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एससी, एसटी युवाओं को इग्नू देगा निःशुल्क शिक्षा

इग्नू ने नए सत्र से अनुसूचित जाति-जनजाति के युवाओं को निःशुल्क प्रवेश देने की घोषणा की है। यह इस वर्ग के ऐसे छात्रों के लिए बहुत मददगार साबित होगा जो काम करते हुए आगे की पढाई जारी रखना चाहते हैं। पढ़िए यह रपट :

अगर आप विशेष श्रेणी के छात्र हैं और इग्नू (इग्‍नू – इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी) से यूजी, पीजी, डिप्लोमा या मैनेजमेंट (एमबीए) की पढ़ाई करना चाहते हैं तो आपके लिए एक बेहतर अवसर है। इग्नू क्षेत्रीय कार्यालय ने निर्देश दिया है कि वह आगामी सत्र (जुलाई 2018) से एससी-एसटी छात्रों के दाखिले मे  एससी-एसटी, महिलाओं तथा हथकरघा कारिगरों, बुनकर इत्यादि वर्ग के आवेदकों को यूजी, पीजी समेत प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए मुफ्त शिक्षा मुहैया कराएगा। इग्नू जुलाई, 2018 से शुरू होने वाले सत्र के लिए 75 प्रतिशत शुल्क की वापसी के साथ मुफ्त दाखिला लेने का मन बनाया है। इस सत्र में यूजी, पीजी, मैनेजमेंट में प्रवेश देने का विशेष निर्णय लिया गया है।  इग्नू  के क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के स्टडी सेंटर 48028 के को-आर्डिनेटर ने बताया इसके लिए विभिन्न प्रोग्राम, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट प्रोग्राम में इग्नू  की तरफ से सभी स्टडी सेंटर पर एससी/एसटी कैंडिडेट्स को जुलाई 2018  से शुरू होने वाले सत्र लिए मुफ्त शिक्षा दी जाएगी. इसमें प्रवेश के इच्छुक छात्र इग्नू  की वेबसाइट (http://www.ignou.ac.in/ ) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

इग्नू, नई दिल्ली

तीन दशक पूर्व विकसित देशों के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र के योगदान में लगातार वृद्धि दिखाई दिए जाने के बाद से ही  दुनिया के अधिकाँश देश अपने युवाओं में गुणात्मक हुनर के विकास के लिए उच्च शिक्षा में इनके अधिकाधिक रुझान को प्रोत्साहित करने लगे। परिणामस्वरूप सभी देशों में जीईआर (ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो) बढ़ाने की प्रक्रिया जो एक बार शुरू हुई तो आज तक थमने का नाम ही नहीं ले रही। भारत में भी जीईआर को  वर्तमान 20% से बढ़ाकर 2022 तक 30% कर लेने की योजना है। परंतु अधिकाधिक युवकों को उच्च शिक्षा में प्रवेश दिलाने के चूहा दौड़ में नित नए खुलते कॉलेजों/विश्वविद्यालयों मे गुणवत्ता की भयंकर अनदेखी की गई है। भारत के गांव-गांव में डिग्री कॉलेज खुले पर इनमें से अधिकांश नकल और भ्रष्टाचार के अड्डे में तब्दील हो गए। बिना सरकारी अनुमोदन के न केवल अनेक पाठ्यक्रम शुरू हुए बल्कि कई गैर मान्यताप्राप्त संस्थान उग आए। ऐसी दशा में अपने भविष्य को लेकर जागरूक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए मान्यता प्राप्त संस्थान के साथ-साथ समुचित पाठ्यक्रम में प्रवेश ले पाना एक बड़ी चुनौती बन गई है। अच्छे संस्थानों की संख्या सीमित है जहां प्रवेश के लिए गला काट प्रतियोगिता है। औसत दर्जे के छात्रों के लिए संकट गहरा है। ऐसे छात्रों को अपने प्रवेश को लेकर अनेक सावधानियाँ बरतने की जरूरत है। नीचे ऐसी ही दस सावधानियों की चर्चा की जा रही है जिस पर इन छात्रों को ध्यान देना जरूरी है। इसके अलावा कुछ अन्य आवश्यक एवं उपयोगी बातें भी :

  1. भारत में अधिकांश युवकों के लिए उच्च शिक्षा में जाने की अपनी महत्वाकांक्षा को अनेक बार स्वयं ही विराम देकर अति शीघ्र जीविकोपार्जन की जरूरत होती है। सो हाई स्कूल या इंटरमीडिएट के बाद वे समुचित रोजगार में प्रवेश कर जीविकोपार्जन की तलाश में होते हैं। ऐसी दशा में आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए दूरस्थ शिक्षा या ओपन यूनिवर्सिटी जैसे नेशनल ओपन युनिवर्सिटी या इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (आईजीएनओयू) में ऐसे छात्र प्रवेश लेते हैं, जिसे एक अच्छा निर्णय कहा जा सकता है। उपरोक्त दोनों सरकारी संस्थानों के अतिरिक्त दूरस्थ शिक्षा अगर किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से है तो सुरक्षित है परंतु अनेक गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों के दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम सिर्फ युवाओं के पैसे हड़पने के जरिया मात्र हैं। घर बैठे एमबीए, एमसीए, बी.टेक या ऐसे ही तकनीकी कोर्स करा देने की लालच देने वाले ये पाठ्यक्रम छात्रों से बड़ी रकम ऐंठते हैं और अंत में उसके एवज में दिए गए डिग्री/प्रमाण पत्र का बाजार में कोई महत्व नहीं होता।
  2. केंद्र सरकार तथा सभी राज्य सरकारों ने उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक स्कॉलरशिप तथा फेलोशिप कार्यक्रम चला रखा है जो लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अध्ययन में सहयोग करते हैं। अतः आवश्यक है कि आप अपनी योग्यता के अनुसार ऐसे अवसरों पर नजर रखें और उनका लाभ उठाएं। मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार व राज्य सरकारों के वेबसाइट, विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के वेबसाइट, यूजीसी, सीबीएसई, एआईसीटी के वेबसाइट इस दिशा में आपको संपूर्ण सूचनाएं समय समय पर उपलब्ध कराती हैं। अतः इन सभी पर नजर रखें। थोड़े थोड़े समय अंतराल पर बारी-बारी से इनको अवश्य देखते रहें। विदेशों में अध्ययन करने संबंधी सभी अवसर, केंद्र सरकार के स्कॉलरशिप, फेलोशिप, और खासकर अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए उपलब्ध विदेशों
    में अध्ययन के अवसरों की संपूर्ण सूचना एवं जानकारी मानव संसाधन मंत्रालय के वेबसाइट पर नियमित रूप से उपलब्ध रहता है।

    हाल के वर्षों में इग्नू के प्रति बढ़ी है छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी

3.स्थानीय राजकीय पुस्तकालय, जहां अनेक प्रतियोगी परीक्षा संबंधी पुस्तिकाएं, पत्रिकाएँ, अखबार व अन्य आवश्यक सामग्री निरंतर उपलब्ध कराई जाती है, का भी सहयोग ले सकते हैं।

  1. पाठ्यक्रम का चुनाव अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए। यह अत्यंत जरूरी है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ज्वाइन किये जाने वाले पाठ्यक्रम उपरोक्त दोनों संस्थानों या अन्य किसी अच्छे, मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा संस्थान से ही हो। इनकी पहचान करने का एक तरीका यह भी है कि यह देख लिया जाए कि उन्हें भारत की किसी संस्था, जैसे नैक या एनबीए द्वारा उचित ग्रेडिंग प्रदान की गई है कि नहीं।
  2. अपने लक्ष्य का चुनाव करते समय यह ध्यान में रखा जाना जरूरी है कि यह पिछली उपलब्धियों, वर्तमान क्षमताओं और भविष्य की संभावनाओं के अनुरूप ही हो। प्रायः यह देखा जाता है कि उन तीनों तथ्यों से मशरूफ यदि कोई अव्यावहारिक निर्णय लेता है या लक्ष्य को चुनता है तो वह अपना ही नुकसान करता है। अतः एक संतुलित लक्ष्य का चुनाव वास्तव में सफलता या असफलता का चुनाव कहा जा सकता है।
  3. लक्ष्य के चुनाव के पश्चात योजनाबद्ध ढंग से लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। यहां योजनाबद्ध से तात्पर्य यह है कि सभी छात्रों की व्यस्तता और चुनौतियां उनके लिए विशिष्ट या बिल्कुल अलग होती हैं। अतः बिना दूसरों की अनावश्यक नकल उतारे, अपनी परिस्थितियों के अनुसार अपनी विशिष्ट योजना बनाना ही अच्छा होता है। योजना बनाकर समय-समय पर उसका मूल्यांकन अर्थात हर दूसरे, चौथे हफ्ते यह देखना कि क्या योजनानुसार लक्ष्य प्राप्त हो रहा है अथवा नहीं। आवश्यकतानुसार इनमें समय-समय पर संशोधन भी अपेक्षित होता ही है, जिसको लेकर प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
  4. रोजगार समाचार और एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र नियमित रूप से अवश्य पढ़ें। अपनी आवश्यकता के अनुसार ऐसे विज्ञापनों की तलाश भी करते रहें जो आपकी आगामी योजना और लक्ष्य के अनुकूल हो। टीवी के ऐसे कार्यक्रम भी देखें जो आपके हुनर को बढ़ाने में मददगार साबित हों। परीक्षाओं या प्रतियोगिताओं में पूरी तैयारी के साथ ही बैठें। केवलकैसे होता हैजानने के लिए परीक्षा कदापि न दें। अन्यथा प्रत्येक असफलता आपके मनोबल पर गहरा चोट करती है।
  5. अपनी ही तरह के जागरूक प्रतियोगियों का समूह बनाएं और समय-समय पर मिलकर अपनी जानकारियां शेयर करें। सीमित मात्रा में और अत्यंत नियंत्रित ढंग से व्हाट्सएप्प ग्रुप का भी प्रयोग किया जा सकता है। है।
  6. आज के छात्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी संप्रेषण क्षमता, अंग्रेजी और कंप्यूटर का ज्ञान है। अतः इस में उत्तरोत्तर सुधार के लिए प्रतिदिन अंग्रेजी अखबार पढ़ें, अंग्रेजी में लिखें, लोगों से खुलकर प्रतिक्रियाएं शेयर करें और अपने लैपटॉप और मोबाइल का रचनात्मक उपयोग करें। प्रत्येक छात्र 20,000 रुपए तक लैपटॉप पर और अधिकतम 10,000 रुपए ही स्मार्टफोन पर खर्च करें और इन दोनों का उपयोग अपनी तीनों क्षमताएं बढ़ाने में, अपने करियर से संबंधित जानकारियां जुटाने में और यहां तक कि अपनी पढ़ाई लिखाई को और अच्छा रूप देने के लिए एमओओसी, यूजीसी और खान एकेडमी, टेड टॉक और इसी प्रकार के दूसरे लेक्चर और यूट्यूब का इस्तेमाल करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से अवश्य करें।
  7. edx.org, coursera.com, iimbx.com और इसी प्रकार के दूसरे अन्य एमओओसी कोर्स, जो निशुल्क हैं, उन्हें ज्वाइन कर अपने हुनर में वृद्धि करें जिससे प्रतियोगिताओं में सबसे आगे खड़े होने की क्षमता हासिल हो।

(कॉपी एडिटर : अशोक)


 

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लेखक के बारे में

अजय कुमार गुप्त

लेखक दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर ( उ.प्र.) के वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर हैं

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