h n

पंजाब में अकाली दल-बसपा गठबंधन : दल मिले, दिल नहीं

नए कृषि कानूनों से जाट-सिक्ख खफा हैं और उनके गुस्से का खामियाजा शिरोमणि अकाली दल को भुगतना पड़ रहा है। पंजाब की एक-तिहाई आबादी दलित है। इसके बाद भी पिछले 25 वर्षों में बसपा राज्य में हुए चुनावों में कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी है, बता रहे हैं रौनकी राम

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) पंजाब की सिक्खों की धार्मिक विरासत वाली पार्टी है। हाल में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एसएडी में गठबंधन हुआ है। सनद रहे कि बसपा का जन्म पंजाब में ही हुआ था, जहां की एक-तिहाई आबादी दलित है, परंतु उसे चुनावी सफलता उत्तर प्रदेश में मिली। इस समय एसएडी और बसपा दोनों विपरीत राजनैतिक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। एसएडी के लिए अपनी सिक्ख विरासत को बचाए रखना कठिन हो गया है। सिक्खों की पार्टी होने के बावजूद वह अपने मूल समर्थकों – राज्य के किसानों, जिनमें से बहुसंख्यक जाट-सिक्ख हैं – के साथ खड़ी नहीं रही और इसका परिणाम उसे भुगतना पड़ रहा है। दूसरी ओर बसपा अपने जन्मस्थान में अपना अस्तित्व बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : पंजाब में अकाली दल-बसपा गठबंधन : दल मिले, दिल नहीं

लेखक के बारे में

रौनकी राम

रौनकी राम पंजाब विश्वविद्यालय,चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनके द्वारा रचित और संपादित पुस्तकों में ‘दलित पहचान, मुक्ति, अतेय शक्तिकरण’, (दलित आइडेंटिटी, इमॅनिशिपेशन एंड ऍमपॉवरमेंट, पटियाला, पंजाब विश्वविद्यालय पब्लिकेशन ब्यूरो, 2012), ‘दलित चेतना : सरोत ते साररूप’ (दलित कॉन्सशनेस : सोर्सेए एंड फॉर्म; चंडीगढ़, लोकगीत प्रकाशन, 2010) और ‘ग्लोबलाइजेशन एंड द पॉलिटिक्स ऑफ आइडेंटिटी इन इंडिया’, दिल्ली, पियर्सन लॉंगमैन, 2008, (भूपिंदर बरार और आशुतोष कुमार के साथ सह संपादन) शामिल हैं।

संबंधित आलेख

जंतर-मंतर पर गूंजी अर्जक संघ की आवाज – राष्ट्रपति हो या चपरासी की संतान, सबकी शिक्षा हो एक समान
राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार भारती ने मांगों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसके पूर्व भी संघ के संस्थापक महामना राम स्वरूप...
दलित विमर्श की सहज कहानियां
इस कहानी संग्रह की कहानियों में जाति के नाम पर कथित उच्‍च जातियों का दंभ है। साथ ही, निम्‍न जातियों पर दबंग जातियों द्वारा...
चौबीस साल का हुआ झारखंड : जश्न के साथ-साथ ज़मीनी सच्चाई की पड़ताल भी ज़रूरी
झारखंड आज एक चौराहे पर खड़ा है। उसे अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और आधुनिकीकरण व समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए...
घुमंतू लोगों के आंदोलनों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वेब सम्मलेन
एशिया महाद्वीप में बंजारा/घुमंतू समुदायों की खासी विविधता है। एशिया के कई देशों में पशुपालक, खानाबदोश, वन्य एवं समुद्री घुमंतू समुदाय रहते हैं। इसके...
कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान-2023 से नवाजे गए उर्मिलेश ने उठाया मीडिया में दलित-बहुजनाें की भागीदारी नहीं होने का सवाल
उर्मिलेश ने कहा कि देश में पहले दलित राष्ट्रपति जब के.आर. नारायणन थे, उस समय एक दलित राजनीतिक परिस्थितियों के कारण देश का राष्ट्रपति...