सातवें और आखिरी चरण के तहत 9 जिलों के 54 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान आगामी 7 मार्च को होने हैं। ये जिले हैं– आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चन्दौली, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र। इन 9 जिलों में वाराणसी को छोड़ दें तो बाक़ी 8 जिले बेहद पिछड़े और दलित, आदिवासी बहुल हैं। इनमें भदोही, मिर्जापुर, मऊ, वाराणसी, चन्दौली में बुनकरी का काम बहुतायत से होता था। लेकिन पूंजी की कमी, कोरोना लॉकडाउन, और चीन से आयात होने वाली सामग्री में मुश्किलों के चलते ये कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है।
समाजवादी आंदोलन वाले आजमगढ़
गंगा और घाघरा नदी के बीच में बसे आजमगढ़ जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं– गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़, मेहनगर, अतरौलिया, निज़ामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज, लालगंज। इनमें दो आरक्षित सीटें हैं। राहुल सांकृत्यायन, कैफी आज़मी, और समाजवादी नेता चंद्रशेखर की धरती पर साल 2017 चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा मात्र 1 सीट ही जीत पाई थी, जबकि बसपा ने 4 और सपा ने 5 सीटें जीती थी। काली मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार और बुनकर बहुल जिला है, यह जहां हथकरघा उद्योग एक समय ख़ूब फला फूला था। यहां गन्ना किसान भी ख़ूब हैं।
लालगंज (एससी) विधानसभा
इस सीट को बसपा के मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता है। करीब 3.83 लाख मतदाताओं वाले लालगंज विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के करीब 90 हजार वोटर हैं। इसके अलावा भूमिहार 47 हजार, क्षत्रिय 45 हजार, मुस्लिम 40 हजार और यादव वोटर करीब 30 हजार हैं।
पिछली बार यानी 2017 चुनाव की बात करें तो बसपा के आज़ाद अरिमर्दन (72,715 वोट) ने भाजपा के दरोगा प्रसाद सरोज (70,488 वोट) को 2227 मतों के अंतर से हराया था। 2022 विधानसभा चुनाव के लिये कांग्रेस ने पुष्पा भारती, भाजपा ने नीलम सोनकर, सपा ने बेचई सरोज और बसपा ने हरिराम को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मेहनगर (सुरक्षित) विधानसभा
आजमगढ़ जिले की यह दूसरी सीट है। करीब 4.12 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर दलित 80 हजार, यादव 70 हजार, पासी 46 हजार, राजभर 38 हजार, चौहान 35 हजार, क्षत्रिय 23 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, मुसलमान 20 हजार, वैश्य 18 हजार, कुर्मी 9 हजार, भूमिहार 7 हजार, प्रजापति 7 हजार, धोबी 6 हजार, कहार 6 हजार, मुसहर 5200, मौर्या 4200, लोहार 3100, खटिक करीब 3 हजार, गोंड 3 हजार, अन्य समुदायों के वोटरों की संख्या करीब 14 हजार है।
पिछली बार के विधानसभा चुनाव में सपा के कल्पनाथ पासवान (69,037 मत) ने भाजपा गठबंधन वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मंजू सरोज (60,198 मत) को 5412 वोटों के अंतर से हराया था। बात मौजूदा चुनाव की करें तो 2022 विधानसभा चुनाव के लिये रोचक बात यह है कि सभी दलों ने महिला प्रत्याशी उतारे हैं। मसलन, कांग्रेस ने निर्मला भारती, भाजपा ने मंजू सरोज, सपा ने पूजा, बसपा ने पंकज कुमारी को टिकट दिया है।
अधूरे सपनों का जिला मऊ
1988 को जिला के रूप में मान्यता पाने वाले मऊ जिले की पहचान को दिग्गज नेता कल्पनाथ राय से जोड़कर देखा जाता है। वे इसे लखनऊ के तर्ज़ पर विकसित करना चाहते थे ताकि यह पूर्वांचल का केंद्र बन सके। मऊ जिला में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं– मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना व मऊ। बात मुहम्मदाबाद-गोहना (एससी) सीट की करते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.6 लाख मतदाता हैं। जिनमें 88 हजार दलित मतदाता, 63 हजार यादव मतदाता, 59 हजार मुस्लिम मतदाता, 32 हजार चौहान, 25 हजार राजभर, 16 हजार पासी, राजपूत 15 हजार, वैश्य 8 हजार, मौर्या 6 हजार, ब्राह्मण 6 हजार, भूमिहार 4 हजार, विश्वकर्मा 4 हजार, धोबी 4 हजार, सोनकर 4 हजार और अन्य 40 हजार हैं।
मुहम्मदाबाद-गोहना सीट पर 2017 के चुनाव में भाजपा के श्रीराम सोनकर (73,493 मत) ने बसपा उम्मीदवार राजेंद्र कुमार (72,955 मत) को 538 वोटों के अंतर से हराया था। इस बार भी पार्टी ने उनके पर भरोसा जताया था, लेकिन आखिरी वक्त में उनका टिकट काटकर पूनम सरोज को दे दिया गया। कांग्रेस ने बनवारी राम, सपा ने राजेद्र कुमार, बसपा ने धर्म सिंह गौतम को टिकट दिया है।
बुनकर बहुल इस क्षेत्र में जर्जर तार और खंभे भी बड़ी समस्या हैं। इसके अलावा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे मऊ जिले के 40 गावों से होकर करीब 26 किलोमीटर दूर तक गुज़रता है, लेकिन जिले में इस एक्सप्रेसवे पर चढ़ने-उतरने के लिये कोई रास्ता नहीं दिया गया है। इससे भी लोगों में मौजूदा सरकार के प्रति नाराज़गी है।
अपने लाड़लों को रोटी कमाने मुंबई और सूरत भेजने वाला जौनपुर जिला
जौनपुर जिले में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं– बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी, मुंगड़ा बादशाहपुर, मछलीशहर, मरियाहू, जाफ़राबाद, केराकत। इनमें दो सीटें आरक्षित हैं। बेरोज़गारी के चलते इस जिले की अधिकांश आबादी मुंबई, सूरत और दिल्ली में काम की तलाश में जाती रही है। आवारा गौवंशीय पशुओं के चलते अरहर और मक्का अब यहां किसान नहीं बो पाते।
मछलीशहर (एससी)
करीब 3.86 लाख मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में र दलित मतदाता 60 हजार, यादव 60 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 31 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, बिंद 21 हजार, मौर्य 17 हजार, वैश्य 16 हजार, पटेल 12 हजार, प्रजापति 10 हजार, धइकार 5 हजार, धोबी 3 हजार व अन्य 73 हजार हैं। वर्ष 2017 में सपा से जगदीश सोनकर (72,368 मत) ने भाजपा के अनीता रावत (68,189 मत) को 4179 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार कांग्रेस ने माला देवी सोनकर, भाजपा ने मिहिलाल गौतम, सपा ने डॉ. रागिनी, बसपा ने विजय कुमार को टिकट दिया है।
मछलीशहर विधानसभा क्षेत्र के कटाहित गांव में भर राजाओं का ऐतिहासिक किला स्थित हैं, जिसे सगरे कोट के नाम से जाना जाता है। पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण प्राप्त नहीं होने के कारण लोगों ने टीले की मिट्टी खोदकर उसे अस्तित्वहीन बना दिया है। विधानसभा में एक भी राजकीय पीजी /डिग्री कॉलेज नहीं है। रेलवे स्टेशन की सुविधा नहीं है। किसानों को कृषि उपज वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए मंडी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
केराकत (एससी)
यह जौनपुर जिले की दूसरी आरक्षित सीट है। यहा लगभग चार लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब एक लाख अनुसूचित जाति के हैं। यहां यादव 50 हजार, क्षत्रिय 36 हजार, बिंद 35 हजार, ब्राह्मण और वैश्य 23-23 हजार, मुस्लिम 22 हजार, राजभर 19 हजार, मौर्य 18 हजार और चौहान मतदाता क़रीब 17 हजार है। साल 2017 के चुनाव में भाजपा के दिनेश चौधरी (84,078 मत) ने सपा के संजय कुमार सरोज (68,819 मत) को 15,259 वोटों के मार्जिन से हराया था। वहीं मौजूदा चुनाव के लिये कांग्रेस ने राजेश गौतम, भाजपा ने दिनेश चौधरी, सपा ने तूफानी सरोज, बसपा ने डॉ. लाल बहादुर सिंह को वोट दिया है।
सैनिकों और अफ़ीम की फैक्ट्री वाला जिला ग़ाज़ीपुर
उत्तर प्रदेश का यह जिला बिहार की सीमा से लगा हुआ है। ग़ाज़ीपुर जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं– जखानियां, सैदपुर, ग़ाज़ीपुर सदर, जंगीपुर, जहूराबाद, मोहम्मदाबाद, ज़मानिया। इनमें ज़खानिया और सैदपुर विधानसभा अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित है। ग़ाज़ीपुर जिला सैनिकों की भूमि और अफीम की फैक्ट्री के लिये जाना जाता है। गंगा नदी के इस जिले से होकर बहने के कारण यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है।
ज़खानियन (एससी)
परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का गांव धामूपुर है। महावीर चक्र विजेता पंडित रामउग्रह पाण्डेय का गांव ऐमावंशी भी यही है। करीब 650 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ स्थित है। कुल 4 लाख मतदाताओं वाली इस विधानसभा क्षेत्र में दलित मतदाता 91 हजार, यादव 68 हजार, राजभर 48 हजार, चौहान 36 हजार, कुशवाह 31 हजार, वैश्य 22 हजार, मुस्लिम 18 हजार, क्षत्रिय 16 हजार, ब्राह्मण 14 हजार, बिंद 9 हजार, अन्य जातियां 40 हजार हैं।
साल 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से त्रिवेशी राम (84,158 मत) ने सपा के उम्मीदवार को 5157 वोटों के मार्जिन से हराया था। वहीं मौजूदा 2022 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने रामराज बनवारी मुसहर, कांग्रेस ने सुनील राम, एसबीएसपी ने बेदी, बसपा ने विजय कुमार को टिकट दिया है।
बिजली सड़क, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, पिछड़ापन और रोज़गार के संसाधनों का इलाके में अकाल प्रमुख मुद्दे हैं।
सैदपुर (एससी)
यह ग़ाज़ीपुर जिले की दूसरी आरक्षित सीट है। करीब 3.55 मतदाताओं वाली इस सीट पर दलित मतदाता 75 हजार, यादव मतदाता 70 हजार, राजभर 33 हजार, मुस्लिम 26 हजार, कुशवाह 22 हजार, क्षत्रिय 19 हजार, वैश्य 18 हजार, ब्राह्मण 17 हजार, चौहान 12 हजार, बिंद 11 हजार, पासी 10 हजार मतदाता हैं।
पिछली बार 2017 में सपा के सुभाष पासी (76,664 मत) ने भाजपा के विद्या सागर सोनकर (67,954 मत) को हराया था। बसपा के राजीव किरण (59,726 मत) तीसरे स्थान पर थे। मौजूदा विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा ने सुभाष पासी, कांग्रेस ने सीमा देवी, बसपा ने बिनोद कुमारी, सपा ने अंकित भारती को टिकट दिया है।
चंदौली जिला
चंदौली जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं– सकलडीहा, सैयदराजा, मुगलसराय और चकिया। फिलहाल बात जिला की आरक्षित चकिया विधानसभा की। करीब 3.68 लाख मतदाताओं वाली इस विधानसभा क्षेत्र में दलित मतदाता 88 हजार, यादव 70 हजार, मुस्लिम 45 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, कुशवाह 28 हजार, वनवासी 25 हजार, वैश्य 25 हजार, अन्य 50 हजार हैं।
2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के शारदा प्रसाद (96,890 मत) बसपा के एड. जितेंद्र कुमार (76,827 मत) को 20 हज़ार वोटों से हराया था। तीसरे नंबर पर सपा की उम्मीदवार पूनम सोनकर रही थीं। उन्हें लगभग 47,000 वोट मिले थे। वहीं 2022 चुनाव के लिये बसपा ने विकास आज़ादी, सपा ने जीतेंद्र कुमार, भाजपा ने कैलाश खरवार, कांग्रेस ने राम सुमेर राम को टिकट दिया है। इस क्षेत्र में मौजूदा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, नक्सली प्रभाव मुख्य मुद्दा है।
सांस्कृतिक नगरी वाराणसी का हाल
वाराणसी जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें है– पिंद्र, अजगरा, शिवपुर, रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, सेवापुरी। अजगरा विधानसभा आरक्षित सीट होने के साथ ही बसपा का अभेद्य दुर्ग है। करीब 3.35 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में दलित मतदाता 40 हजार, यादव 40 हजार, पटेल 35 हजार, राजपूत 20 हजार, ब्राह्मण 18 हजार, ठाकुर 15 हजार हैं।
पिछली बार साल 2017 चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से कैलाश नाथ सोनकर (83,778 मत) ने सपा के लालजी सोनकर (62,429 मत) को 21,349 वोटों के मार्जिन से हराया था। बात 2022 चुनाव की करें तो कांग्रेस ने आशा देवी, सुहेल देव भारतीय समाज ने सुनील सोनकर, बसपा ने रघुनाथ चौधरी, भाजपा ने त्रिभुवन राम को टिकट दिया है।
बुनकरों का जिला भदोही, जो कोरोना में बर्बाद हो गया
भदोही जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं– भदोही, ज्ञानपुर औराई। औराई आरक्षित सीट है। करीब 3.63 लाख मतदाताओं वाली औराई विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण 80 हजार, दलित 70 हजार, मुस्लिम 40 हजार, बिंद 40 हजार, यादव 40 हजार, वैश्य 20 हजार, क्षत्रिय 15 हजार, मौर्य 15 हजार, पाल 20 हजार, व अन्य 55 हजार हैं।
साल 2017 के चुनाव में भाजपा के दीनानाथ भास्कर (83,325 वोट) ने सपा की मधुबाला पासी (63,546 वोट) को हराया था। इस बार केचुनाव के लिये कांग्रेस ने अंजू कनौजिया, भाजपा ने दीनानाथ भास्कर, सपा ने श्रीमती अंजनी, बसपा ने कमला शंकर को टिकट दिया है। यहां किसानों के लिये सिंचाई की समस्या, और बुनकरों के लिये पूंजी की समस्या मुख्य मुद्दा है। इसके अलावा यहां तमाम बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। चीनी मिल, कालीन फैक्ट्रियां रोज़गार का मुख्य साधन हैं जिन्हें कोरोना के दौरान लगाए गए लॉकडाउन ने बंद कर दिया।
मिर्ज़ापुर जिला
मिर्ज़ापुर जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं– छनबे, मिर्जापुर, मझवां, चुनार, मरिहन। छनबे विधानसभा आरक्षित है। इस विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी, कोल, बाहुल्य अधिकांश हिस्सा पिछड़ा है। करीब 3.65 लाख मतदाताओं वाली इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 57 हजार कोल, 50 हजार हरिजन, 22 हजार ब्राह्मण, 22 हजार यादव, 20 हजार मुस्लिम, 17 हजार क्षत्रिय मतदाता हैं। पटेल, निषाद, बिंद मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं और सीट के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं।
साल 2017 के चुनाव में अपना दल (एस) के राहुल प्रकाश (107,007 मत) ने बसपा के धनेश्वर (43,549 मत) को हराया था। वहीं इस बार कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी, बसपा ने धनेशवरी, सपा ने कीर्ति, भाजपा गठबंधन ने अपना (एस) के राहुल कोल को प्रत्याशी बनाया है।
बात मुद्दों की करें तो छानबे विधानसभा सीट के पहाड़ी इलाकों में पानी की समस्या है। हलिया और लालगंज इलाके के दर्जनों गांव पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। गर्मियों में पानी की इतनी किल्लत हो जाती है कि लहुरियादह समेत कई गांवों में टैंकर से सप्लाई करनी पड़ती है। इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से राजकीय डिग्री कॉलेज, छानबे मिश्रपुर के पास गंगा नदी पर पुल की मांग की जाती रही है। इस क्षेत्र के कई इलाकों में सड़कें भी नहीं हैं।
कार्पोरेट लूट के ख़िलाफ़ आदिवासी प्रतिरोध वाला सोनभद्र जिला
सोनभद्र जिले को ‘देश की ऊर्जा राजधानी’ माना जाता है। यहां बिजली उत्पादन के लिए कई संयंत्र और इकाईयां काम कर रही हैं। आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले में कुल 4 विधानसभा सीट हैं– घोरावल, राबर्ट्सगंज, ओबरा तथा दुध्दी। यह जिला प्राकृतिक संसाधनों के लूट व आदिवासियों के दमन के विरोध में नक्सलवादी प्रतिरोध के लिये जाना जाता है। सोनभद्र के 4 विधानसभा सीटों में से 2 आरक्षित सीटें हैं। सबसे पहले बात ओबरा विधानसभा की।
जनजाति समुदाय के आरक्षित है ओबरा
ओबरा में कई बड़ी इंडस्ट्री स्थापित हैं। करीब 3.12 लाख मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण देखें तो अनुमानित यादव 30 हजार, खरवार 25 हजार, वैश्य 22 हजार, कोल 20 हजार, दलित 16 हजार, ब्राह्मण 15 हजार, मौर्या 12 हजार, पनिका 12 हजार, बैरवा 10 हजार, पटेल 10 हजार, विश्वकर्मा 8 हजार, गुर्जर 7500, चेरो बैगा 7 हजार और चौहान मतदाता साढ़े छः हजार हैं।
पिछली बार साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के संजीव गोंड (78058 मत) ने सपा प्रत्याशी रवि गोड़ (33789 मत) को 44269 वोटों के अंतर से हराया था। बसपा प्रत्याशी वीरेंद्र प्रताप सिंह (29113 वोट) तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने राम राज गोंड, सपा ने अरविंद कुमार, भाजपा ने संजीव गोंड बसपा ने सुभाष खरवार को उम्मीदवार बनाया है।
दुद्धी (एसटी)
सोनभद्र जिला की यह दूसरी सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है। साथ ही उत्तर प्रदेश की आखिरी यानि 403वां विधानसभा है। करीब 3.10 लाख मतदाताओं वाले इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा गोंड जनजाति के मतदाता 48 हजार हैं। इसके बाद दलित 35 हजार, वैश्य 30 हजार, खरवार 25 हजार, ब्राह्मण 18 हजार, यादव 17 हजार, चेरो 10 हजार, अगरिया 9 हजार, घसिया और क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 9 हजार है। मुस्लिम मतदाता 18 हजार, बैसवार 14 हजार, बिंद 14 हजार, कनौजिया 13 हजार, धरिकार 12 हजार, विश्वकर्मा पांच हजार, कायस्थ मतदाताओं की संख्या तकरीबन 5 हजार और पाल चार हजार है।
पिछली बार 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा गठबंधन अपना दल (एस) के हरिराम चेरो (64,364 वोट) ने बसपा के कद्दावर नेता विजय सिंह गौड़ (63,274 मत) को नजदीकी मुक़ाबले में शिकस्त दी थी। बात 2022 विधानसभा चुनाव की करें तो दुद्धी सीट से सात बार विधायक रहे विजय सिंह गौड़ इस दफे सपा में हैं। सपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं मौजूदा विधायक व अपना दल (एस) गठबंधन के नेता हरिराम चेरो बसपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। भाजपा गठबंधन के घटक अपना दल का विधायक होने के बावजूद पिछले 5 वर्षों में लगातार प्रदेश की योगी सरकार की नीतियों के विरुद्ध हरिराम चोरो लगातार हमलावर रहे थे। वहीं अब भाजपा ने राम दुलार गोंड, और कांग्रेस ने बसंती पनिका को टिकट दिया है। दुद्धी विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के लिए आय के सीमित साधन हैं। दुद्धी में तेंदू के पत्ते के जंगल पाए जाते हैं, जिससे यहां के स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलता रहता है।
(संपादन : नवल/अनिल)