उड़ीसा के केन्द्रपाड़ा जिले में जुलाई में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ उसके ही गांव के दो निवासियों ने सामूहिक बलात्कार किया और बाद में उसे जलाकर मार डालने की कोशिश की। अगस्त माह की शुरूआत में इस लड़की की मौत के बाद, भुवनेश्वर में राजनैतिक दलों और सामाजिक संगठनों के आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। विरोध प्रदर्शनकारियों ने तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया और तीन अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया।
पीडि़ता की मृत्यु 8 अगस्त की रात हुई। अगले दिन उसे बेहतर इलाज के लिए वायुमार्ग से दिल्ली ले जाया जाना था। जैसे ही यह खबर फैली, विपक्षी कांग्रेस और भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर में अलग-अलग प्रदर्शन किए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने भुवनेश्वर के केपिटल अस्पताल में घुस तोडफ़ोड़ भी की। तीन एम्बुलेंसों को आग लगा दी गई और एक ट्रक भी जला दिया गया। हिंसा में कोई घायल नहीं हुआ।
प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री दामोदर राऊत के सरकारी आवास में जबरन घुसने का प्रयास भी किया परंतु उन्हें पुलिस ने खदेड़ दिया। बाद में भीड़ ने फारेस्ट पार्क क्षेत्र में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया।
14 साल की इस लड़की के साथ प्रदीप दास और एकादशी दास ने भुवनेश्वर से लगभग 150 किलोमीटर दूर खारनासी गांव में 28 जुलाई 2013 को बलात्कार किया और उसके बाद उसे आग लगा दी। पुलिस ने प्रदीप को घटना के अगले दिन और एकादशी को कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि प्रदीप, पीडि़ता की बड़ी बहिन से शादी करना चाहता था। परंतु उसके परिवार ने उसकी शादी किसी और से कर दी। इसके बाद प्रदीप लड़की के परिवार और उसकी ससुरालवालों को धमकाने लगा। प्रदीप ने पीडि़ता को अपने घर बुलाया और उसने व एकादशी ने उसके साथ बलात्कार किया। बाद में उस पर केरोसीन उड़ेलकर आग लगा दी। पीडि़ता किशोरी कक्षा 7 की छात्रा थी। उसे पहले कटक के एससीबी मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगभग 70 प्रतिशत जली इस लड़की को बाद में भुवनेश्वर के केपिटल अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां उसकी मौत हो गई। अस्पताल में किसी अवांछित घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बलों के दो प्लाटून तैनात किए गए।
(फारवर्ड प्रेस के सितंबर 2013 अंक में प्रकाशित)
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