भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान के मुताबिक जाति व्यवस्था समाज की सच्चाई है। लेकिन इसका खात्मा जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इस बार अपने घोषणा पत्र में जातियों से परहेज किया है। उनसे खास बातचीत :
नवल किशोर कुमार : भाजपा ने इस बार अपने संकल्प पत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई ठोस बातें नहीं कही है। क्या पदोन्नति में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण, निजी क्षेत्र में आरक्षण आदि के सवाल भाजपा के लिए कोई मायने नहीं रखते?
संजय पासवान : हमारी पार्टी ने कम से कम लिखित रूप में जातिगत पूर्वाग्रहों को दूर करने का प्रयास किया है। मौखिक रूप से चाहे जो हो, लिखित रूप में जातियों का उल्लेख न हो तो बेहतर ही है। यहां तक कि हमारे विरोधी कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां भी जातियों के आधार पर राजनीति का समर्थन नहीं करती हैं। रही बात इन जातियों के हक की बात तो हमारी पार्टी की सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन विधेयक पारित कराया और कानून को मजबूत बनाया। मैं यह मानता हूं कि भले ही हमारे घोषणा पत्र में जाति के आधार पर बातें कम कही गयी हैं, लेकिन हमारी नीयत पर संदेह नहीं किया जा सकता है।
न.कि.कु. : लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार फिर स्वयं को ओबीसी कहा है। यहां तक कि उन्होंने अपने आपको तेली का बेटा भी कहा है। फिर संकल्प पत्र में परहेज क्यों?
सं. पा. : मैंने पहले ही कहा कि लिखित रूप से जातिगत पूर्वाग्रहों को दूर रखने का प्रयास किया है। चुनावी रैलियों में कहने की बात अलग है। देखिए मैं एक बात फिर कह रहा हूं कि जाति व्यवस्था हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है। इसका खात्मा जरूरी है।
सं. पा. : देखिए, एक बात तो है ही कि चाहे रामविलास पासवान जी हों या फिर आठवले जी दोनों देश में स्थापित दलित पार्टियों के दलित नेता हैं। मैं एक मेनस्ट्रीम पार्टी यानी मुख्यधारा की पार्टी का दलित नेता हूं। जाहिर तौर पर रामविलास पासवान जी और रामदास आठवले जी की विशेषज्ञता है। इसे ऐसे भी समझें कि दलितों के विषय में हम जैसे नेताओं ने यदि मास्टर या बैचलर डिग्री हासिल की है तो उन्होंने पीएचडी की हुई है। मैं आपको बता दूं कि भाजपा सभी दलित नेताओं को मुख्य धारा की राजनीति में ला रही है। शायद आपका इशारा उदित राज जी की ओर है। तो मैं आपको बता दूं कि हमें आंतरिक सूत्रों से जानकारी मिल गयी थी कि इस बार उनकी जीत मुमकिन नहीं है। लिहाजा हमारी पार्टी ने उम्मीदवार बदल दिया। हमारी योजना यह थी कि उदित राज जी को सम्मान के साथ राज्यसभा भेजें। लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़कर गलत किया।
न.कि.कु. : ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही थी कि आप भी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। परंतु आपको बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाकर खामोश कर दिया गया। इसके बावजूद आपकी प्रतिबद्धता भाजपा के प्रति बनी रही। आपको चुनाव लड़ने से क्यों रोका गया?
सं. पा. (हंसते हुए) : शायद आप नहीं जानते हैं कि मैंने 2009 में ही एलान कर दिया था कि मैं अब कभी भी सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा। मुझे खुशी है कि मेरी पार्टी ने मेरी भावनाओं का ख्याल रखा। वैसे मैं स्वयं चाहता था कि मुझे बिहार की राजनीति में रहने दिया जाय। इसलिए मैं अपनी पार्टी के नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट करता हूं। आज देखिए न क्या हो रहा है। रामविलास पासवान जैसे स्थापित दलित नेता भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
न.कि.कु. : उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा गठबंधन से दलितों और पिछड़ों के गोलबंद होने की बातें कही जा रही हैं। यह भी माना जा रहा है कि इस बार भाजपा को वह सफलता न मिले जो 2014 में मिली थी। आप क्या कहेंगे?
संजय पासवान : पहली बात तो आप यह समझ लें कि भारत में जाति का डायनैमिक्स (गति विज्ञान) अलग है। आज यूपी में जाति का दायरा बढ़ा है। जाटव/चमार और गैर जाटव/चमार के बीच खाई बढ़ी है। इसी प्रकार पिछड़ा वर्ग और गैर पिछड़ा वर्ग के बीच खाई है। मैं तो मानता हूं कि हमारा कोर वोटर जिनमें सवर्ण और बनिया जाति के लोग शामिल हैं, हमारे पक्ष में एकजुट हैं। जबकि दलित और पिछड़ा वर्ग में वोटों में बिखराव का लाभ मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि हम 2014 से बेहतर प्रदर्शन करेंगे। बिहार में भी हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
न.कि.कु. : चार चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। अब आपका आकलन क्या है? कितनी सीटें आप जीतेंगे?
सं.पा. : मैंने पहले ही कहा कि इस बार हम लोग पिछली बार से अधिक सीटें जीतेंगे। इसे ऐसे समझिए कि 2014 में देश की जनता ने जब नरेंद्र मोदी जी में विश्वास किया था तब जनता ने उन्हें जांचा-परखा नहीं था। लेकिन इस बार नरेंद्र मोदी जी जनता के द्वारा जांचे-परखे जा चुके हैं। पांच सालों में उन्होंने देश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया है। हमें इसका लाभ जरूर मिलेगा।
(यह साक्षात्कार पूर्व में 6 मई 2019 को अमर उजाला में प्रकाशित)
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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