h n

सभी जातियों के नौजवान! इस छोटेपन से बचिये

हिंदी के ख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कहते हैं कि जो आदमी अपनी जाति को अच्‍छा और दूसरी जाति काे बुरा मानता है वह छोटे मिजाज का आदमी होता है। दिनकर द्वारा रामसागर चौधरी को लिखे इस खत में उन्होंने जातिवाद के प्रति अपनी पीड़ा व्यक्त की है

प्रिय श्री रामसागर चौधरी,

मैं जातिवादी नहीं हूं। तब भी अनेक बार लोगों ने मेरे विरुद्ध प्रचार किया है और जैसा आपने लिखा है, वे अब ऐसी गन्‍दी बातें बोलते हैं। लेकिन, तब मैं जातिवादी नहीं बनूंगा। अगर आप भूमिहार-वंश में जनमे या मैं जनमा तो यह काम हमने अपनी इच्‍छा से तो नहीं किया, उसी प्रकार जो लोग दूसरी जातियों में जनमते हैं, उनका भी अपने जन्‍म पर अधिकार नहीं होता। हमारे वश की बात यह है कि भूमिहार होकर भी हम गुण केवल भूमिहारों में ही नहीं देखें। अपनी जाति का आदमी अच्‍छा और दूसरी जाति का बुरा होता है, यह सिद्धान्‍त मान कर चलनेवाला आदमी छोटे मिजाज का आदमी होता है।सच ही, मैं आपको नहीं जानता तब भी आपका 28-2-61 का पत्र पढ़ दु:खी हुआ। यह लज्‍जा की बात है‍ कि बिहार के युवक इतनी छोटी बातों में आ पड़े।

पूरा आर्टिकल यहां पढें सभी जातियों के नौजवान! इस छोटेपन से बचिये

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

लेखक के बारे में

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (23 सितंबर 1908- 24 अप्रैल 1974) आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। उनका जन्म बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था। उन्हें उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा ‘उर्वशी’ के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ, तो उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया। दिनकर 12 वर्ष तक संसद-सदस्य रहे

संबंधित आलेख

डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...
सरल शब्दों में समझें आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान
डॉ. आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखकर देश के विकास, अखंडता और एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया और सभी नागरिकों को...
संविधान-निर्माण में डॉ. आंबेडकर की भूमिका
भारतीय संविधान के आलोचक, ख़ास तौर से आरएसएस के बुद्धिजीवी डॉ. आंबेडकर को संविधान का लेखक नहीं मानते। इसके दो कारण हो सकते हैं।...