खबर आज 29 सितंबर की है। उत्तर प्रदेश के हाथरस की बलात्कार पीड़िता दलित लड़की मनीषा का निधन हो गया है। पन्द्रह दिनों तक जीवन के लिए वह लड़ती रही और अंतत: उसकी मौत हो गई। उसे इलाज के लिए सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया था। उसके निधन के बाद कई सवाल उठते हैं जो उत्तर प्रदेश में सत्तासीन योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं। सवाल भारतीय समाज के लिए भी हैं जिसका जमीर तभी जगता है जब को द्विज समाज की निर्भया वहशी दरिंदों का शिकार होती है। क्या इस अनदेखी और असंवेदनशीलता की वजह यह है कि हाथरस की बलात्कार पीड़िता दलित समाज की थी?
गैंगरेप के बाद जीभ काटी, रीढ़ की हड्डी तोड़ी और गला भी दबाया
दरअसल, उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कथित उच्च जाति के दबंग इतने बेख़ौफ़ हैं कि दलितों की हत्या और बलात्कार जैसे संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। बीते 14 सितंबर को हाथरस के थाना चंदपा के अंतर्गत, भुलगढ़ी गांव में वाल्मीकि जाति की 21 वर्षीया मनीषा के साथ कथित उच्च जाति के चार दबंगों ने दरिंदगी की। उन्होंने उसके साथ न केवल सामूहिक दुष्कर्म किया बल्कि उसकी पिटाई कर रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। उसकी गर्दन पर वार किया और उसकी जीभ काट ली। गला घोंटकर उसे मारने की कोशिश की और उसे मरा समझ कर आरोपी उसे छोड़कर चले गए। इनका दुस्साहस देखिए कि उनमें से एक आरोपी खुद लड़की के भाई से कहता है कि “खेत में तेरी बहन मरी पड़ी है जा उसकी लाश उठा ला।”
जब मामला प्रकाश में आया तब राज्य सरकार व पुलिसिया तंत्र की नींद खुली। उसे अलीगढ के जे. एन. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया। उसके साथ हुई दरिंदगी की पुष्टि करते हुए हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर ने बताया कि आरोपियों ने उसकी जीभ काट ली थी। उन्होंने बताया कि पहले पुलिस ने छेड़खानी का मामला दर्ज किया था। परंतु, बाद में युवती के बयान के आधार पर लोगों पर एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम, गैंगरेप और हत्या के प्रयास के तहत मामला दर्ज़ किया गया है।
चारों आरोपी ऊंची जाति के
मिली जानकारी के अनुसार चारों आरोपी उच्च जाति के हैं, जिनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है। युवती के भाई ने आरोपी संदीप के खिलाफ शिकायत दर्ज की। संदीप के अलावा उसके चाचा रवि और उसके दोस्त लव कुश को गिरफ्तार किया गया है, एक चौथा आरोपी, रामू फरार है।
मां को कम सुनाई देता है, इसलिए नहीं सुन सकी बेटी की चीख
बेटी के निधन के बाद मृतका की मां बेहाल है। उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। वह रोते हुए बता रही है कि “मैं अपनी बेटी से मात्र 100 मीटर की दूरी पर चारा काट रही थी। मैं उसे बचा सकती थी। लेकिन मुझे कम सुनाई देता है।” उसे ढूंढ़ते हुए जब वह एक पेड़ के पास पहुंची तो देखा कि उसकी बेटी मनीषा खेत में नग्नावस्था में बेहोश पड़ी हुई थी।
मृतका की मां का कहना है कि यदि उसे पहले ही दिल्ली ले आया गया होता तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ऐसा नहीं चाहती थी।
मृतका के गांव भुलगढ़ी के संबंध में स्थानीय निवासियों के मुताबिक गांव में करीब 600 घर ठाकुर जाति के लोगों के हैं। जबकि 100 परिवार ब्राह्मण है। गांव में दलितों के केवल 15 घर हैं। आए दिन ऊंची जातियों के शोहदे दलित बच्चियों के साथ छेड़खानी करते हैं। उनके उपर जुल्म करते हैं। लेकिन स्थानीय थाने में रिपोर्ट तक नहीं ली जाती।
दलित नेताओं व संगठनों ने उठायी आवाज
बहरहाल, हाथरस में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना पर आक्रोश व्यक्त भी दलित समाज के नेताओं ने ही किया। बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट किया कि “अनुसूचित जाति के लड़की को पहले बुरी तरह पीटा गया। फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जो शर्मनाक और निंदनीय है। यहां बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।”
वहीं भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद प्रशासन की तमाम पाबंदियों के बावजूद जिंदगी और मौत से जूझ रही दुष्कर्म पीड़िता से मिलने अलीगढ के जे एन मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में पहुंचे। उन्होंने पीडिता का इलाज दिल्ली के एम्स में कराने की मांग की। इसके साथ ही परिवार को एक करोड़ का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ज्ञापन एडीएम सिटी राकेश कुमार के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा।
इधर दिल्ली में भी बीते 27 सितंबर, 2020 को सफाई कर्मचारियों के कई संगठनों ने जंतर-मंतर पर मनीषा के साथ हुए अपराध के खिलाफ न्याय मार्च निकला। अखिल भारतीय दलित मूलनिवासी संघ ने इसे दलित समाज पर होने वाले अत्याचारों की इन्तहा बताया और इसका पुरजोर विरोध करते हुए न्याय की मांग की।
(संपादन : नवल/अनिल)
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