जोतीराव फुले (11 अप्रैल, 1827 – 28 नवंबर, 1890) पर विशेष
ब्रिटिश काल में सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी लडाई लड़ने वाले महान योद्धा जोतीराव फुले का स्थान भारतीय सामाजिक क्रांतिकारियों में सबसे महत्वपूर्ण है। हजारों वर्षों से भारत में शूद्रों, अतिशूद्रों और स्त्रियों पर होनेवाले अत्याचारों के विरूद्ध उनके संघर्षों के कारण ही ब्रिटिशराज में परिवर्तन आने शुरू हुये और अंग्रेज शासकों द्वारा नये कानून बनाये गये। जोतीराव फुले ने भारतीय समाज की सबसे बडी बीमारी जाति व्यवस्था और उसकी जड़ ब्राह्मणवाद को न केवल समझा, बल्कि उस पर जबरदस्त प्रहार भी किये, जो परिवर्तनवादी जन आंदोलन के इतिहास मे स्वर्ण अक्षरो में दर्ज हैं। इसी कारण डॉ. आंबेडकर ने उन्हें अपना गुरू माना और उनके सामाजिक दर्शन को अपने आंदोलन का मुख्य आधार बनाया।