यात्रा संस्मरण
इस बार झारखंड जाने का प्लान थोड़ा लंबा बना था। मैं तय करके गई थी कि झारखंड के हर जिले में कदम रखूंगी। मैंने शुरुआत की गिरिडीह जिले से। गिरिडीह में जैन समुदाय सबसे धार्मिक स्थल पारसनाथ मंदिर है। इसका इतिहास 1775 साल पुराना है। जैन के 23वें तीर्थंकर पारसनाथ ने यहां समाधि ली थी, जिसके बाद इस जगह का नाम पारसनाथ पड़ा। पारसनाथ में 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों की समाधि है।
पारसनाथ की पहाड़ियां समुद्र तल से लगभग 4500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कई मंदिर तो यहां 2000 साल से भी ज्यादा पुराने बताए जाते हैं। आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि यहां के गांवों में पारसनाथ की पहाड़ियों को कोई नहीं जानता। अगर आप यहां आसपास रहने वाले किसी आदिवासी से पूछेंगे कि पारसनाथ कहां है? तो वो 23वें तीर्थंकर की समाधि तक ले जाएंगे, परंतु पूरे पहाड़ को पारसनाथ नहीं कहेंगे। पारसनाथ का नाम तो यहां रहने वाले आदिवासियों के इतिहास में है ही नहीं, उनके यहां इसे मारंग बुरू कहा जाता है।