देश की राजधानी दिल्ली से बच्चे गायब किए जा रहे हैं। इस संबंध में एक पंफलेट जारी कर दिल्ली के आम-अवाम को जागरूक करने का प्रयास करने वाले संगठन नव दृष्टि की संस्थापक सचिव रीना बनर्जी के मुताबिक, ‘‘आरटीआई से मिले आंकड़ों को हम जारी करते हैं। उनके मुताबिक, 2016 में प्रतिदिन 22 बच्चे गायब हुए थे। 2017 में 19 बच्चे प्रतिदिन और 2018 में 16 बच्चे प्रतिदिन के हिसाब से गायब हुए हैं।’’
दरअसल, नव दृष्टि का एक पंफलेट फारवर्ड प्रेस के एक प्रतिनिधि को पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर में मिला। इसमें दी गई सूचनाएं डराने वाली थीं। साथ ही इसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, दिल्ली बाल अधिकार संरक्ष्रण आयोग, दिल्ली के पुलिस आयुक्त कार्यालय के पते और संपर्क संख्याएं दर्ज थीें। इसके अलावा गुमशुदा बच्चों के संबंध में शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 1094, 01123241210 और चाइल्ड हेल्पलाइन का नंबर 1098 दर्ज था।
पंफलेट में दी गई सूचनाओं की पुष्टि के लिए फारवर्ड प्रेस ने पंफलेट जारी करने वाली संस्था और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारियों से बात की। हैरानी तब हुई, जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस मामले में असंवेदनशीलता का प्रदर्शन करते हुए टालमटोल का रवैया अपनाया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से नहीं मिला जवाब
फारवर्ड प्रेस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (36 जनपथ) के फोन नंबर- 011-23728200 पर कॉल की। फोन किसी महिला ने उठाया, उन्होंने हमारा सवाल ‘दिल्ली में पिछले एक वर्ष में कितने बच्चे गुम हुए और उनमें कितने मिल सके?’ सुना और एक नया नंबर- 011-23728220 दे दिया। इस नंबर पर कॉल करने पर एक नया नंबर- 011-23728254 दे दिया गया। जब हमने इस नंबर पर हमने कॉल की तो वहां की सीनियर कंसल्टेंट निधि से बात हुई। उन्होंने सवाल सुना और दोपहर बाद दोबारा कॉल करने को कहा। दोपहर बाद हमने उनके लैंडलाइन नंबर पर अनेक बार कॉल की, लेकिन फोन नहीं उठा। इसी तरह पंफलेट में दिया गया नव सृष्टि का हेल्पलाइन नंबर- 011-65432002 भी गलत बताया गया।
इसके बाद हमने नव सृष्टि संस्था की फाउंडर सेक्रेटरी रीना बनर्जी से बातचीत की। उन्होंने बताया कि, ‘‘आरटीआई से मिले आंकड़ों को हम जारी करते हैं। उनके मुताबिक, 2016 में प्रतिदिन 22 बच्चे गायब हुए थे। 2017 में 19 बच्चे प्रतिदिन और 2018 में 16 बच्चे प्रतिदिन के हिसाब से गायब हुए हैं।’’
नव सृष्टि का फोन नंबर – 011-65432002 के गलत होने के बारे में पूछने पर रीना बनर्जी ने बताया कि यह उनके कार्यालय का पुराना नंबर है, जिसे गलती से पंफलेट में दे दिया गया है। हम जल्द ही इसे बदलवा देंगे। साथ ही उन्होंने नया नंबर भी हमें बताया, जो नीचे दिया गया है।
यह पूछने पर कि गायब हुए बच्चों में से कितने मिल पाते हैं? उन्होंने कहा- ‘‘कि तकरीबन 40 प्रतिशत बच्चे तो कभी नहीं मिल पाते।’’
रीना बनर्जी ने कहा- ‘‘दिल्ली में अनेक दंपति हैं, जो काम पर (पति-पत्नी दोनों) चले जाते हैं और बच्चों को घर में अकेला छोड़ देते हैं। ऐसे बच्चों को बच्चा चोर गिरोह और आसानी से शिकार बना लेते हैं। ऐसे में हम ऐसे दंपतियों को यही समझाते हैं कि वे बच्चों की देखभाल स्वयं करें और अगर यह किसी कारण से संभव न हो तो उनकी देखभाल की समुचित व्यवस्था करें। दूसरा, दिल्ली में क्रेच सेंटर (शिशु गृह) बहुत कम हैं। इस ओर न तो केंद्र सरकार ध्यान दे रही है और न दिल्ली सरकार। जो क्रेच सेंटर हैं, उनमें समुचित व्यवस्था ही नहीं है। जैसे- राजीव गांधी क्रैच प्रोग्राम का बजट ही इतना कम है कि उसमें काम करने से महिला कर्मचारी कतराती हैं। इस सेंटर में 25 बच्चों पर एक अध्यापिका और दो आया हैं, जिनका वेतन क्रमशः तीन हजार रुपए और एक-एक हजार रुपए प्रति माह है। इतने कम वेतन में कोई कैसे दिनभर नौकरी करेगा? हम इसके लिए भी संघर्ष कर रहे हैं; ताकि दिल्ली में क्रेच सेंटर खोलने के साथ-साथ दोनों सरकारें इस ओर ध्यान दें।’’
बच्चा गुम हो जाने पर पीड़ित अभिभावक कैसे, कहां शिकायत करके मदद ले सकते हैं? यह पूछने पर नव सृष्टि की फाउंडर सेक्रेटरी ने बताया- ‘‘पहले तो अभिभावक ही सचेत रहें, ताकि ऐसी घटना न घटे। इसके लिए हमने पंफलेट में सुझाव दिए हैं। इसके उपरांत नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं। हो सके तो किसी बाल संरक्षक संस्था की सहायता भी लें और खुद भी गहनता से गुमशुदा बच्चे की तलाश करें। ऐसे मामले में पहले तो पुलिस शिकायत लेती है और यदि बच्चा 24 घंटे तक नहीं मिला, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी होती है। यह हाई कोर्ट का आदेश है कि अगर पुलिस ऐसा नहीं करती है, तो उसे कठघरे में खड़ा किया जाएगा। फिर भी यदि छह महीने तक बच्चा नहीं मिला, तो मामला एंटी ह्यूमन ट्राफिक टीम को सौंप दिया जाता है।’’
नव सृष्टि संस्था द्वारा जारी पंफलेट में बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ गाइड लाइन भी दी गई हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
1- कोई भी संदिग्ध व्यक्ति दिखाई दे तो पुलिस को सूचित करें।
2- बच्चे किसी भी घटना का जिक्र करें तो ध्यान से सुनें और जरूरी कार्यवीही करें।
3- बच्चों को अनजान आदमी से सावधान रहना सिखाएं।
4- अपनी अनुपस्थिति में बच्चों को अकेला न छोड़ें और घर में अनजान आदमी के प्रवेश में सावधानी रखें।
5- किराएदार का फोटो, पहचान पत्र व पता जरूर रखें।
6- सभी बच्चों की सुरक्षा आपकी पहली जिम्मेदारी है।
7- बच्चों को अपना नाम, पता, फोन नंबर याद कराएं व यह सिखाएं कि मुश्किल हालात में बचाव कैसे करें।
8- कोई बच्चा गायब हो तो तुरंत 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दें। गुमशुदगी का केस दर्ज कराएं। केस दर्ज कराने में परेशानी हो, तो उच्च अधिकारियों, अदालत और मानवाधिकार संगठनों व नव सृष्टि को सूचित करें।
इसके साथ ही नव सृष्टि ने किसी बच्चे के गुम होने या किसी संदिग्ध व्यक्ति के दिखने या खोए हुए अनजान बच्चे के मिल जाने पर सूचना और सहायता के लिए कुछ पते तथा हेल्पलाइन नंबर दिए हैं, जो इस प्रकार हैं-
1- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
चंदर लोक भवन, 5वीं मंजिल,
36 जनपथ, नई दिल्ली-110001
फोन- 8448693484
फैक्स- 011-23724026
वेबसाइट- www.ebaaInidan.nic.in
2- दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग
5वीं मंजिल, अंतर्राज्यीय बस अड्डा भवन,
कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006
फोन- 011-23862685 व 011-23862686,
फैक्स- 011-23864312
ईमेल- dcpcr@hotmail.com
3- दिल्ली पुलिस आयुक्त
पुलिस मुख्यालय, एम.एस.ओ. भवन,
नई दिल्ली-110002
फोन- 011-23319661 व 011-23490201
फैक्स- 011-23722052
ईमेल-cp.amulyapatnaik@delhipolice.gov.in / delpol@vsnl.com
वेबसाइट- www.delhipolice.nic.in
4- नव सृष्टि
306, नेबसराय, निकट होली चौक,
मैदान गढ़ी रोड, दिल्ली-110068
फोन नंबर- 011-65432002
ईमेल- nsmissing@gmail.com
इसके साथ ही आप इन नंबरों पर भी शिकायत और सहायता के लिए फोन कर सकते हैं- 1094, 011-23241210, 1098, 100.
बहरहाल, यह तो स्पष्ट है कि दिल्ली, जो कि देश की राजधानी है और जहां पुलिस प्रशासन पर केंद्र का प्रत्यक्ष नियंत्रण है; यदि यहां बच्चों की सुरक्षा संदिग्ध है और आंकड़े इतने भयावह हैं, तो देश के अन्य हिस्सों के हालात का अनुमान लगाना जटिल नहीं है।
(कॉपी संपादन : नवल/प्रेम)
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