गुजरात सरकार ने डॉ. मधुकर पदवी को बिरसा मुंडा ट्राइबल युनिवर्सिटी, राजपिपला का कुलपति नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति युनिवर्सिटी के निर्माण के तीन साल बाद हुई है। डॉ. पदवी गुजरात के आदिवासी समुदाय से हैं तथा सूरत के एमटीबी कॉलेज के प्रिंसिपल हैं।
विदित है कि गुजरात सरकार ने तीन वर्ष पहले यानी 2017 में बिरसा मुंडा ट्राइबल युनिवर्सिटी की स्थापना की। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से 35 एकड़ जमीन आवंटित है। साथ ही, इसके परिसर के निर्माण के लिए करीब 350 करोड़ रुपए की लागत आकलन सरकार द्वारा किया जा चुका है। अपना परिसर नहीं होने के कारण यह विश्वविद्यालय वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर के परिसर में चलाया जा रहा है। वर्तमान में यहां स्नातक पाठ्यक्रमों के कुल 469 छात्र व छात्राएं अध्ययनरत है।
बताते चलें कि मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थापित इंदिरा गांधी ट्राइबल युनिवर्सिटी देश का पहला केंद्रीय ट्राइबल यूनिवर्सिटी है। इसके कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी हैं। राजस्थान के बांसवाड़ा में मानगढ़ आंदोलन के प्रणेता गोविंदगुरू ट्राइबल युनिवर्सिटी के कुलपति आई. वी. त्रिवेदी हैं। वहीं केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश के कुलपति प्रो. टी. वी. कटिमनी हैं।

बहरहाल, अपनी प्राथमिकताओं के बारे में नवनियुक्त कुलपति डॉ. मधुकर पदवी ने फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर बातचीत में बताया कि उनकी प्राथमिकता आदिवासी संस्कृति, साहित्य और भाषाओं को बढ़ावा देना है। इसके लिए विश्वविद्यालय के प्रस्तावित परिसर में एक संग्रहालय भी शामिल है। इस संग्रहालय में देश भर के आदिवासी संस्कृति के प्रतीक रखे जाएंगे। इनमें गुजरात के आदिवासी समुदायों से जुड़े प्रतीक भी होंगे। साथ ही, विश्वविद्यालय परिसर में एक वृहत पुस्तकालय की स्थापना होगी। इसमें देश-विदेश के आदिवासी समुदायों के बारे किताबें होंगी। डॉ. पदवी ने कहा कि उनके लिए यह एक बड़ा मौका है। वे इस मौके का उपयोग आदिवासी समुदाय के युवाओं को गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए करेंगे।
वहीं, गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्रनाथ पटेल ने कहा कि कुलपति के रूप में डॉ. पदवी की नियुक्ति एक स्वागतयोग्य पहल है। राज्य सरकार को यह काम पहले कर देना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. पदवी के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय गुजरात के आदिवासी युवाओं के लिए नये मार्ग प्रश्स्त करेगा।
(संपादन : नवल/अनिल)
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