बहु-वैकल्पिक प्रश्नों (एमसीक्यू) के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लिए कम्प्यूटरीकृत ऑनलाइन प्रवेश परीक्षाओं की घोषणा जिस रूप में सामने आयी है,उसमें पहली ही नज़र में सिर्फ़ एक और नौकरशाही हस्तक्षेप, बीमार मानसिकता, और उच्च शिक्षा नीति को लेकर जल्दबाज़ी दिखती है। जो कुछ हो रहा है,उसे लेकर हमें सतर्क रहने की ज़रूरत है, क्योंकि उच्च शिक्षा दो तरह के जबरदस्त और कहीं ज़्यादा व्यापक बदलाव से गुज़र रही है। पहला बदलाव तो सरकारी विश्वविद्यालय प्रणाली का विध्वंस है और इसकी जगह निजी विश्वविद्यालयों को लाए जाने की योजना है,जो विश्वविद्यालयों को मुनाफ़ा कमाने वाले संगठनों के रूप में चलाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होंगे। हालांकि, यह प्रक्रिया नरेंद्र मोदी के शासन में आने से पहले से ही चल रही है।
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