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हिंदुत्व मुक्त भारत की ओर

तेलुगु-भाषी क्षेत्र के अपने अध्ययन पर आधारित कांचा आइलैय्या शेपर्ड की यह मूल अंग्रेजी कृति ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया : अ डिस्कोर्स ऑन दलित-बहुजन, सोशियो-स्पिरिचुअल एंड साइंटिफिक रेवोलुशन’ के हिंदी अनुवाद का हिंदी भाषी दलित-बहुजन पाठकों के परिप्रेक्ष्य से सूक्ष्म संपादन कर इस पुस्तक को साकार बनाया गया है। आज ही घर बैठे खरीदें। मूल्य– 500 रुपए (अजिल्द)

लेखक : कांचा आइलैय्या शेपर्ड

मूल्य : 500 रुपए

ऑनलाइन खरीदें : अमेजन, फ्लिपकार्ट

थोक खरीद के लिए संपर्क : (मोबाइल) : 7827427311, (ईमेल) : fpbooks@forwardpress.in

“हिंदुत्व मुक्त भारत का पहला मुख्य एजेंडा एक निचले स्तर तक का आध्यात्मिक लोकतांत्रिक आधार निर्मित करना है। इसके लिए भारत के दलित-बहुजनों को एक ऐसी धार्मिक संरचना की ओर जाना होगा, जो आध्यात्मिक समानता के उनके अधिकार की गारंटी देता है और ऐसी व्यवस्थाओं की ओर जाना होगा, जो समान आध्यात्मिक अधिकारों की गारंटी देती हों। इसके लिए दलित-बहुजन नागरिक समाज को ब्राह्मणवाद और अपने ही अंदर की मूर्तिपूजा से लड़ने के लिए साहस और आत्मविश्वास अवश्य जुटाना चाहिए, क्योंकि दलित-बहुजन जातियां भी ब्राह्मणवादी मूर्तिपूजा से बाहर नहीं निकली हैं। बिना मूर्तिपूजा की पुरातनपंथी संस्कृति से बाहर निकले और धीरे-धीरे सकारात्मक पुस्तक-आधारित प्रार्थना व्यवस्था में प्रवेश किए, दलित-बहुजन समाज हिंदू ब्राह्मणवाद को चुनौती नहीं दे सकता। दलित-बहुजन निरक्षरता, अज्ञान और ब्राह्मणवाद की दासता तब तक नहीं टूटेगी जब तक कि यह अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी व्यवस्थाओं की मूल शक्ति को महसूस न कर ले। हालांकि दलित-बहुजन आहार संस्कृति, कार्य संस्कृति और लोकतांत्रिक स्त्री-पुरुष संबंध एक सकारात्मक सामाजिक आधार के रूप में काम करते हैं, उनकी अपनी छवि में भारत का निर्माण करने के लिए उनको एक उन्नत आध्यात्मिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर जाना पड़ेगा। जब तक कि वे ऐसा नहीं करते हैं, वे अपनी आंतरिक क्षमता को महसूस नहीं कर सकते और जीवन के सारे क्षेत्रों से ब्राह्मणवादी शक्तियों को नहीं हटा सकते।” 

(कांचा आइलैय्या शेपर्ड द्वारा लिखित ‘उपसंहार : हिंदुत्व मुक्त भारत’ से उद्धृत)

“तेलुगु-भाषी क्षेत्र के अपने अध्ययन पर आधारित कांचा आइलैय्या शेपर्ड की यह मूल अंग्रेजी कृति ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया : अ डिस्कोर्स ऑन दलित-बहुजन, सोशियो-स्पिरिचुअल एंड साइंटिफिक रेवोलुशन’ के हिंदी अनुवाद का हिंदी भाषी दलित-बहुजन पाठकों के परिप्रेक्ष्य से सूक्ष्म संपादन कर इस पुस्तक को साकार बनाया गया है। बहुसंख्यक आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक वैचारिकी पर आधारित इस किताब में हमारी कोशिश यही रही है कि अनुवाद, मूल के प्रति निष्ठ रहने के साथ-साथ अधिक ग्राह्य बन सके और पाठक उसके कथ्य को अपने आसपास की दुनिया से जोड़ सकें।” (पुस्तक में संकलित प्रकाशकीय से उद्धृत)

 

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