h n

विश्लेषण

-

क्लिक करें :

Ambedkar at Shaheen Bagh: Didn’t he always belong there?

 उपरोक्त सामग्री अभी सिर्फ अंग्रेजी में उपलब्ध है। अगर आप इसका हिंदी अनुवाद करना चाहते हैं तो कृपया संपर्क करें। गुणवत्तापूर्ण अनुवादों को हम आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे।  Email : editor@forwardpress.in


[फारवर्ड  प्रेस भारत के  सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से दबाए गए तबकों – यथा, अन्य पिछडा वर्ग, अनुसूचित जनजातियों, विमुक्त घुमंतू जनजातियों, धर्मांतरित अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों को आवाज देने लिए प्रतिबद्ध है। यह एक द्विभाषी (अंग्रेजी-हिंदी) वेबसाइट है। हम हर सामग्री  हिंदी व अंग्रेजी में प्रकाशित करते हैं, ताकि इन्हें यथासंभव देश-व्यापी पाठक वर्ग मिल सके। लेखक व स्वतंत्र पत्रकार अपने लेख दोनों में से किसी एक भाषा में भेज सकते हैं।

फारवर्ड प्रेस के इस अभियान का सुचारू रूप से संचालन के लिए ऐच्छिक योगदान करने के इच्छुक अनुभवी अनुवादकों का  स्वागत है]

मुखपृष्ठ पर जाने के लिए यहां क्लिक करें :

लेखक के बारे में

जीशान हुसैन

संबंधित आलेख

आंखन-देखी : 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में दिखे फुले से लेकर दाभोलकर तक के नाम, लेकिन सावरकर का नहीं
लता प्रतिभा मधुकर के मुताबिक, सावरकर के नाम पर मुख्य मंडप का नाम रखने का व्यापक विरोध महाराष्ट्र में किया गया। एक वजह तो...
बिहार : उच्च शिक्षा की बदहाली से दलित-बहुजन छात्रों का भविष्य अंधकारमय
बिहार जैसे पिछड़े राज्य जहां, एक बड़ी आबादी आज भी उच्च शिक्षा से वंचित है, वहां सरकारी शिक्षण संस्थानों का महत्व और बढ़ जाता...
तेलंगाना : जाति सर्वेक्षण रपट के फलाफल के मायने
इस रपट में जो बात सबसे चौंकाने वाली है, वह है मुस्लिम ओबीसी की संख्या। किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि 12.56 प्रतिशत...
धार्मिक राष्ट्रवाद के बढ़ते खतरे का निहितार्थ
प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण के मुताबिक अलग-अलग देशों में धार्मिक राष्ट्रवाद का स्तर अलग-अलग तरीके से बढ़ रहा है। कुछ देशों में इसका...
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन : अब भी शांति, सुरक्षा और स्थिरता की उम्मीदें धुंधली
मणिपुर में कुकी जनजाति व मैतेई समुदाय के बीच अविश्वास की खाई काफी बढ़ गई है, जिसे केवल एक ऐसी सरकार द्वारा ही दूर...