बीते दिनों एनडीटीवी के हवाले से खबर आयी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान विष्णु के 11वें अवतार हैं। महाराष्ट्र के भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाध ने यह बयान दिया। उनके इस बयान का विपक्ष ने मजाक उड़ाया और कांग्रेस ने इसे देवताओं का ‘अपमान’ करार दिया। इससे पहले प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ ने ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा, “सम्मानीय प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार हैं।”’
बाद में एक मराठी चैनल के साथ बातचीत में भी उन्होंने कहा कि देश का सौभाग्य है कि हमें मोदी में भगवान जैसा नेता मिला है।
उल्लेखनीय कि आज तक आरएसएस और भाजपा भगवान बुद्ध को विष्णु का दसवां अवतार बताते रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि विष्णु के कितने अवतार होंगे?
अवधूत वाध की इस टिप्पणी पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “वाघ वीजेटीआई से अभियांत्रिकी स्नातक हैं। अब इस बात की जांच करने की जरुरत है कि उनका (डिग्री) सर्टिफिकेट असली है या नहीं। ऐसी उनसे आशा नहीं थी।”
बताते चलें कि वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलोजी इंस्टीट्यूट (वीजेटीआई) 1887 में स्थापित, एशिया के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक है। इसे 26 जनवरी, 1997 तक विक्टोरिया जुबली तकनीकी संस्थान के रूप में जाना जाता था।
देवी-देवता और भगवान कैसे बनाए जाते हैं, इसका एकमात्र उदाहरण नरेंद्र मोदी को विष्णु का 11वां अवतार घोषित करना ही नहीं है। राजस्थान के हेमंत वोहरा का ही किस्सा ले लीजिए। उन्होंने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को पहले तो पोस्टर के माध्यम से देवी बनाने का अभियान चलाया। संभवतः इसके उत्साहजनक परिणाम मिलने के बाद वसुंधरा राजे का मंदिर बनाने की योजना को अंजाम दे डाला। इसके लिए स्थान, आर्किटेक्ट, पत्थर की किस्म, मूर्ति का आकार, शेर की सवारी व उद्घाटन आदि को अंतिम रूप भी प्रदान कर दिया गया है।
इनके अलावा फिल्मी कलाकार रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर आदि के मंदिर पहले से ही बने हुए हैं। भाजपा के वर्तमान शासनकाल में नाथूराम गोडसे का मन्दिर बनाने की बात भी जोरों पर है। शायद कहीं बना भी दिया गया हो। इनके पीछे के तर्कशास्त्र को भी अपने-अपने तरीके से ईजाद किया जा चुका है, जैसा कि सिंधिया के विषय में तर्क दिया जा रहा है कि वसुंधरा का अर्थ धरती माता होता है। यही नहीं वोहरा सिंधिया को मंदिर के माध्यम से मां कल्याणी के रूप में भी स्थापित करने जा रहे हैं।
यह कवायद हमें सोचने पर विवश करती है। क्या किसी व्यक्ति का नाम ही वह कसौटी है, जिसके आधार पर देवी-देवता व भगवान बनाए जाते हैं? क्या यह देवी-देवता व भगवान बनाने की प्रक्रिया इस हकीकत को पुख्ता नहीं करती है कि अन्य देवी-देवता व भगवान भी संभवतः इसी प्रकार बनाए गए होंगे।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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