h n

सवर्णों को नहीं देें अपना वोट : चंद्रशेखर रावण

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आह्वान किया है कि दलित सवर्ण उम्मीदवारों को वोट न दें। उन्होंने जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने और दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों को हथियार का लाइसेंस देने की मांग भी की। फारवर्ड प्रेस की खबर :

पटना के गांधी मैदान में जुटी हजारों की भीड़

बीते 21 नवंबर 2018 को बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भीम आर्मी के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग जुटे। इसे भीम क्रांति महारैली की संज्ञा दी गयी थी। इसका आयोजन भीम आर्मी की बिहार यूनिट ने किया था। पूरा गांधी मैदान नीले रंगों से पट गया था। समर्थक सुबह से ही गांधी मैदान पहुंचने लगे थे। गांधी मैदान का माहौल भी क्रांतिमय हो गया था। जय भीम के नारों से गांधी मैदान गूंज रहा था। रैली में कार्यकर्ताओं ने देश को नीले रंग से रंगने का संकल्प भी लिया। इस मौके पर भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण ने दलितों से सवर्ण उम्मीदवारों को वोट नहीं देने का आह्वान किया।

इससे पहले गांधी मैदान में पहुंचे भीम आर्मी के कार्यकर्ता भीम आर्मी के संस्‍थापक चंद्रशेखर रावण को सुनने को बेताब थे। इससे पहले भीम आर्मी के पदाधिकारी सभा को संबोधित कर रहे थे। करीब सवा तीन बजे चंद्रशेखर सभा को संबोधित करने के लिए आगे बढ़े। पूरा गांधी मैदान जय भीम के नारों से गुंजने लगा।

पटना के गांधी मैदान में भीम क्रांति महारैली को संबोधित करते भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण

जय भीम के नारे से की शुरूआत

चंद्रशेखर ने अपने भाषण की शुरुआत ‘जय भीम’ के नारे से की। डॉ. भीमराव आंबेडकर की उस बात पर भी फोकस किया, जिसमें बाबा साहब ने कहा था कि ‘जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक भीमराव अंबेदकर जीवित रहेगा।’ भीम क्रांति रैली के औचित्‍य को संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ आंदोलन से जोड़ते हुए रावण ने कहा कि हरी घास में छुपकर हरियाली का आनंद लेने वाले सांप (दलित सांसद) दलितों के खिलाफ कानून का समर्थन करते हैं और सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग करते हैं। ऐसे सांपों को खत्‍म करने की जरूरत है।

आरक्षण और हथियारों के लाइसेंस की मांग

अपने संबोधन में रावण ने जनसंख्‍या के अनुपात में आरक्षण, विश्वविद्यालयों में रोस्‍टर प्रणाली लागू करने, दलितों, पिछड़ों और अल्‍पसंख्‍यकों को हथियार का लाइसेंस देने की मांग की। उन्‍होंने समान शिक्षा प्रणाली लागू करने, सच्‍चर कमेटी की अनुशंसा लागू करने, न्‍यायपालिका में आरक्षण देने, ईवीएम हटाने आदि की मांग की। रावण ने कहा कि सवर्णों ने दलित आरक्षण विरोधी रवैये में परिवर्तन नहीं लाया तो दलित वोटर सवर्ण उम्‍मीदवारों को वोट नहीं देंगे। रैली को बिहार यूनिट के अध्‍यक्ष अमर आजाद ने भी संबोधित किया।

भीम क्रांति महारैली में बड़ी संख्या में शामिल हुए भीम आर्मी के सदस्य

रावण की सभा में पहुंचे कार्यकर्ताओं में भी काफी उत्‍साह था। बातचीत में कार्यकर्ताओं ने कहा कि बिहार में परिवर्तन की शुरुआत हो रही है। बाबा साहेब के सपनों का साकार करने के लिए आर्मी कटिबद्ध है। जहानाबाद से आये संजय पासवान ने कहा कि चंद्रशेखर रावण दलितों की नयी उम्‍मीद हैं। युवाओं के नये भरोसा है। बिक्रमगंज के धीरा चौधरी ने कहा कि दलितों के हितों पर अब नये सिरे से हमले किये जा रहे हैं। आरक्षण खत्‍म करने की साजिश की जा रही है। इसके खिलाफ हम सभी एकजुट हैं। हाजीपुर के नीरज कुमार का मानना है कि आज की रैली से एक नयी शुरुआत हो रही है। हम उम्‍मीद करते हैं कि इसका सार्थक और दूरगामी परिणाम सामने आयेगा।  

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। हमारी किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति, सामाज व राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के सूक्ष्म पहलुओं को गहराई से उजागर करती हैं। पुस्तक-सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

वीरेंद्र यादव

फारवर्ड प्रेस, हिंदुस्‍तान, प्रभात खबर समेत कई दैनिक पत्रों में जिम्मेवार पदों पर काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव इन दिनों अपना एक साप्ताहिक अखबार 'वीरेंद्र यादव न्यूज़' प्रकाशित करते हैं, जो पटना के राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चित है

संबंधित आलेख

आंबेडकरवादी राजनीति : फैशन या लोकतांत्रिकरण?
सच तो यह है कि आंबेडकर का नाम बार-बार लेना (अमित शाह के शब्दों में फैशन) राजनीतिक संस्कृति के लोकतांत्रिकरण का एक प्रमाण है।...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : सांप्रदायिकता का खेल तेज
दिल्ली में ज्यादातर गरीब मुसलमानों और दलितों की ऐसी बस्तियां हैं, जहां पानी, सड़क और सफाई जैसी बुनियादी समस्याएं हैं। लेकिन राजनीतिक दल इन...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित, ओबीसी और मुसलमानों के लिए तमिलनाडु मॉडल ही एकमात्र विकल्प (अंतिम भाग)
ओबीसी, दलित और मुसलमानों को सुरक्षा और स्वाभिमान की राजनीति चाहिए जो कि मराठा-ब्राह्मण जातियों की पार्टियों द्वारा संभव ही नहीं है, क्योंकि सत्ता...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : हर पार्टी की नज़र दलित वोटरों पर
सत्तर सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 12 सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। लेकिन दिल्ली की 16.75 प्रतिशत फीसदी से ज़्यादा आबादी...
जाति-विरोधी नजरिए से 2024 के भारतीय सिनेमा की पड़ताल
तंगलान, कोट्टुकाली (जिद्दी लड़की), ब्लू स्टार और वाझाई – ये चारों फिल्में तमिल सिनेमा में एक परिवर्तनकारी दौर के आगाज़ की ओर इंगित करती...