गत 16 अगस्त, 2022 को नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवगठित महागठबंधन सरकार में नये मंत्रियों को शपथ दिलायी गयी। इसके सामाजिक स्वरूप को देखने से दो बातें स्पष्ट हो गयी हैं कि मंत्रियों के चयन में प्राथमिकता बदलने लगी है। इस नई सरकार में सवर्णों की संख्या घटी तो यादवों की संख्या बढ़ गयी। जदयू ने न अपने मंत्रियों की संख्या बढ़ाई है और न चेहरों को बदला है। उनके सभी मंत्री सरकार में यथावत बने रहे हैं। नये चेहरों की बात करें तो यह सिर्फ राजद और कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को ही नया कहा जाएगा। राज्य सरकार में 19 नये मंत्री शामिल किये गये हैं। इनमें 17 राजद के और 2 कांग्रेस के हैं। जदयू के मुख्यमंत्री समेत 12, एक हिंदुस्तनी अवाम मोर्चा (हम) और एक निर्दलीय वापस सरकार में शामिल हैं।
पहले हम कांग्रेस की बात करते हैं। राज्य सरकार में कांग्रेस को दो मंत्रियों की हिस्सेदारी दी गयी है। इसमें एक चमार जाति के हैं मुरारी मोहन गौतम। दूसरे अफाक आमल अशराफ मुसलमान हैं। मतलब साफ है कि कांग्रेस भी अब राजद की राह चलेगी। सवर्णों से उसका मोहभंग हो गया है। उसने भी मान लिया है कि नये राजनीतिक ढांचे में सवर्णों की राजनीति नहीं की जा सकती है। इसलिए नयी सरकार में अपनी जातीय दिशा तय कर दी है। हालांकि मुरारी गौतम के चयन में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और सासाराम की पूर्व सांसद मीरा कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
लेकिन राजद के मंत्रिमंडल के सामाजिक स्वरूप को देखकर स्पष्ट हो गया है कि राजद अपने आधार वोट को मजबूती से बांधे रखने को प्रतिबद्ध है। उसके 17 मंत्रियों में 7 यादव और 3 मुसलमान हैं। शेष बची 7 सीटों सभी जातियों की हिस्सेदारी तय हो गयी। इसमें 2 दलित (चमार एवं पासवान), एक राजपूत, एक भूमिहार, एक कुशवाहा, एक बनिया और एक नोनिया (अतिपिछड़ी जाति) को जगह दी गयी है।
इस बार राजद ने तीन मुसलमानों को सरकार में जगह दी है, जिनमें 2 पसमांदा मुसलमान हैं। मुजफ्फरपुर जिले के कांटी से निर्वाचित इसराइल मंसूरी धूनिया जाति के पहले विधायक हैं। उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया है। अररिया के जोकीहाट से दूसरी बार निर्वाचित शाहनवाज भी अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल कुल्हैया जाति से आते हैं। पहली बार पसमांदा मुसलमानों को तरजीह दी गयी है। यह बिहार के बदलते सामाजिक और राजनीतिक समीकरण का असर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पार्टी के हैदराबाद में आयोजित बैठक में कहा था कि पसमांदा मुसलमान भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी हैं। पार्टी को इन जातियों पर भी फोकस करना चाहिए और उन्हें पार्टी से जोड़ना चाहिए। राजद के पसमांदा के प्रति झुकाव का एक कारण यह भी हो सकता है।
सरकार में शामिल सभी दलों के मंत्रियों के वर्गीय और जातीय संख्या का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि मंत्रिमंडल में 9 सवर्णों को जगह मिली है। इसमें 6 हिंदू और 3 मुसलमान सवर्ण हैं। इसके अलावा 13 पिछड़ा, 6 अनुसूचित जाति और 5 अतिपिछड़ी जाति को मंत्रिमंडल में जगह दी गयी है। सरकार में मुख्यमंत्री समेत कुल 33 मंत्रियों को जगह दी गयी है।
(संपादन : नवल/अनिल)
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