बहन के नाम पाती
- अरविन्द जैन
बहन के नाम पाती
प्रिय बहन !
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर परेशान हूं कि तुम्हें क्या सलाह दूं? सारे कानून पढ़ने, सोचने समझने और विचारने के बाद मैं तो सिर्फ इतना ही समझ पाया हूं कि तुम ‘व्यभिचार’ के आधार पर अपने पति को कोई सजा नहीं दिला सकती क्योंकि तुम्हारे पति जो कर रहे हैं वह कानून की नजर में ‘व्यभिचार’ नहीं है और अगर हो भी तो सजा दिलवाने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है। अपने पति के विरुद्ध तुम सिर्फ तलाक के लिए मुकदमा दायर कर सकती हो और वह भी बिना किसी ठोस सबूत और गवाहों के मिलना तो मुश्किल ही है।
पूरा आर्टिकल यहां पढें : व्यभिचार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट : स्त्री जाए तो जाए कहां?