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अतीत के गलियारे से : फूलन देवी का एक महत्वपूर्ण संबोधन

फूलन देवी ने पटना के गांधी मैदान में अपने संगठन के कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा था कि वे अपनी बेटियों को पढ़ायें। उन्हें बुजदिल न बनाएं

फूलन देवी (10 अगस्त, 1963 – 25 जुलाई, 2001) पर विशेष

मैं गरीब हूं और गरीबों के उपर किस तरह अत्याचार किया जाता है, मैंने  इसे काफी नजदीक से देखा है। आज तक गांव के प्रधान हमारे उपर जुल्म ढाते रहे हैं, लेकिन अब इसमें परिवर्तन लाना होगा। मेरे उपर जितने अन्याय हुए मैं उतनी ही आगे बढ़ी। मैंने उन बदतमीजों को दुनिया से ही विदा कर दिया, जिसने मेरी इज्जत से खिलवाड़ किया था। नारी पर अत्याचार होगा, महाभारत जारी रहेगा।

 

गरीबों पर अत्याचार हो तो एकलव्य सेना को उसका करारा जवाब देना चाहिए। एकलव्य सेना से जुडे नौजवान किसी भी गरीब पर जुल्म होते देखें नहीं बल्कि कानून की परवाह किये बगैर विरोध करें। याद रखिये गरीबों के बीच एकजुटता से ही न्याय हासिल किया जा सकता है। आज जरूरत है अमीरी हटाने की, क्योंकि अमीरी हटने पर गरीबी खुद ब खुद जायेगी।

एकलव्य हमारे उद्धारक थे, जिसे हमारे शोषकों ने अंगूठा काटकर जंगल भेज दिया। लेकिन अब समय बदल गया है तथा सैंकड़ो एकलव्य पैदा हो गये हैं। अगर दुर्भाग्य से फिर किसी द्रोणाचार्य ने अंगूठा काटने का काम किया तो इस-बार एकलव्य उनका हाथ काट डालेंगे।

18 फरवरी 1996 को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में एकलव्य सेना द्वारा आयोजित रैली के दौरान फूलन देवी और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद

मैं मंच पर आसीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जी से आग्रह करना चाहती हूं कि वे महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान करें। जब तक महिलायें पराया धन समझी जायेंगी। उनपर अत्याचार जारी रहेगा। साथ ही मैं एकलव्य सेना के सभी नौजवानों से कहना चाहती हूं कि वे अपनी बेटियों को पढ़ायें। उन्हें बुजदिल न बनायें। आज अगर कोई एक चांटा मारता है तो उसे उलट कर दो चांटा मारना चाहिए। चाहे मार खाने वाला लड़की का पति हो या भाई।

1983 में अपने साथियों के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने जातीं फूलन देवी

अंत में मैं यह कहना चाहती हूं कि मुझे जेल जाने का कोई डर नहीं है, जबतक जिंदा हूं अत्याचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी।

(दस्यु सुंदरी सह भूतपूर्व सांसद फूलन देवी ने बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में दिनांक 18 फरवरी 1996 को एकलव्य सेना द्वारा आयोजित रैली को संबोधित किया था। इस अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने फूलन देवी को भारत की बहादुर बेटी की संज्ञा दी थी। इस भाषण में फूलन देवी ने जिस भाषा का प्रयोग किया है, वह आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है, लेकिन इससे उनकी उस पीडा की अभिव्यक्ति होती ही है, जो उन्होंने अपने जीवन में भोगी थी ध्यातव्य है कि किशोरी उम्र में ही स्थानीय राजपूतों की दरिंदगी का शिकार होने के बाद वे दस्यु समूह में शामिल हुईं। अपने उपर हुए अत्याचार का बदला लेते हुए उन्होंने एक साथ 22 लोगों की हत्या कर दी थी। बदला लेने के बाद वर्ष 1983 में उन्होंने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उनके उपर 48 लोगों की हत्या का आरोप था। करीब 11 वर्षों तक वे जेल में रहीं। वर्ष 1994 में उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उनके उपर लगाये गये सभी आरोपों को वापस ले लिया। बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें मिर्जापुर से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया और वे लगातार दो बार वहां से सांसद चुनी गयीं। इसी क्रम में उन्होंने वर्ष 1995 में राष्ट्रीय स्तर पर अपना खुद का राजनीतिक संगठन तैयार किया था। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य गरीब दलितों-पिछड़ों को शोषकों के अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के लिए एकजुट करना था।)


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लेखक के बारे में

फूलन देवी

फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न जाति में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। सांसद रहते हुए ही एक जातिवादी उग्रपंथी ने उनकी हत्या कर दी थी

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