h n

उच्च शिक्षा में ओबीसी के लिए आरक्षण : बाधायें बरकरार

पी. एन. संकरण लिखते हैं कि भारतीय विश्वविद्यालयों के विभाग सामाजिक विविधता की कमी से ग्रस्त हैं। इसका एकमात्र समाधान आरक्षण को उनके सभी शैक्षिक पदों पर पूरी संवेदनशीलता के साथ लागू करने में है

रोजगार और शिक्षा, यहां तक कि विधायिका में भी आरक्षण संबंधी मुद्देᅳपिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक एवं अकादमिक बहसों तथा मीडिया का ध्यान तेजी से अपनी ओर आकर्षित करते आए हैं। ऐसा विशेषकर राज्य विधायिकाओं और संसदीय चुनावों से ऐन पहले देखा गया है। इन मुद्दों में संबंधित वर्गों का प्रतिनिधित्व, पहचान, विश्वविद्यालयों तथा अन्य अकादमिक संस्थाओं में प्रवेश, वर्गीकरण, नौकरी से हटाना आदि सम्मिलित हैं। ओबीसी क्रीमी लेयर संबंधी रिपोर्ट, जिसे 24 जून 2019 को लोकसभा के पटल पर पेश किया गया था, बताती है कि क्रीमी लेयर की आय में संशोधन के बावजूद, अन्य पिछड़ा वर्ग की भर्ती की दर ज्यों की त्यों है। उसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है। रिपोर्ट में समूह ‘ग’ के स्तर तक की भर्तियों में क्रीमी लेयर की सीमा को हटाया जा चुका है। 78 केंद्रीय मंत्रालयों और सरकारी विभागों से संबंधित 2016 में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार आरक्षित पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग का अनुपात 27 प्रतिशत से काफी कम था। केंद्र सरकार के कुल 32.58 लाख कर्मचारियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों का अनुपात मात्र 7 प्रतिशत था।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : उच्च शिक्षा में ओबीसी के लिए आरक्षण : बाधायें बरकरार

 

 

 

 

लेखक के बारे में

पी. एन. संकरण

डॉ पी. एन. संकरण, विश्वकर्मा समुदाय, जिसके सदस्य पारंपरिक रूप से हस्तशिल्पी रहे हैं, की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए केरल सरकार द्वारा सन 2012 में नियुक्त आयोग के अध्यक्ष थे. वे एक विकास अर्थशास्त्री हैं और थिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष हैं. उन्होंने सन 2018 में एमराल्ड पब्लिशिंग (यूके) द्वारा प्रकाशित पुस्तक “रीडिफाइनिंग कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (डेव्लप्मेंट्स इन कॉर्पोरेट गवर्नेंस एंड रेस्पोंसिबिलिटी, खंड 13)” में “ट्रेडिशनल आरटीसंस एज स्टेकहोल्डर्स इन सीएसआर : ए रिहैबिलिटेशन पर्सपेक्टिव इन द इंडियन कॉन्टेक्स्ट” शीर्षक अध्याय का लेखन किया किया है

संबंधित आलेख

गुरुकुल बनता जा रहा आईआईटी, एससी-एसटी-ओबीसी के लिए ‘नो इंट्री’
आईआईटी, दिल्ली में बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी के लिए ओबीसी और एसटी छात्रों के कुल 275 आवेदन आए थे, लेकिन इन वर्गों के...
बहुजन साप्ताहिकी : बिहार के दलित छात्र को अमेरिकी कॉलेज ने दाखिले के साथ दी ढाई करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप
इस बार पढ़ें रायपुर में दस माह की बच्ची को मिली सरकारी नौकरी संबंधी खबर के अलावा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के सवाल पर...
बहुजन साप्ताहिकी : सामान्य कोटे में ही हो मेधावी ओबीसी अभ्यर्थियों का नियोजन, बीएसएनएल को सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
इसके अलावा इस सप्ताह पढ़ें तमिलनाडु में सीयूईटी के विरोध में उठ रहे स्वर, पृथक धर्म कोड के लिए दिल्ली में जुटे देश भर...
एमफिल खत्म : शिक्षा नीति में बदलावों को समझें दलित-पिछड़े-आदिवासी
ध्यातव्य है कि इसी नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में शुरू की गई चार वर्षीय पाठ्यक्रम को वापस कर दिया था।...
गुरुकुल बनते सरकारी विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालयों का दलित-बहुजन विरोधी चरित्र
हिंदू राष्ट्रवाद का जोर प्राचीन हिंदू (भारतीय नहीं) ज्ञान पर है और उसका लक्ष्य है अंग्रेजी माध्यम से और विदेशी ज्ञान के शिक्षण को...