कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 24 मार्च, 2020 को रात 8 बजे जैसे ही देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की, देश भर के प्रवासी मजदूरों की जान सांसत में आ गई है। बड़े शहरों यथा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, सूरत, अहमदाबाद और चेन्न्ई आदि शहरों में प्रवासी मजदूर फंसे हैं। वे किसी भी कीमत पर अपने-अपने राज्य लौटना चाहते हैं। लेकिन उन्हें वापस नहीं आने दिया जा रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती है। अधिकांश मजदूरों के कोरोना संक्रमित होने की संभावना से रोका गया है। परंतु न तो उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है और न ही उनका इलाज किया जा रहा है। इनमें उत्तर प्रदेश के मजदूर भी शामिल हैं।
मसलन उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के तहसील फूलपुर निवासी दिनेश कुमार, विनोद कुमार और गोरे लाल ठेका मजदूर हैं। ये तीनों सूरत गुजरात में जेसीबी चालक हैं और नमक लोडिंग का काम करते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही उनकी समस्या बढ़ गई है। पहले ठेकेदार उनके रहने की व्यवस्था करते थे, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के बाद उन्हें घर जाने को कह दिया गया है। ट्रेन व बस सेवाएं पहले ही बंद हैं। ऐसे में इनके पास गृह राज्य लौटने का कोई विकल्प नहीं है। सूरत से इलाहाबाद की दूरी भी इतनी ज़्यादा है कि पैदल भी नहीं जाया जा सकता है। फिलहाल तीनों मजदूर एक खाली जगह में प्लास्टिक तान कर रह रहे हैं।
इसी तरह मुंबई के रवाले गोठीवली में उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं। इनमें से एक प्रतापगढ़ यूपी के मंजीत कुमार यहां मजदूरों के लिए चाय व जलपान की दुकान चलाते हैं। मंजीत कुमार कहते हैं कि जब सरकार ने 22 मार्च को जब एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया था तभी बता देते कि 21 दिनों के लिए लॉकडाउन होगा तो हमसब अपने गाँव लौट जाते। हम अब यहां खाली बैठकर कैसे गुजारा करेंगे। मकान मालिक को तो समय से किराया चाहिए।हमारे पास कोई पूंजी नहीं है कि हम खाली बैठकर गुजारा कर सकें।
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इसी तरह अमित कुमार उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं और दिल्ली के आईटीओ, मंडी हाउस व कनॉट प्लेस एरिया में ऑटो चलाते हैं। अमित दिन में ऑटो चलाते और रात में उस ऑटो को कहीं भी खड़ी करके ऑटो में ही सो जाते हैं। लॉकडाउन के बाद अब अमित के सामने खाने-रहने का संकट हो गया है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश में अभी तक कोरोना संक्रमित 34 मरीजों की पहचान हुई है। स्थानीय स्तर पर इंतजाम अभी भी बदतर हैं। प्रयागराज (इलाहाबाद) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. जी.एस. वाजपेयी ने दूरभाष पर बताया कि इलाहाबाद में फिलहाल संक्रमण की जांच करने के लिए कोई लैब नहीं है और हम इलाहाबाद के मरीजों के सैंपल को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ भेजते हैं। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि मेडिकल कॉलेज में जल्द ही कोरोना संक्रमण की जांच के लिए लैब खोला जाएगा।
(संपादन : नवल)