फॉरवर्ड प्रेस में बढ़ती ज़िम्मेदारियों के पदों पर आठ साल काम करने के बाद, प्रमोद रंजन ने नवम्बर 2019 में शिक्षा जगत में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया. यह उचित ही था क्योंकि फॉरवर्ड प्रेस में रहते हुए उन्होंने जेएनयू से हिंदी साहित्य में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. हमारी कामना है कि उन्हें अपने नए कार्यक्षेत्र में सफलता और संतुष्टि प्राप्त हो.
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इस अवसर पर हम फॉरवर्ड प्रेस के मुद्रित संस्करण में प्रकाशित प्रमोद रंजन का आलेख आपके साथ साझा कर रहे हैं :
फारवर्ड प्रेस और बौद्धिक लोकतंत्र