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पाश की कविता का नाट्य रूपांतरण

''खेतां दा पुत" के लेखक और कलाकार राणा रणबीर ने बताया कि आम लोगों के हक की बात करने वाले कम कवि हुए है, जिनमें पाश भी एक हैं.

बठिंडा (पंजाब) : पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश की जयंती 9 सितंबर को पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा में ”खेतां दा पुत” नाटक का मंचन किया गया। यह बठिंडा (पंजाब)। पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश की जयंती 9 सितंबर को पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा में ”खेतां दा पुत” नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक पाश की कविता, जीवन, डायरी व उनके खेत खलिहान पर आधारित है। नाटक की शुरूआत पाश की लिखी कविता ‘सपने हर किसी को नही आते’ से होती है. यह नाटक पाश के समाज, परिवार, किसान, व मजदूर के प्रति सोच को रेखांकित करता है। नाटक देखनेवालों के सामने पाश की जीवंत छवि बनती है. पाश की लेखनी में जितने तेवर हैं, अपने जीवन में भी वे उसी तरह के थे. नाटक के अंत में पाश को खालिस्तानियों द्वारा गोलियों से भूनने के दृश्य के वक्त पाश की कविता दर्शकों को भावविभोर कर गई.

”खेतां दा पुत” के लेखक और कलाकार राणा रणबीर ने बताया कि आम लोगों के हक की बात करने वाले कम कवि हुए है, जिनमें पाश भी एक हैं. नाटक शुरू होने से पहले कुलपति प्रो. आर के कोहली ने साहित्य के समाजिक महत्व पर प्रकाश डाला. उसके बाद प्रो. चमन लाल ने पाश के साथ बिताये अपने अनुभवों को साँझा किया.

(फारवर्ड प्रेस के  दिसम्बर 2014 अंक में प्रकाशित)


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आजाद अंसारी

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