आपराधिक सवर्णवाद के संरक्षण की पोल खोलती निर्मम हत्या
दलिताें, खासकर दलित महिलाआें पर हाे रहे अत्याचाराें पर लगाम नहीं लग पा रही है। इन अत्याचाराें पर तब कई सवाल खड़े हाेते हैं, जब शासन-प्रशासन खामाेश रहता है और अपराध और अपराधी के खिलाफ समाज के जिम्मेदार लाेग और मीडिया आवाज तक नहीं उठाते। और ऐसा तब ही अधिक हाेता है, जब अपराधी उच्च जाति का हाे या दबंग या रसूकदार हाे। हाल ही में तमिलनाडु में ऐसा ही हुआ है, जहां एक दलित किशाेरी का सिर काटने वाले पर काेई ठाेस कार्रवाई नहीं हाे रही है।
घटना तमिलनाडु स्थित थालावैपत्ती से 14 किमी दूर अत्तुर के नजदीक स्थित सलेम के एक दूर-दराज गांव की है। यहां 14 वर्षीय दलित किशाेरी राजलक्ष्मी की एक उच्च जाति के दिनेश नाम के उम्रदराज़ व्यक्ति ने सिर काटकर हत्या कर दी। यह घिनाैना और आपराधिक कृत्य दिनेश ने तब किया, जब उसके द्वारा लगातार किए जा रहे याैन शोषण का राजलक्ष्मी ने विराेध करना शुरू किया और उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी। 22 अक्टूबर, 2018 की जिस रात राजलक्ष्मी की हत्या हुई, उस रात उसके पिता घर से बाहर अपनी ड्यूटी पर थे। राजलक्ष्मी अपनी मां के साथ फूल गूंथ रही थी। दलितों के बीच मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाली संस्था एविडेंस के कार्यकारी निदेशक ए. कथिर के अनुसार, ‘‘उसी दरमियान दिनेश उसके घर आया और हंसिये (फसल काटने का एक धारदार हथियार) से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया।’’
आराेपी काे भेजा जेल
दिनेश यहीं नहीं रुका। वह राजलक्ष्मी का सिर लेकर अपने घर पहुंचा। दिनेश के इस आपराधिक कृत्य का उसकी पत्नी शारदा ने भी विराेध नहीं किया और उस सिर को कहीं और फेंक देने के लिए कहा। फिर कुछ देर की बातचीत के बाद दोनों पति-पत्नी राजलक्ष्मी का सिर लेकर निकट के अत्तुर पुलिस स्टेशन गए। आराेपी दिनेश की पत्नी शारदा ने पुलिस को बताया कि जब उसने नाबालिक दलित लड़की के सिर को उसके धड़ से अलग किया था, उस समय उसके पति की मानसिक हालत ठीक नहीं है। हालांकि, जब पुलिस ने दिनेश से बातचीत की, ताे पाया कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से फिट है। इस मामले में अत्तुर पुलिस स्टेशन में तैनात हेड कांस्टेबल वेंक्टेश्वर ने बताया, ‘‘23 तारीख काे दिनेश काे गिरफ्तार करके धारा-302 के तहत मामला दर्ज करके सलेम सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। हालांकि, इस केस में अभी चार्जशीट दायर नहीं की गई है।’’
घटना के पीछे की कहानी
बताया जाता है कि दिनेश राजलक्ष्मी का काफी समय से जबरन याैन शाेषण कर रहा था। राजलक्ष्मी ने यह बात कई बार अपनी मां चिन्नापोन्नू काे भी बताई थी, लेकिन बदनामी, गरीबी और दलित हाेने, खासकर दिनेश के उच्च जाति का और दबंग हाेने के कारण वह भी खामाेश रही और राजलक्ष्मी काे भी चुप रहने काे कहा। जब राजलक्ष्मी काे ‘मी टू’ अभियान के बारे में पता चला, तो उसने भी अपना मुंह खोलने का मन बनाया और दिनेश को धमकी दी कि अपने साथ हो रहे यौन शोषण को लेकर अब चुप नहीं रहेगी। राजलक्ष्मी की इस बात से दिनेश अपनी सामाजिक बदनामी और कानूनी कार्रवाई की आशंका को लेकर परेशान हो गया और उसने इस क्रूर घटना को अंजाम दे डाला। नाबालिग राजलक्ष्मी के साथ हाे रहे अत्याचार का उसके पिता काे भी पता नहीं चला। उसका कारण शायद यह था कि राजलक्ष्मी शर्म से अपने पिता काे नहीं बता पा रही थी और उसकी मां डर से। इससे दिनेश के हाैसले और भी बढ़े हुए थे। दिनेश के लिए राजलक्ष्मी इसलिए भी आसान शिकार थी, क्याेंकि किशाेरी के पिता कब्रिस्तान में एक दैनिक मजदूर हैं और अक्सर रात को ड्यूटी पर रहते हैं। बताया जा रहा है कि राजलक्ष्मी कक्षा आठ में पढ़ रही थी।
क्या कमजाेर किया जा रहा राजलक्ष्मी का केस?
राजलक्ष्मी का केस बहुत मजबूत दिखाई नहीं दे रहा है। वह इसलिए, क्याेंकि दिनेश के खिलाफ सिर्फ हत्या की एफआईआर दर्ज करके उसे जेल भेजा गया है। जबकि उस पर नाबालिग का याैन शाेषण करने, उसे तथा उसके परिजनाें काे धमकाने और अत्याचार करने, पूरे हाेशाे-हवास में हत्या करने जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हाेने चाहिए। साथ ही पुलिस ने इस मामले में अभी तक चार्जशीट दायर नहीं की है। मीडिया ने भी इस मामले काे नहीं उठाया। कहीं ऐसा ताे नहीं कि इतने बड़े मामले काे कमजाेर करने की साजिश हाे रही है? अगर नहीं, ताे समाजसेवी संगठन, मीडिया और नेता आगे आकर राजलक्ष्मी के परिजनाें काे न्याय दिलाने के लिए क्याें प्रयास नहीं कर रहे हैं। ताकि, पीड़िताें काे न्याय मिल सके और काेई दूसरा दिनेश किसी मजबूर राजलक्ष्मी के साथ ऐसा घिनाैने अपराध न कर सके। साथ ही तमिलनाडु सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि इतने बड़े केस में वह अनजान न बने और आराेपी काे कड़ी से कड़ी सजा दिलाकर पीड़ित परिवार के साथ न्याय करे।
(काॅपी संपादन : प्रेम)
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