कल 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी हमले में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के 42 जवान वीर गति को प्राप्त हो गए। घटना उस वक्त घटी, जब सीआरपीएफ के 78 वाहनों का काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। बताया जाता है कि इन वाहनों पर कुल 2547 जवान सवार थे। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन ने ली है। शहीद जवानों में कोई ब्राह्मण नहीं है।
इस दुर्भाग्यपूर्ण और हृदयविदारक घटना के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोग मुसलमानों, नक्सलियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर टूट पडे हैं। विश्व शांति, समता और बंधुता की बात करने वाले दलित-बहुजन कार्यकर्ताओं को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इसकी प्रतिक्रिया में सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि, “देशभक्ति का तमाशा जोर-शोर से करने वाले ब्राह्मणवादियों ने न मुगलों से लड़ने का साहस किया था, न ही अंग्रेजों से। न ही आज आजाद भारत में वे सीमा पर शहीद हो रहे हैं। मुगलों के जमाने से लेकर आज तक देश के लिए जान देने और राजनीतिक संघर्ष करने वालों की सूची में सबसे ऊपर नाम क्रमश: ओबीसी, आदिवासी, सिख, राजपूत, दलित और बनिया (निम्न ओबीसी) समुदायों का रहा है। अंग्रेजों से लड़ने में पसमांदा मुसलमान भी आगे थे। आज भारतीय सुरक्षा ऐजेंसियों व सेना में मुसलमानों के प्रवेश को बाधित किया जा रहा है। दूसरी ओर, ब्राह्मण जाति के लोगाें ने हमेशा सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कीं। वे मुगलकाल से लेकर आज तक हमेशा शहादत में पीछे रहे हैं।”
साेशल मीडिया पर इस प्रकार की विभिन्न आवाजों के उठने के बाद फारवर्ड प्रेस ने सीमा पर हुई तात्कालिक शहादत की सच्चाई जानने की कोशिश की। हमने सीआरपीएफ के केंद्रीय मुख्यालय के सूचना व जनसंपर्क पदाधिकारी गिरीश चंद्र दास को फोन किया, तो पता चला कि शहीद जवानों की अद्यतन सूची सीआरपीएफ के केंद्रीय मुख्यालय के पास नहीं है। सूचना जनसंपर्क अधिकारी ने हमें बताया कि उनके पास अभी तक पूरी सूची नहीं आई है। इसके बाद हमने श्रीनगर स्थित सीआरपीएफ कार्यालय से उनके दूरभाष नंबर 0194-2461280 पर जानकारी लेनी चाही। परंतु, दूरभाष पर दूसरी ओर से आई आवाज के अनुसार, यह नंबर अभी सेवा में नहीं है।
बहरहाल, अंतत: हमें निम्नांकित सूची (शहीदों के नाम और बटालियन) समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) से मिली। इनकी सामाजिक पृष्ठभूमि हमने अपने स्तर पर संबंधित राज्यों में सरनेम आदि के बारे में जानकारी लेकर पता की। कुछ जगहों पर हमने स्थानीय लोगों से भी इन शहीदों के संबंध में जानकारी ली। हम 42 शहीदों में से 26 के बारे में जानकारी हासिल कर सके। इनमें सबसे अधिक ओबीसी (12 ), आदिवासी (4) सिक्ख (3) और दलित (3) और मुसलमान (1) हैं। ओबीसी जातियों में सबसे अधिक यादव (5), कुशवाहा (4), नाई (1) और बनिया (2) हैं। जिन 16 शहीदों की सामाजिक पृष्ठभूमि हम नहीं पता कर सके, उनमें से काेई ब्राह्मण नहीं है। इनमें अधिकांश ‘सिंह’ सरनेम वाले हैं। ‘सिंह’ सरनेम राजपूत व ओबीसी के अतिरिक्त दलित जातियों के अनेक लोग भी लगाते हैं। ब्राह्मणों में ‘सिंह’ सरनेम लगाने का प्रचलन नहीं है।
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पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों की सूची व उनकी जाति
क्रम | पद | शहीद का नाम | बटालियन | जाति | समूह |
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1 | हेड कांस्टेबल (चालक) | जयमल सिंह* | 76 बटालियन | - | - |
2 | हेड कांस्टेबल | नसीर अहमद | 76 बटालियन | मुसलमान | अल्पसंख्यक |
3 | कांस्टेबल | सुखविंदर सिंह | 76 बटालियन | सिक्ख | अल्पसंख्यक |
4 | कांस्टेबल | रोहताश लांबा | 76 बटालियन | अनुसूचित जनजाति | आदिवासी |
5 | कांस्टेबल | तिलक राज | 76 बटालियन | - | - |
6 | कांस्टेबल | बीरेंद्र सिंह* | 45 बटालियन | - | - |
7 | कांस्टेबल | भगीरथ सिंह* | 45 बटालियन | - | - |
8 | हेड कांस्टेबल | अवधेश कुमार यादव | 45 बटालियन | यादव | ओबीसी |
9 | कांस्टेबल | नितिन सिंह राठौर | 3 बटालियन | राजपूत | सवर्ण |
10 | कांस्टेबल | रतन कुमार ठाकुर | 45 बटालियन | नाई | अति पिछड़ा वर्ग |
11 | कांस्टेबल (चालक) | सुरेंद्र यादव | 45 बटालियन | यादव | ओबीसी |
12 | हेड कांस्टेबल | संजय कुमार सिन्हा | 176 बटालियन | कुशवाहा | ओबीसी |
13 | हेड कांस्टेबल | रामवकील | 176 बटालियन | अनुसूचित जाति | दलित |
14 | कांस्टेबल | धर्मचंद्रा | 176 बटालियन | - | - |
15 | कांस्टेबल | बेलकर ठाका | 176 बटालियन | अनुसूचित जनजाति | आदिवासी |
16 | कांस्टेबल | श्याम बाबू | 115 बटालियन | - | - |
17 | कांस्टेबल | अजीत कुमार आजाद | 115 बटालियन | - | - |
18 | हेड कांस्टेबल | संजय राजपूत | 115 बटालियन | राजपूत | सवर्ण |
19 | कांस्टेबल | कौशल कुमार रावत | 115 बटालियन | अनुसूचित जाति | दलित |
20 | कांस्टेबल | जीत राम | 92 बटालियन | अनुसूचित जाति | दलित |
21 | कांस्टेबल | अमित कुमार | 92 बटालियन | कुशवाहा | ओबीसी |
22 | कांस्टेबल | विजय कुमार मौर्य | 92 बटालियन | कुशवाहा | ओबीसी |
23 | कांस्टेबल | कुलविंदर सिंह | 92 बटालियन | सिक्ख | अल्पसंख्यक |
24 | हेड कांस्टेबल | विजय शोरंग | 82 बटालियन | अनुसूचित जनजाति | आदिवासी |
25 | कांस्टेबल | वसंत कुमार वीवी | 82 बटालियन | - | - |
26 | कांस्टेबल | गुरू एच | 82 बटालियन | - | - |
27 | कांस्टेबल | शुभम अनिरंग | 82 बटालियन | - | - |
28 | कांस्टेबल | अमर कुमार | 75 बटालियन | - | - |
29 | कांस्टेबल | अजय कुमार | 75 बटालियन | - | - |
30 | कांस्टेबल | मनिंद्र सिंह | 75 बटालियन | सिक्ख | अल्पसंख्यक |
31 | कांस्टेबल | रमेश यादव | 61 बटालियन | यादव | ओबीसी |
32 | हेड कांस्टेबल | प्रसन्ना कुमार साहू | 61 बटालियन | वैश्य | ओबीसी |
33 | हेड कांस्टेबल | हेम राज मीणा | 61 बटालियन | अनुसूचित जनजाति | आदिवासी |
34 | हेड कांस्टेबल | बबला शांतरा | 35 बटालियन | - | - |
35 | कांस्टेबल | अश्विनी कुमार काछी | 35 बटालियन | कुशवाहा | ओबीसी |
36 | कांस्टेबल | प्रदीप यादव | 21 बटालियन | यादव | ओबीसी |
37 | कांस्टेबल | सुधीर कुमार बंसल | 21 बटालियन | वैश्य | ओबीसी |
38 | कांस्टेबल | रवींद्र सिंह* | 98 बटालियन | - | - |
39 | हेड कांस्टेबल | एम बाशुमातरे | 98 बटालियन | - | - |
41 | कांस्टेबल | महेश कुमार | 118 बटालियन | - | - |
42 | हेड कांस्टेबल | एनएल गुर्जर | 118 बटालियन | गुर्जर | ओबीसी |
बहरहाल, सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि चुंकि ब्राह्मणों के पूर्वज यूरेशिया से आए आक्रांता थे, जिन्होंने कालांतर में इस देश पर कब्जा कर लिया। इसलिए उनमें उस प्रकार की देशभक्ति की भावना नहीं होती, जैसी यहां की मूलनिवासी जातियों में होती है। जबकि ब्राह्मणों कहना है कि उनमें भी भरपूर देशभक्ति होती है और अब वे भी इसी देश के निवासी हैं। उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
टिप्पणी : * ‘सिंह’ सरनेम का इस्तेमाल राजपूत तथा अनेक क्षत्रप ओबीसी जातियों द्वारा भी किया जाता है। इसलिए सिर्फ ‘सिंह’ सरनेम के आधार पर जाति का पता लगाना संभव नहीं है। वे ओबीसी, सवर्ण-राजपूत, दलित, सिख अथवा आदिवासी कुछ भी हो सकते हैं। लेकिन इतना स्पष्ट है कि ब्राह्मण सिंह सरनेम नहीं लगाते। इस प्रकार हम देखते हैं कि शहीदों की उपरोक्त सूची में कोई सचमुच ब्राह्मण नहीं है।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ/प्रेम बरेलवी)
[परिवर्धित : 15. 02. 2019 : 11.30 PM]