h n

मानववाद साकार करने के संकल्प के साथ अर्जक संघ, बिहार का सम्मेलन संपन्न

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार भारती ने कहा कि देश में श्रम की महत्ता दिलाने, पाखंड मुक्त समाज बनाने, वैज्ञानिक सोच स्थापित करने और मानववादी विचार, आचार, संस्कार और त्योहार स्थापित करने हेतु अर्जक संघ के कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उपेंद्र पथिक की खबर

श्रम की महत्ता दिलाने और मानववादी व्यवस्था लाने के उद्देश्य से स्थापित अर्जक संघ की बिहार इकाई का 20वां दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन विगत 27 अक्टूबर, 2024 को ऐतिहासिक राजगीर स्थित सम्राट अशोक कुशवाहा धर्मशाला में संपन्न हो गया। सभा की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने किया जबकि संचालन अर्जुन कुशवाहा और रामप्रसाद सिंह ने किया।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार भारती ने कहा कि देश में श्रम की महत्ता दिलाने, पाखंड मुक्त समाज बनाने, वैज्ञानिक सोच स्थापित करने और मानववादी विचार, आचार, संस्कार और त्योहार स्थापित करने हेतु अर्जक संघ के कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। अर्जक पद्धति से शादी और शोकसभा बड़े पैमाने पर होने लगे हैं। अर्जक पर्व भी मनाए जाने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि उचित शिक्षा के अभाव में हम गरीब और निराद्रित बने हुए हैं। इसलिए अर्जक संघ समान, निःशुल्क और मानववादी शिक्षा के लिए आंदोलन करता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा संबंधी दस सूत्री मांगों को लेकर प्रखंड से लेकर दिल्ली तक आंदोलन चलाया जा रहा है। इस क्रम में आगामी 15 नवंबर को दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी होने जा रहा है। उन्होंने बिहार के सदस्यों से दिल्ली चलने का आह्वान किया।

सम्मेलन को संबोधित करते अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार भारती

अर्जक संघ के संस्थापक महामना राम स्वरूप वर्मा जी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि यदि अर्जक संघ की शिक्षा संबंधी मांगें सरकार मान लेती है तो अंधविश्वास, अपराध, अशिक्षा, बेरोजगारी, दंगा फसाद आदि की समस्या समाप्त हो जाएगी। यहां तक कि जेलों में भी कमी आएगी। उन्होंने महामना बुद्ध, कबीर, फुले, पेरियार, वल्लभ भाई पटेल, डॉ. आंबेडकर, रामस्वरूप वर्मा, शहीद जगदेव प्रसाद, ललई सिंह यादव, चौधरी महाराज सिंह भारती के किए गए कार्यों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अर्जक संघ मानववाद लाने तक संघर्ष करता रहेगा।

मुख्य अतिथि शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र कटियार ने कहा कि समाज में ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद इस कदर हावी है कि मेहनत करके जीविकोपार्जन करने वाले को न तो सम्मान मिलता है और न ही उन्हें उचित मजदूरी ही मिलती है। इज्जत और रोटी हमारी मुख्य समस्या है। इसके लिए अर्जक संघ सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संघर्ष करता रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में समाजवाद स्थापित करने हेतु शोषित समाज दल भी सक्रिय है और अर्जक संघ के संघर्षों के साथ सहयोग करता रहा है। उन्होंने अर्जक संघ और शोषित समाज दल के संस्थापक महामना राम स्वरूप वर्मा और शहीद जगदेव प्रसाद के सिद्धांतों और कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए कहा कि यदि आज के राजनेता इन्हें सही रूप में समझ जाएं तो देश का कल्याण हो जाएगा। उन्होंने सभा में महिलाओं की अधिक संख्या और अर्जक सदस्यों की मौजूदगी देखकर संघ के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की।

वहीं विशिष्ट अतिथि मखदुमपुर से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक सतीश दास ने अर्जक संघ द्वारा पाखंडवाद के खिलाफ किए जाने कार्यों की चर्चा करते हुए संघ की सराहना की और कहा कि 1968 में अर्जक संघ की स्थापना करके महामना राम स्वरूप वर्मा ने महान कार्य किया है। सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए अर्जक संघ को जाना जाता है। हम भी यथासंभव मदद करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक चेतना जगाना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। बाबा साहेब के संविधान ने हमसब को बहुत सारा अधिकार दिया है। ‘जय भीम’ बोलने वालों के पास कोई खास आइडियोलॉजी नहीं है। अर्जक संघ के सदस्यों को ‘जय भीम’ बोलने वालों को ‘जय अर्जक’ तक लाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। साथ ही अधिक से अधिक नवयुवकों को संगठन से जोड़ना चाहिए।

सभा को अन्य अर्जकों के अलावा संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिवनंदन प्रभाकर, रामजी वर्मा, रामेश्वर शर्मा, शत्रुघ्न यादव, संजय श्याम, बिनोद विरोधी, जगदेव प्रसाद, किशोरी प्रसाद, राकेश कुमार, कमल रंजन, धर्मेंद्र कुमार, कमलेश कमल समेत दर्जनों अर्जक कार्यकर्ताओं ने सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कुरीतियों और अंधविश्वास को मिटाकर अर्जक संस्कृति को स्थापित करने का संकल्प दोहराया।

इस अवसर पर जंगबहादुर सिंह, सविता कुमारी, जादूगर सियाराम महतो, आदि कलाकारों ने अपनी-अपनी कला के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और ब्राह्मणवाद को समूल नाश करने और मानववादी व्यवस्था स्थापित करने पर बल दिया।

सम्मेलन में संघ के प्रांतीय महामंत्री दीपक पासवान ने अपने कार्यकाल का प्रतिवेदन पढ़ा। प्रतिनिधि सम्मेलन हुआ और अंत में नए साल के लिए चुनाव हुआ, जिसमें अरुण कुमार गुप्ता और दीपक पासवान पुनः अगले सत्र के लिए क्रमशः अध्यक्ष और महामंत्री चुने गए। इसके अलावा 24 सदस्यीय समिति भी चुनी गई। राष्ट्रीय महामंत्री सियाराम महतो ने अर्जक संघ के देश भर में चलाए गए कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए समारोह का समापन किया। स्वागत समिति ने भी सभी को धन्यवाद दिया।

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

उपेन्द्र पथिक

सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार उपेंद्र पथिक अर्जक संघ की सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वे बतौर पत्रकार आठवें और नौवें दशक में नवभारत टाइम्स और प्रभात खबर से संबद्ध रहे तथा वर्तमान में सामाजिक मुद्दों पर आधारित मानववादी लेखन में सक्रिय हैं

संबंधित आलेख

झारखंड : केवाईसी की मकड़जाल में गरीब आदिवासी
हाल ही में प्राख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के नेतृत्व में एक टीम ने झारखंड के आदिवासी इलाकों में सर्वे किया और पाया कि सरकार...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : आंबेडकरवादी पार्टियों में बिखराव के कारण असमंजस में दलित मतदाता
राज्य में दलित मतदाता और बुद्धिजीवी वर्ग आंबेडकवादी नेताओं की राजनीति और भूमिकाओं से तंग आ चुके हैं। आंबेडकरवादी राजनेता बहुजन समाज के हितों...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित राजनीति में बिखराव
भाजपा, अजीत पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर उन जातियों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक...
बहुजनों के हितार्थ बनाए गए संविधान को मनुस्मृति से खतरे की बात बार-बार क्यों दोहरा रहे हैं राहुल गांधी?
समता, स्वतंत्रता और न्याय के संघर्ष में संत तुकाराम, बासवन्ना, गुरु नानक, सामाजिक क्रांतिधर्मी जोतीराव फुले और डॉ. आंबेडकर का चिंतन भारत के संविधान...
‘चरथ भिक्खवे’ : बौद्ध परिपथ की साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा सारनाथ से प्रारंभ
हिंदी प्रदेशों में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक पिछड़ापन है। यहां पर फासीवादी राजनीति ने अपना गढ़ बना लिया है। इसलिए किसी भी सामाजिक परिवर्तन...