गत 7 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के जगदलपुर में ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों ने अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। संभाग के सात जिलों से पहुंचे लोगों ने शहर के मंडी स्थल में एक दिवसीय धरना दिया। इसके पहले उन्होंने एक बड़ी रैली भी निकाली। इस आशय की जानकारी छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने दी।
पन्नालाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के ईसाई समुदाय के लोग अब राज्य सरकार से निराश हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे लोग पिछले चार वर्षों से राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन देकर गुहार लगा रहे हैं ताकि उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा हो सके, लेकिन सारे ज्ञापन कचरे के डब्बे में फेंक दिये गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी जगदलपुर में विश्व हिंदू परिषद ने गत 10 अप्रैल, 2023 को सार्वजनिक स्थल में शपथग्रहण का आयोजन किया। इसमें मुस्लिम और ईसाई समाज का बहिष्कार करने की शपथ दिलाई गई और नफरत फैलानेवाली बातें कही गईं। पन्नालाल ने कहा कि नफरत फैलाने वालों के ऊपर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को स्वत: संज्ञान लेने का निर्देश दिया है, लेकिन जगदलपुर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम के विरोध में ईसाई आदिवासी समुदाय ने 24 अप्रैल, 2023 को प्रदर्शन किया। इसमें करीब तीन हजार लोग शामिल हुए। छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम ने उस विरोध प्रदर्शन के बाद भी जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपने हितों की रक्षा करने की मांग की थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन के स्तर पर जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तब गत 7 मई, 2023 को पांच हजार से अधिक की संख्या में लोगों ने जुटकर फिर से प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के मार्फत राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि आंसू का एक कतरा भी हुकूमत के लिए खतरा होता है। ईसाई समाज की उपेक्षा से जन्मा आक्रोश, चुनाव में क्या रंग लाएगा, समय बताएगा। ईसाई समाज गोलबंद हो गया है। उन्होंने तीसरे विकल्प की चर्चा की भी बात कही।
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फोरम के सदस्य अनिमेष दास ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से बस्तर संभाग में ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों पर अत्याचार बढ़ा है। उनके साथ मारपीट करने से लेकर गिरजाघरों में तोड़फोड़ की घटनाएं भी घटित हो रही हैं। इसके अलावा गांव-गांव में ईसाई आदिवासी समाज के लोगों को सार्वजनिक स्थल पर पेयजल के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि जुल्म की इंतहां यह कि मृत्यु होने पर शव दफनाने के दौरान भी बाधा उत्पन्न कर परिवार वालों को परेशान किया जा रहा है। लोगों को अपने खेत में खेती करने नहीं दिया जा रहा है, और जीवनयापन करने के लिए मजदूरी करने पर भी रोक लगा दी गई है। इस तरह की प्रताड़ना के कारण ईसाई आदिवासी अपना गांव छोड़कर चले जाने को मजबूर किये जा रहे हैं।
बहरहाल, छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के पदाधिकारियों का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर बस्तर में माहौल बिगाड़ा जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि आरएसएस द्वारा यह आरोप कि प्रलोभन देकर लोगों को ईसाई बनाया जा रहा है, तथ्य से परे हैं। वास्तविकता यह है कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत लोग स्वेच्छा से ईसाई धर्म को अपना रहे हैं।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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