राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के बालोतरा जिले में दलित आक्रोशित हैं। कल 12 दिसंबर को हजारों की संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाला। उनके आक्रोश की वजह यह है कि बालोतरा जिले के बालोतरा थाना के असाडा गांव निवासी आंबेडकरवादी व मानवाधिकार कार्यकर्ता विशनाराम मेघवाल की हत्या गत 10 दिसंबर को दोपहर में यानी मानवाधिकार दिवस के दिन ही कर दी गई। इस मामले की रिपोर्ट उनके परिजनों द्वारा पुलिस थाना बालोतरा में दर्ज करवाई गई है।
मिली जानकारी के अनुसार अभी तक इस मामले में मुख्य आरोपी हर्षदान चारण पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वहीं परिजन और स्थानीय दलित मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने व मृतक के आश्रितों को मुआवजे की मांग को लेकर नाहटा स्थित राजकीय अस्पताल के शवगृह के बाहर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने अभी तक मृतक के शव का पोस्टमार्टम नहीं करने दिया है।
पीयूसीएल, राजस्थान के अध्यक्ष व प्रसिद्ध दलित विचारक भंवर मेघवंशी ने जानकारी दी है कि मृतक विशनाराम आंबेडकरवादी विचारों का प्रचार-प्रसार करता था। वह गांवों में मंडलों का गठन व पुस्तकालयों की स्थापना कर मानवाधिकारों व डॉ. आंबेडकर के विचारों का प्रसार करता था। इसके साथ ही वह टेंट व्यवसय में अपने भाई का हाथ बंटाता था। गत 10 दिसंबर को जब वह टेंट खोलने गया तो एक तोरण द्वार खोलने के क्रम में आरोपी हर्षदान चारण और उसके बीच कहा-सुनी हुई। हर्षदान एक हिस्ट्रीशीटर गुंडा है, जिसके खिलाफ बालोतरा थाने में पहले से ही मामला दर्ज है। उसने विशनाराम मेघवाल से रंगदारी मांगी, जिससे इंकार करने पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ और आरोपी ने उसके ऊपर चाकू से वार कर दिया, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया। इस क्रम में आरोपी ने मृतक को जाति सूचक गालियां दीं।
मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान में चारण जाति मूलत: राजपूत होते हैं, लेकिन राज्य में उन्हें ओबीसी की श्रेणी में रखा गया है।
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, घायल विशनाराम को जब नाहटा स्थित राजकीय अस्पताल ले जाया गया तब उसे जोधपुर रेफर किया गया। रास्ते में ही उसकी मौत हो गई, जिसकी पुष्टि जोधपुर स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने कर दी।
विशनाराम की मौत की सूचना मिलते ही बालोतरा के दलित-बहुजनों में आक्रोश फैल गया। भंवर मेघवंशी के मुताबिक इस हत्याकांड में पुलिस प्रशासन का रवैया प्रारंभ से ही उदासीन रहा है। उनके लिए एक दलित की मौत कोई मायने नहीं रखती है। जिस घटना से पूरा राजस्थान आक्रोशित है, उसके बारे में राज्य सरकार आंखें मूंद कर बैठी है और अपनी सरकार के एक साल पूरे होने के जश्न में डूबी है।
उधर स्थानीय धरनारत स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार घटना के दो दिनों के बाद 12-13 दिसंबर कीे रात एक बजे प्रशासन की नींद खुली और स्थानीय जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने धरना दे रहे लोगों से वार्ता करने की बात कही तथा पोस्टमार्टम करवाने का दबाव बनाया।
इस संबंध में एक ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजा गया है। इस ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्य आरोपी काे अविलंब गिरफ्तार किया जाय। ज्ञापन में कहा गया है कि आरोपी को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है, उसके संरक्षकों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाय। वहीं पीड़ित परिवार व गवाहों को सुरक्षा देने तथा इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित न्याय की मांग भी ज्ञापन के माध्यम से की गई है। इसके अलावा ज्ञापन में कहा गया है कि मृतक की हाल में शादी हुई थी। वह अपने घर में कमानेवाला एकमात्र सदस्य था। इस कारण राज्य सरकार उसके आश्रितों को समुचित मुआवजा दे।
(संपादन : नवल/अनिल)