बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जिसमें वर्ण-व्यवस्था के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्होंने अपनी किताब ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ में इसका विस्तार से वर्णन किया है। यह किताब आज भी प्रासंगिक है। इसका मुकम्मल हिंदी अनुवाद प्रकाशित कर फारवर्ड प्रेस बुक्स ने सराहनीय कार्य किया है। इस किताब को हर युवा को अवश्य पढ़नी चाहिए फिर चाहे वह दलित हो या सवर्ण। आंबेडकरवाद ही एक मात्र विकल्प है। ये बातें अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद ने बीते 14 अक्टूबर 2018 को धम्म दीक्षा दिवस के मौके पर लखनऊ में जुटे बहुजन साहित्यकारों को संबोधित करते हुए कही।
समारोह का आयोजन बुद्ध आंबेडकर कल्याण एसोसिएशन उत्तर प्रदेश में लखनऊ के नगर निगम सभागार में किया गया था। इसमें अलग-अलग प्रांतों के बहुजन बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. उपनन्द जी के नेतृत्व में भिक्खु संघ ने बुद्ध वंदना एवं त्रिशरण पंचशील ग्रहण करवाया।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश से साहित्यकार डॉ. बी.सी. उइके, देहरादून से डॉ. रंजना रावत, फारवर्ड प्रकाशन, दिल्ली से डॉ. सिद्धार्थ, सिंचाई विभाग (उत्तर प्रदेश) के अधिशासी अभियंता एन.के. गौतम, सेवानिवृत्त आईपीएस सरोज और डॉ. अरविंद कुमार सहायक, शाहजहांपुर ने अपने-अपने विचारों को रखा। इससे पहले अपने संबोधन में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंजीनियर आर.डी. प्रसाद, पूर्व मुख्य अभियन्ता सिंचाई विभाग ने अपने संबोधन में बाबा साहब के सामाजिक एवं धम्म मिशन को शहर से लेकर गांव-गांव तक पहुंचने का आह्वान किया। वहीं, डाॅ. सिद्धार्थ ने बाबा साहब की सामाजिक क्रान्ति एवं दर्शन पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें
अभियंता एन.के. गौतम ने बताया कि 14 अक्टूबर को भारत के एक मात्र चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान ने हिंसा विचार पर विजय प्राप्त करके तथागत बुद्ध के अहिंसा, बन्धुत्व, समानता, मैत्रीपूर्ण धम्म को अपनाया। इसलिए इस दिन का खास महत्व है। उन्होंने फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जाति का विनाश’, जो कि डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ का हिंदी अनुवाद है, का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए कहा कि वैसे तो एनिहिलेशन ऑफ कास्ट के और भी अनुवाद उपलब्ध हैं, लेकिन फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित अनुवाद एक मुकम्म्ल अनुवाद है। क्योंकि इसमें बाबा साहब, गांधी और संतराम बी.ए. के बीच हुए पत्र-व्यवहार को भी प्रकाशित किया गया है। साथ ही इसमें 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में डॉ. आंबेडकर के पहले शोध पत्र ‘भारत में जातियां : उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास’ को भी शामिल किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश की कवयित्री सुनीता बौद्ध ने कवितापाठ कर उपस्थित लोगों को प्रभावित किया। साथ ही नृत्यांगना किरण बौद्ध ने धम्मगीत पर मनमोहक नृत्य किया और जनपद औरैया से आईं रचना बौद्ध की संगीत टीम ने कार्यक्रम में इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी। कार्यक्रम के अंत में साहित्य सृजन व सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले गणमान्यों को सम्मानित किया गया।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क/प्रेम बरेलवी)
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