बिहार की राजधानी पटना के श्रीकृष्ण मेमाेरियल हॉल में बीते 21 मई को बिहार भीम आर्मी ने अपनी ताकत का अहसास कराया और यह भी स्पष्ट किया कि आने वाली चुनौती से मुकाबले के लिए वह पूरी तरह तैयार है। प्रथम स्थापना दिवस समारोह में बिहार के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आर्मी के कार्यकर्ता पहुंचे थे। कुछ लोग यूपी और दिल्ली से भी आये थे। समारोह में स्थापित व्यवस्था और मनुवादियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की घोषणा भी की गयी।
समारोह को संबोधित करते हुए भीम आर्मी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अमर आजाद ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट पर न्यायालय का रवैया अनुसूचित जाति-जनजाति के हितों के खिलाफ है। इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार भी ढुलमुल रवैया अपना रही है। केंद्र सरकार इस संबंध में अध्यादेश नहीं ला रही है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के लोग 2 अप्रैल से भी बड़ा राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे और इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। समुदाय के लोग अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करेंगे। समारोह में एससी-एससी एक्ट को लेकर अध्यादेश लाने, चंद्रशेखर रावण की रिहाई, निजी क्षेत्र में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण और अनुसूचित जाति के लिए रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली के लिए की मांग की गयी।
बिहार पुलिस में आई.जी. अनिल किशोर यादव ने कहा कि जाति के नाम पर भेदभाव और नफरत से समाज नहीं बदलेगा। यदि जाति के नाम पर अत्याचार हो रहा है तो उसका मुकाबला संवैधानिक तरीके से किया जाना चाहिए। इसके साथ सामाजिक जागरूकता और आंदोलन के माध्यम से उसका मुकाबला किया जाना चाहिए। वहीं सहारनपुर से आये सोनू कुमार गौतम ने कहा कि भीम आर्मी के द्वारा दलितों में बेहतर शिक्षा के लिए भीम पाठशाला का संचालन किया जा रहा है, जिसमें भीम आर्मी के कार्यकर्ता अपनी सेवाएं देते हैं। अभी 1000 पाठशालाओं का संचालन किया जा रहा है। 1 जुलाई से देश भर में भीम पाठशाला की शुरुआत की जाएगी। सहारनपुर से ही आये रविंद्र कामत ने कहा कि बहुजन समाज के लिए शिक्षा ही सबसे बड़ी ताकत है। शिक्षा के माध्यम से ही समाज बदलाव आ सकता है और भीम पाठशाला उसी दिशा में काम कर रहा है। ट्रांसजेंडर लीडर रेशमा प्रसाद ने कहा कि किन्नर समाज शोषितों से भी अधिक शोषित हैं। हम ब्राह्मणवाद के खिलाफ हो रही लड़ाई में भीम आर्मी के साथ हैं।
सुनीति रंजन दास ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर के संदेशों को गांव-गांव पहुंचाना होगा। इसके लिए समग्र नीति बनानी होगी और इसके लिए अभियान चलाना होगा। अजय पासवान ने कहा कि मुसलमानों पर हमला और दलितों की प्रताड़ना साजिश के तहत की जा रही है। ब्राह्मणवाद से मुकाबले के लिए दलित और मुसलमानों को एक होना होगा।
कार्यक्रम में यह भी घोषणा की गयी कि 27 जुलाई से 4 अगस्त तक दलित साहित्य यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें दलित लेखकों और दलित सरोकारों से जुड़ी पुस्तकों को पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा।
कार्यक्रम का संचालन चंद्र भास्कर एवं गौतम पासवान ने किया। मौके पर बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. अमरनाथ पासवान, पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार, डॉ. संजय वाल्मीकि, मसीहउद्दीन, मो. कासिफ युनिस, प्रतिमा पासवान, डी. हर्षवर्धन, रुकसाना, विजय चौधरी, नवनीत राणा, अमर ज्योति, कमलेश आर्या, राहुल रंजन, मनीष पासवान आदि वक्ताओँ ने भी संबोधित किया।
(कॉपी एडिटर : नवल)
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