समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने सुप्रीम कोर्ट में दलितों, आदिवासियों और ओबीसी का पक्ष नहीं रखा। इस कारण ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को जायज ठहराया है, जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालयों में नियुक्ति मामले में आरक्षण का निर्धारण विश्वविद्यालय के बजाय विभागवार हो।

फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर बातचीत में धर्मेंद्र यादव ने कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट मामले में कमजोर पैरवी की थी और तदुपरांत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण यह एक्ट कमजोर हुआ था, उसी प्रकार से विश्वविद्यालयों में आरक्षण के मामले में भी सरकार की ओर से कमजाेर पैरवी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला सुनाया है, उसकी मूल वजह यही है।

उन्होंने कहा कि मैंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़़ेकर से मिलकर अनुरोध किया था कि सरकार अध्यादेश लाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाए ताकि विश्वविद्यालयों में दलितों, आदिवासी और ओबीसी काे समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके। तब जावड़ेकर जी ने आश्वासन भी दिया था लेकिन चलते सत्र में सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई। मैं मांग करता हूं कि सरकार जल्द से जल्द अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उच्च शिक्षा में आरक्षित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल सकेगा।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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