मूलनिवासियों द्वारा अपनी आजादी, आदिवासियों में सांस्कृतिक चेतना जगाने, ब्राह्मणवादियों की गुलामी से मुक्ति महसूस करने की पहल देशभर में व्यापक पैमाने पर हो रही है। देश के कोने-कोने में बड़े पैमाने पर हो रहे सांस्कृतिक आंदोलन मूलनिवासियों में अपने पूर्वजों, आदर्शों और जननायकों के प्रति गर्व महसूस कराने की पहलकदमी कर रहे हैं। अपनी पृथक सांस्कृतिक पहचान कायम करने वाला बंगाल भी इससे अछूता नहीं है।
पूरा आर्टिकल यहां पढें : आंखों-देखी : बंगाल में द्विज परंपराओं को दलित-बहुजन दे रहे चुनौती