बीते चार वर्षों से नेट, गेट उत्तीर्ण करने वाले रिसर्च स्कॉलरों की फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ी है, जबकि हर चार साल में फेलोशिप की राशि बढ़ाने का प्रावधान है। इसे लेकर देश भर के शोधार्थी आंदोलन के मूड में हैं। हालांकि एक खबर यह भी है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही फेलोशिप में 15 फीसदी की वृद्धि करने जा रहा है। मंत्रालय के फैसले के बाद जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) को 25,000+ एचआरए के स्थान पर 28,750+ एचआरए और सीनियर रिसर्च फेलो (एसआरएफ) को 28,000+ एचआरए के स्थान पर 32,200+ एचआरए मिल सकेगा। मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो यह नियम इसी सप्ताह से लागू होगा।
प्रत्येक चार साल में होती रही है वृद्धि
बताते चलें कि प्रत्येक चार वर्ष के बाद राशि में वृद्धि का प्रावधान है। लेकिन फिलहाल अंतिम वृद्धि के चार साल पूरा हुए छह महीने से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) से उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा है। इस कारण शोधार्थियों को आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब देश भर के लाखों जूनियर रिसर्च फेलो व सीनियर रिसर्च फेलो फेलोशिप बढ़ाने के लिए इस तरह अपनी आवाज बुलंद कर रहे हों। इससे पहले फेलोशिप राशि व भत्ता बढ़ाने के लिए 2014 में भी इसी तरह हजारों रिसर्च फेलो को आंदोलन करना पड़ा था।
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इस साल भी आंदोलन के मूड में थे शोधार्थी
इस साल भी 2014 की तरह फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ाए जाने पर पिछले दिनों ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर के बैनर तले नई दिल्ली स्थित एम्स में देश के तमाम संस्थानों के रिसर्च स्कॉलर्स के प्रतिनिधियों ने बैठक भी की और कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए एमएचआरडी सहित केंद्र सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डॉ. के. विजय राघवन को मांगों का मेमरेंडम देने का फैसला किया गया। इस मामले में फारवर्ड प्रेस से बातचीत में सोसायटी फॉर यंग साइंटिस्ट के अध्यक्ष व पीएचडी स्कॉलर लालचंद विश्वकर्मा ने बताया कि वे लोग केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी मिल चुके हैं और उन्होंने फंड बढ़ाने पर सहमति भी जताई, लेकिन अब तक फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ पाई है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री के कहने पर ही प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डॉ. राधवन से लगातार मिल रहा हूं, लेकिन फौरी मौखिक आश्वासन के सिवाय कुछ भी उनसे नहीं मिल पा रहा है।
बहरहाल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिल रही जानकारी के अनुसार, ‘‘फेलोशिप की राशि को बढ़ाने का फैसला हो चुका है। ऐसे में पहले से शोधार्थियों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन पर विराम लग जाएगा।’’
(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)
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