन्यास में सूरदास को अंधा और भिखारी बना दिया। क्या यह जाति-व्यवस्था से संचालित सौंदर्य शास्त्र नहीं है, जिसमें दलित पात्र की छवि भिखारी और कफनखोर के तौर पर...

हरियाणा में इन कारणों से हारी कांग्रेस
हरियाणा में इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प था। इस बार भी ओबीसी और दलित वोटर निर्णायक साबित हुए। भाजपा न सिर्फ ग़ैर-जाट मतदाताओं को...
हरियाणा चुनाव : भाजपा को अब धर्मांतरण के मुद्दे का आसरा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान के विपरीत आरएसएस दशकों से आदिवासियों को हिंदू बनाने का प्रयास करता रहा है, वहीं भगवा ताकतें ईसाई मिशनरियों...
उत्पीड़न के कारण आत्महत्या की कोशिश से पीएचडी तक एक दलित शोधार्थी की संघर्ष गाथा
“मेरी कोशिश है कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ही मेरा चयन हो जाए और मैं वहां अध्यापक बनकर वापस जाऊं। वहां लौटकर मैं वहां का...
हरियाणा विधानसभा चुनाव : ‘दलित-पिछड़ों को बांटो और राज करो’ की नीति अपना रही भाजपा
भाजपा वर्षों से ‘दलित-पिछड़ों को बांटो और राज करो’ की राजनीति का एक बहुत ही दिलचस्प खेल सफलतापूर्वक खेल रही है। जिस राज्य में...
रेणु साहित्य पर कब्ज़ा : मंडल पर कमंडल का हमला, खलनायक कौन है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम रेणु साहित्य के अध्येता अनंत का खुला पत्र
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, अंतिम भाग)
तिकड़ी में शामिल करने के बावजूद शिव को देवलोक में नहीं बसाया गया। वैसे भी जब एक शूद्र गांव के भीतर नहीं बस सकता...
ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद के खिलाफ था तमिलनाडु में हिंदी विरोध
जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद...
फुले को आदर्श माननेवाले ओबीसी और मराठा बुद्धिजीवियों की हार है गणेशोत्सव
तिलक द्वारा शुरू किए गए इस उत्सव को उनके शिष्यों द्वारा लगातार विकसित किया गया और बढ़ाया गया, लेकिन जोतीराव फुले और शाहूजी महाराज...
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, पहला भाग)
जब कर्मकांड ब्राह्मणों की आजीविका और पद-प्रतिष्ठा का माध्यम बन गए, तो प्रवृत्तिमूलक शाखा को भारत की प्रधान अध्यात्म परंपरा सिद्ध करने के लिए...
तंगलान : जाति और उपनिवेशवाद का सच खोदती एक फिल्म
पारंपरिक लिखित इतिहास के हाशिए पर रहे समूहों को केंद्र में रखकर बनाई गई पा. रंजीत की नई फिल्म ‘तंगलान’ भारत के अतीत और...
दलित आलोचना की कसौटी पर प्रेमचंद का साहित्य (संदर्भ : डॉ. धर्मवीर, अंतिम भाग)
प्रेमचंद ने जहां एक ओर ‘कफ़न’ कहानी में चमार जाति के घीसू और माधव को कफनखोर के तौर पर पेश किया, वहीं दूसरी ओर...
अली सरदार जाफ़री के ‘कबीर’
अली सरदार जाफरी के कबीर भी कबीर न रहकर हजारी प्रसाद द्विवेदी के कबीर के माफिक ‘अक्खड़-फक्कड़’, सिर से पांव तक मस्तमौला और ‘बन...
बहुजन कवि हीरालाल की ग़ुमनाम मौत पर कुछ सवाल और कुछ जवाब
इलाहाबाद के बहुजन कवि हीरालाल का निधन 22 जनवरी, 2024 को हुआ, लेकिन इसकी सूचना लोगों को सितंबर में मिली और 29 सितंबर को...
दलित आलोचना की कसौटी पर प्रेमचंद का साहित्य (संदर्भ : डॉ. धर्मवीर, पहला भाग)
डॉ. धर्मवीर को प्रेमचंद से यही तो अपेक्षा थी कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री की तरह वह भी ‘कफ़न’ कहानी में जमींदार के नैतिक पतन...
आदिवासी सौंदर्य-बोध और प्रतिमानों से परिचित करातीं अनुज लुगुन की कविताएं
अनुज मानते हैं कि हमें ही यह लड़ाई लड़नी होगी। हमारे लिए गीत गाने और कोई नहीं आएगा। हम साथ रहते हुए कुछ भी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...
सरल शब्दों में समझें आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान
डॉ. आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखकर देश के विकास, अखंडता और एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया और सभी नागरिकों को...
संविधान-निर्माण में डॉ. आंबेडकर की भूमिका
भारतीय संविधान के आलोचक, ख़ास तौर से आरएसएस के बुद्धिजीवी डॉ. आंबेडकर को संविधान का लेखक नहीं मानते। इसके दो कारण हो सकते हैं।...
पढ़ें, शहादत के पहले जगदेव प्रसाद ने अपने पत्रों में जो लिखा
जगदेव प्रसाद की नजर में दलित पैंथर की वैचारिक समझ में आंबेडकर और मार्क्स दोनों थे। यह भी नया प्रयोग था। दलित पैंथर ने...