सच के साथ खड़ा होने से भयभीत करने की साजिश
उल्लेखनीय है कि पिछले मंगलवार को स्वामी अग्निवेश झारखंड के लिट्टीपाड़ा में आयोजित पहाड़िया समाज के 195 दामिन दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के लिए सुबह पाकुड़ पहुंचे हुए थे और पाकुड़ के मुस्कान होटल में ठहरे हुए थे। जब वे 10: 30 बजे मीडिया को संबोधित करके होटल के बाहर निकले, बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर नारेबाजी करते रहे हुए उनपर हमला बोल दिया। स्वामी अग्निवेश को धकेल कर नीचे गिरा दिया गया, उनके कपड़े फाड़ दिये गये, पगड़ी खोल दी गयी और बीजेपी युवा मोर्चा कार्यकर्ता ”जय श्री राम…., अग्निवेश भारत छोड़ो, अग्निवेश पाकुड़ में नहीं रहना होगा, अग्निवेश गो बैक” जैसे नारे भी लगाते रहे।उक्त घटना के बाद पूरे देश में सनसनी फैल गयी। सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों पर चर्चा परिचर्चा शुरू हो गई। पाकुड़ पुलिस ने घटना स्थल से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया कुछ ही देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
आदिवासियों के लिए उठायी आवाज
बताते चलें कि इसके पहले स्वामी अग्निवेश झारखंड की राजनीतिक स्थिति पर भी टिप्पणी करते रहे हैं। सोमवार को स्वामी अग्निवेश, ‘आदिवासी बुद्धिजीवी मंच’ के सदस्य जॉनसन मसीह टूटी व अन्य ने खूंटी डीसी सूरज कुमार को उनके कार्यालय में ”अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संवैधानिक प्रावधान व अन्य कानूनों की जरूरत बनाम शांति व स्वच्छ प्रशासन” के विषय पर ज्ञापन सौंपा़ था। इसमें कहा गया है कि सरकार आदिवासी हित के कानूनों को बदलने की साजिश कर रही है। जबकि संविधान के भाग 10 के अनुच्छेद 244(1) के तहत पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का अनुपालन किया जाना है। यह अनुसूची, अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों की अलग -अलग भूमिकाओं व जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है।
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इस घटना से उपजे सवालों से अपना पल्ला झाड़ते हुए एसपी शैलेंन्द्र ने कहा कि स्वामी अग्निवेश के कार्यक्रम के संबंध में प्रशासन को कोई जानकारी नहीं थी। जैसे ही हमें घटना की जानकारी मिली हम घटना स्थल पर पहुंच गये। जबकि स्वामी अग्निवेश के अनुसार कार्यक्रम और उनके आने की सूचना आयोजकों और प्रशासन को दे दी गयी थी। वहीं स्वामी अग्निवेश से मारपीट करने वाले लोग कौन थे? के बारे में एसपी को जानकारी नहीं है जबकि भाजयुमो जिला अध्यक्ष प्रसन्न मिश्र ने आतंकवादियों की तर्ज पर घटना की जवाबदेही भी ली है।
अपराध स्वीकारोक्ति के बजाय स्वामी अग्निवेश पर नक्सलियों से संबंध रखने का आरोप
दूसरी ओर आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक व हिंदू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार ने पाकुड़ में स्वामी अग्निवेश के कार्यक्रम को अलगाववाद व नक्सलवाद का आधुनिक चेहरा बताया है। उनका आरोप है कि ”झारखंड में अलगाववाद को हवा देने और शहरी नक्सली आंदोलन को धार देने के लिए अग्निवेश को साजिश के तहत बुलाया गया था। एक साजिश के तहत पाकुड़ को चयनित करके पत्थलगड़ी आंदोलन को संताल में जमीन तलाशने की कोशिश थी। अग्निवेश पूरी तरह नास्तिक, धर्म विरोधी, हिंदू विरोधी व नक्सल समर्थक हैं। 2011 में छत्तीसगढ़ सरकार ने खुफिया विभाग को अग्निवेश की गतिविधियों पर नजर रखने का आदेश दिया था। दंतेवाड़ा में नक्सलियों से गुपचुप मिलना, भारतीय सेना के खिलाफ भड़काऊ बयान देना और नक्सलियों का हौसला बढ़ाने जैसे कई कार्यों से अग्निवेश का जीवन भरा पड़ा है।’ इतना ही नहीं राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह द्वारा स्वामी अग्निवेश को विदेशी दलाल कह दिया गया।
इस घटना के अंजामकर्ताओं का असली सच इससे अधिक और क्या हो सकता है कि जिस घटना पर पुलिस प्रशासन का बयान विरोधाभाषी हो, सरकार का मंत्री गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहा हो, संघ अपने बौद्धिक भड़ास में जनविरोधी और आदिवासी समाज पर ही सवाल खड़ा कर रहा हो, घटना का मास्टर बड़ी निर्भीकता से घटना की जवाबदेही ले रहा हो।
सच के पक्ष में खड़ा होने से भयभीत करने की कोशिश
तो साफ है कि अग्निवेश पर हमला सरकार और भगवा ब्रिगेड प्रायोजित है, जो देश के तमाम बुद्धिजीवियों, जनवाद पसंद लोगों, दलित—आदिवासी के पक्षकारों, समाजवादी चिंतकों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक चेतना फैलाने वालों को चुनौती दे रहा है। यह हमला इस बात की ताकीद है कि भगवा ब्रिगेड के पास एक बड़ी फौज है जो सामाजिक चेतना पैदा करने वालों को कुचलने के लिए काफी है। यह हमला सच के पक्ष में खड़ा होने वालों को डराने का एक सशक्त हथियार है। यह हमला अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति पर विराम लगाने की साजिश है।
देखा जाय तो स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले को राज्य के विपक्षी दलों ने काफी गंभीरता से लिया है और पूरे राज्य में इस घटना के विरोघ में सड़क से सदन तक विपक्ष एक साथ है।
सनातन धर्म का सबसे बड़ा दुश्मन है संघ
वहीं इस पूरी घटना के बारे में स्वामी अग्निवेश ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि संघ के लोग सनातन धर्म के सबसे बड़े दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि ”पाकुड़ में जहां मैं ठहरा था, वहां सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। मैं लिट्टीपाड़ा में पहाड़िया जनजाति के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गया था, वहां के लोगों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी थी। फिर भी सुरक्षा नहीं दी गयी।”
उन्होंने कहा कि मुझ पर हमला करने वाले एबीवीपी और भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता थे। अगर पत्रकार वहां नहीं होते, तो कुछ भी हो सकता था। मैं उनके सामने हाथ जोड़ता रहा, लेकिन वे मुझे लात-जूतों से मारते रहे। मेरे कपड़े फाड़ दिये। पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया भी, फिर 10 मिनट बाद छोड़ भी दिया। इससे लगता है कि राज्य सरकार ने एक सुनियोजित साजिश के तहत मुझ पर हमला करवाया है।”
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को फासिज्म की सरकार बताते हुए पूरे विपक्ष को इनके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया और पाकुड़ में अपने ऊपर हुए हमले को राज्य सरकार की साजिश करार देते हुए मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग भी की।
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि ”हमलावर जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। वे राम को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राम के नाम पर ये लोग कायरतापूर्ण हमले कर रहे हैं। यही लोग सनातन धर्म के सबसे बड़े दुश्मन हैं।”
आदिवासियों की अनदेखी कर रही है सरकार
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि ”पूरे भारत में आदिवासियों के अधिकार छीने जा रहे हैं। जंगल, जल, जमीन से उन्हें बेदखल किया जा रहा है। उनकी जमीनें अडाणी और अन्य उद्योगपतियों को दी जा रही है। झारखंड में 210 एमओयू हुए हैं। करीब 3.5 लाख एकड़ जमीन आदिवासियों से छीनकर उद्योगपतियों को दिया जाना है।” उन्होंने कहा कि ”पांचवीं अनुसूची लागू कर दिया जाये, तो आदिवासियों की कई समस्याएं स्वत: खत्म हो जायेंगी। मामले पर मैं झारखंड की राज्यपाल से पिछले साल मिला था उनसे अपील की थी कि वे आदिवासी हैं, इस दिशा में पहल करें और इसे लागू करायें। मगर कोई पहल नहीं हुआ। 1996 में पेसा एक्ट पारित हुआ है पर किसी राज्य ने रूल नहीं बनाया जिसके कारण यह लागू नहीं हो पा रहा है।”
स्वामी अग्निवेश ने राज्य सरकार के साथ राज्यपाल पर भी आदिवासियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ”जून में मैं रांची आया था और मुख्यमंत्री के साथ राज्यपाल से भी मिला था। दोनों से कहा था कि आदिवासियों के हितों की अनदेखी न करें, उन्हें संरक्षण देने वाले पेसा कानून को लागू करवायें।”
उन्होंने कहा कि ”एक बार फिर वह इस बारे में मुख्यमंत्री और राज्यपाल से बात करना चाहते थे। इसलिए दोनों से समय मांगा था। मुख्यमंत्री विधानसभा की कार्यवाही में व्यस्त होने की वजह से समय नहीं दे पाये। जबकि बुधवार सुबह 11 बजे राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से उनकी मुलाकात का समय तय था, लेकिन उसे रद्द कर दिया गया।”
एकजुट हो विपक्ष
स्वामी अग्निवेश ने सभी विरोधी दलों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘यदि मिलकर इनका मुकाबला नहीं किया, तो ये फासिस्ट ताकतें पूरे देश को खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि ”उनके जैसे संन्यासी पर हमला किया गया। वे तो बच गये, लेकिन कोई कमजोर, गरीब कैसे बचेगा। उन्होंने कहा कि हत्यारी भीड़ का सबसे बड़ा शिकार गरीब और निर्दोष लोग हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का भी असर इनके ऊपर नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट को कोर्ट आॅफ कंटेप्ट का मामला लेना चाहिए।”
मैं गोमांस का समर्थक नहीं
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि पाकुड़ में मुझ पर हमला करनेवाले लोग नारा लगा रहे थे कि मैं गोमांस का समर्थक हूं। मैंने, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही कहा, मैं किसी भी तरह के मांस का पक्षधर नहीं हूं। मैं जीव हत्या के खिलाफ हूं। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह द्वारा स्वामी अग्निवेश को विदेशी दलाल कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मैं सीपी सिंह जी से जानना चाहता हूं कि मुझसे क्या गलती हो गयी। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि वे मुझे अपने घर पर आमंत्रित करें। मुझे बताइये कि मुझसे क्या गलती हुई है और यदि गलती हुई है, तो मैं उनसे माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं।
बहरहाल, यह तो साफ है कि पाकुड़ में स्वामी अग्निवेश के उपर हमला बेवजह नहीं था। हमला करने वाले सामान्य असामाजिक तत्व नहीं थे। अग्निवेश पर हमला कर उन्होंने यह साफ कर दिया कि जो आदिवासियों की बात करेगा, उनके हक-हुकूक के लिए आवाज उठाएगा, उसके साथ भगवाधारी ऐसा ही व्यवहार करेंगे।
(कॉपी एडिटर : नवल/सिद्धार्थ)
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