इक्कीसवीं सदी में बहुजन विमर्श महत्वपूर्ण विमर्शों में शामिल हो गया है। फिर चाहे वह राजनीति हो या अन्य सामाजिक आयाम। देश के बहुजनों में चेतना बढ़ी है। इसी चेतना को आगे बढ़ाने की दिशा में गतिशील फारवर्ड प्रेस अपनी पुस्तकों के साथ पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है। हाल के वर्षों में फारवर्ड प्रेस की किताबों ने बौद्धिक जगत में अपनी पैठ बनायी है। हाल ही में प्रकाशित ‘जाति का विनाश’ और महिषासुर विमर्श को आगे बढ़ाती पुस्तक ‘महिषासुर मिथक व परंपराएं’ उल्लेखनीय हैं।
‘जाति का विनाश’ बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के कालजयी भाषण ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’(1936 में जिसे उन्हें देने नहीं दिया गया) का हिंदी अनुवाद है। इस बारे में जाने माने दलित लेखक व चिंतक मोहनदास नैमिशराय कहते हैं कि यह किताब बहुजनों को शोषणकारी मनुवादी सामाजिक व्यवस्था से मुक्ति का मार्ग बताती है। यह हर बहुजन को अवश्य पढ़नी चाहिए ताकि वे अपने उपर हो रहे शोषण के मौलिक तत्वों को पहचान सकें और उनसे मुक्ति पा सकें।
‘बहुजन साहित्य की प्रस्तावना’, ‘चिंतन के जनसरोकार’, ‘जाति के प्रश्न पर कबीर’, ‘महिषासुर एक जननायक’ आदि किताबें भी बहुजन विमर्श के विभिन्न आयामों को विस्तार देती हैं। इनमें कमलेश वर्मा द्वारा लिखित ‘जाति के प्रश्न पर कबीर’ जहां एक ओर कबीर की जाति को लेकर हिंदी साहित्य जगत में अबतक हुई बहसों के बारे में बताती है ताे दूसरी ओर वह कबीर को लेकर द्विजों द्वारा गढ़े गये मिथकों को तोड़ती भी है। बहुजन साहित्य की प्रस्तावना हिंदी साहित्य में प्रभावी द्विज दृष्टिकोण को चुनौती देती है। यह स्वयं को दलित साहित्य से अलग नहीं करती है बल्कि दलित साहित्य, ओबीसी साहित्य, आदिवासियों के साहित्य और स्त्रियों के साहित्य को मिलाकर वृहत्तर समुच्चय का निर्माण करती है।
फारवर्ड प्रेस ने अपनी पुस्तकों को सर्वसुलभ कराने के तमाम उपाय किये हैं। स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटरों के अलावा इंटरनेट पर उपलब्ध रिेटेलिंग वेबसाइटों के जरिए इन किताबों को आसानी से खरीदा जा सकता है। वहीं ‘कागज मुक्त दुनिया, हरी-भरी दुनिया’ को प्रोत्साहित करने के लिए फारवर्ड प्रेस द्वारा अपनी किताबों को किंडल पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है। बजट के लिहाज से भी पुस्तक प्रेमियों के लिए यह बेहतर विकल्प है। कम पैसे में किताबों का किंडल संस्करण खरीदा जा सकता है और पीडीएफ के रूप में पुस्तक प्रेमी चाहें तो लंबे समय तक अपने पास रख सकते हैं।
एक नजर में फारवर्ड प्रेस की किताबें
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(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in