फारवर्ड प्रेस का उद्देश्य दलित-बहुजन और प्रगतिशील तबकों और व्यक्तियों के हाथ में किताबों के रूप में ऐसा बौद्धिक उपकरण प्रदान करना है, जिसका इस्तेमाल वे वर्चस्व के सभी रूपों को तोड़ने एवं अन्याय का प्रतिवाद एवं प्रतिरोध के लिए कर सकें।
हम सभी पाठकों को सूचित करना चाहते हैं कि हमारी किताबें विश्व पुस्तक मेले में उपलब्ध हैं और पाठकों द्वारा पसंद की जा रही हैं।
विश्व पुस्तक मेले में दलित-दस्तक, सम्यक प्रकाश, गौतम बुक सेंटर, अंगूर प्रकाशन और आईपीडीए के स्टॉलों पर फारवर्ड प्रेस की किताबें उपलब्ध हैं। दलित दस्तक स्टॉल नं. 176, सम्यक प्रकाशन स्टॉल न. 217-222, गौतम बुक सेंटर स्टॉल नं.17-18, अंगूर प्रकाशन स्टॉल नं.45। उपरोक्त सभी स्टॉल हाल न. 12A में हैं। आईपीडीए का स्टॉल हाल नं. H-8-11 में है। जिसका स्टॉल न.565 है। यह पुस्तक मेला 4 जनवरी को शुरू हुआ और 12 जनवरी तक चलेगा।
इस पुस्तक मेले में फारवर्ड प्रेस की सभी किताबें उपलब्ध हैं। ‘जाति का विनाश’ (डॉ. आंबेडकर), ‘मदर इंडिया’ (कैथरिन मेयो), ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ (कंवल भारती), ‘दलित पैंथर: एक आधिकारिक इतिहास’ (अंग्रेजी, हिंदी, ज. वि. पवार), ‘महिषासुर: मिथक और परंपराएं’ (संपादन- प्रमोद रंजन), महिषासुर एक जननायक (संपादन- प्रमोद रंजन), ‘बहुजन साहित्य की प्रस्तावना’ (संपादन- प्रमोद रंजन, आयवन कोस्का), ‘जाति के प्रश्न पर कबीर’ (कमलेश वर्मा), ‘बिहार की चुनावी राजनीति’ ( संजय कुमार), ‘फारवर्ड थिंकिंग’ (आयवन कोस्का), ‘चिंतन के जनसरोकार’ (प्रेम कुमार मणि), महिषासुर: ए पीपुल्स हीरो (संपादन- प्रमोद रंजन), ‘द केस फॉर बहुजन लिटरेचर’ (संपादन- प्रमोद रंजन, आयवन कोस्का)।
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पुस्तक मेले में फारवर्ड प्रेस की सर्वाधिक बिकने वाली किताबों में ‘जाति का विनाश’, ‘मदर इंडिया’, ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’, ‘दलित पैंथर: एक आधिकारिक इतिहास’, ‘महिषासुर: मिथक एवं परंपराएं’ और ‘महिषासुर एक जननायक’ शामिल हैं।
यदि आप विश्व पुस्तक मेले में जा रहे हों, तो फारवर्ड प्रेस की किताबों को जरूर देखें और अपने लिए जरूरी किताबें अवश्य खरीदें, ताकि इन किताबों को प्रकाशित करने का हमारा उद्देश्य सफल हो सके।