कबीर जंयती पर विशेष
भक्ति आन्दोलन के प्रमुख कवियों में कबीर और तुलसी ने अपनी कविताओं में जाति के प्रश्नों पर विचार किया है. अन्य कवियों की कविताओं में जातियों का जिक्र कम ही मिलता है. मलिक मुहम्मद जायसी, सूरदास, मीराबाई आदि ने छिटपुट रूप से किसी-किसी जाति का उल्लेख किया है; मगर उनके लिए यह मुद्दा कुछ विशेष नहीं है. हिन्दी आलोचना में कबीर और तुलसी के बारे में यह बात होती रही है कि इन दोनों कवियों ने वर्णाश्रम के विचारों का समर्थन या विरोध किया है. कबीर ने वर्णाश्रम का विरोध किया और तुलसी ने समर्थन किया!