प्रिय श्री रामसागर चौधरी,
मैं जातिवादी नहीं हूं। तब भी अनेक बार लोगों ने मेरे विरुद्ध प्रचार किया है और जैसा आपने लिखा है, वे अब ऐसी गन्दी बातें बोलते हैं। लेकिन, तब मैं जातिवादी नहीं बनूंगा। अगर आप भूमिहार-वंश में जनमे या मैं जनमा तो यह काम हमने अपनी इच्छा से तो नहीं किया, उसी प्रकार जो लोग दूसरी जातियों में जनमते हैं, उनका भी अपने जन्म पर अधिकार नहीं होता। हमारे वश की बात यह है कि भूमिहार होकर भी हम गुण केवल भूमिहारों में ही नहीं देखें। अपनी जाति का आदमी अच्छा और दूसरी जाति का बुरा होता है, यह सिद्धान्त मान कर चलनेवाला आदमी छोटे मिजाज का आदमी होता है।सच ही, मैं आपको नहीं जानता तब भी आपका 28-2-61 का पत्र पढ़ दु:खी हुआ। यह लज्जा की बात है कि बिहार के युवक इतनी छोटी बातों में आ पड़े।
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