लोकसभा चुनाव पास आने के साथ ही राजनीतिक पार्टियां मुद्दों की तलाश और नयी गोलबंदी में जुट गयी हैं। इसके लिए नये-नये समीकरण बनाये जा रहे हैं और ‘भरोसे के वोट’ की खोज शुरू हो गयी है। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते 30 सितंबर 2018 को कुशवाहा नेताओं के साथ अपने सरकारी आवास पर बैठक की और कुशवाहा जाति में आधार बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा की। इसमें कुशवाहा जाति के सांसद, विधायक और विधान पार्षदों साथ ही पूर्व विधायकों व विधान पार्षदों को बुलाया गया था। पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में पदस्थापित लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। इस बैठक का मकसद केंद्रीय मंत्री और रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा का नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रामक तेवर का जवाब देना था। बैठक में मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर प्रतिबंध था। साथ ही बैठक में शामिल सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को बैठक की कार्यवाही की फोटो लेने से रोक दिया गया था।
उपेंद्र कुशवाहा के बयान से नाराज हुए नीतीश
भाजपा और नीतीश कुमार के बीच भरोसे का संकट बढ़ता जा रहा है। नीतीश कुमार के खिलाफ उपेंद्र कुशवाहा का आक्रामक तेवर पर भाजपा की चुपी जदयू को नागवार गुजर रहा है। जदयू के एक खेमे का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के इशारे पर ही नीतीश पर हमला कर रहे हैं और मुख्यमंत्री का कद छोटा करना चाहते हैं। इस स्थिति में उपेंद्र कुशवाहा के आक्रामक तेवर को लेकर नीतीश कुमार की चुपी भी कार्यकर्ताओं को खलने लगी थी। जदयू के कुशवाहा कार्यकर्ताओं में भी आक्रोश बढ़ता जा रहा था।
इसी आलोक में नीतीश कुमार ने जदयू के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलायी और कुशवाहा समाज को संकेत देने का निर्णय लिया। बैठक में नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा पर निशाने साधते हुए कहा कि जिसे हमने अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, वही हमें राह बताने लगा है। पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति के लिए 15 वर्ष का मुख्यमंत्री का कार्यकाल अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए काफी होता है। यह मौका नीतीश कुमार को मिल गया, अब नये व्यक्ति को मौका मिलना चाहिए। कुशवाहा ने यह भी कहा था कि एनडीए को 2020 के लिए मुख्यमंत्री के नये उम्मीदवार की घोषणा कर देनी चाहिए। यह नीतीश को काफी नागवार गुजरा और अब कुशवाहा जाति को साधने की रणनीति में जुट गये हैं।
राजनीति के साथ घोषणायें भी
बैठक में सीएम ने कहा कि सरकार किसानों की सब्जी खरीदेगी और सब्जी की मार्केटिंग भी करेगी, ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके। किसानों से उनका आशय कुशवाहा जाति से था। बैठक के दौरान ही कुशवाहा राजनीतिक विकास मंच के गठन की घोषणा की गयी और सरकार की विकास योजनाओं की जानकारी कुशवाहा जाति तक पहुंचाने के लिए सत्रह टीमों का गठन भी किया गया। सीएम ने कुशवाहा समाज पर अपना भरोसा भी जताया।
उधर, मुजफ्फरपुर आश्रयगृह बलात्कार कांड के बाद कुशवाहा जाति की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा से सीएम ने इस्तीफा ले लिया था। इससे भी कुशवाहा जाति के लोग नाराज थे। बैठक में इस संबंध में भी उनकी शिकायत दूर की गयी।
विकास पुरुष की छवि हुई धूमिल
पिछले कई महीनों से मुख्यमंत्री के इशारे पर पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद आरसीपी सिंह अतिपिछड़ा वर्ग का जिला स्तरीय सम्मेलन कर रहे थे। इसके माध्यम से अतिपिछड़ों में पार्टी के आधार बढ़ाना चाहते थे। अब दलित व महादलितों के सम्मेलन की शुरुआत हुई है। इसका भी जिलावार सम्मेलन का कार्यक्रम तय कर दिया गया है। पार्टी के महिला प्रकोष्ठ के माध्यम से भी महिलाओं को जोड़ने का प्रयास चल रहा है।
दरअसल नीतीश कुमार के दुबारा भाजपा के साथ जाने के बाद उनकी राजनीतिक साख काफी गिरी है। उनके समर्थकों को ही महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ जाने का मायने समझ में नहीं आ रहा है। हत्या, बलात्कार और अपहरण की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। इससे सुशासन की उनकी छवि भी धूमिल हो रही है। विकास का आवरण भी अब तार-तार होने लगा है। वैसी स्थिति में नीतीश अब जाति और जातीय सम्मेलन से ताकत अर्जित करने की कोशिश कर रहे हैं। सवर्ण आरक्षण पर जदयू का दो-टूक बयान पिछड़ों को जोड़ने रखने की कवायद ही थी। इस बयान से भाजपा नाराज बतायी जाती है।
उपेंद्र कुशवाहा को नेता नीतीश ने ही बनाया : अभय
बहरहाल विधायक सह जदयू के प्रदेश युवा अध्यक्ष अभय कुशवाहा का कहना है कि सूबे के अस्सी फीसदी कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ ही हैं। उन्होंने पार्टी संगठन से लेकर विधायकी, सांसदी और आयोगों में कुशवाहा समाज को समुचित भागीदारी दी है। अभय कुशवाहा ने यह भी कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को विधानसभा में विपक्ष का नेता और फिर राज्यसभा नीतीश कुमार ने ही भेजा था।
बहरहाल, नीतीश कुमार विकास और सिद्धांत की राजनीति के साथ जाति की ताकत को आजमाना चाहते हैं। जातीय गोलबंदी के माध्यम से अपना बाजार भाव भी मजबूत बनाये रखना चाहते हैं। इसका फायदा तभी मिलेगा, जब इसका असर सत्ता के गलियारा में भी दिखने लगेगा। नीतीश कुमार की अब पूरी रणनीति गठबंधन के साथ ही अपनी ताकत बढ़ाने का है। इसकी प्रयास शुरू हो गया है। उम्मीद कर सकते हैं कि धीरे-धीरे अन्य जातियों का भी बैठक व सम्मेलन मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर होगा।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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