बीते 24 मार्च, 2020 से चल रहे इक्कीस दिवसीय कोविड-19 लॉकडाउन ने लोगों के चिंताओं, भय और चुनौतियों को नई ऊंचाइयों के साथ पूरे देश में एक संकट पैदा कर दिया है। वैसे तो नर्सोंं को “स्वर्गदूत” के रूप में वर्णित किया गया है, जिनका काम मानवों की सेवा करना है। परंतु, वे आज जो विशेष रूप से निजी अस्पतालों में काम कर रही हैं, कई अनापेक्षित चुनौतियों का सामना भी कर रही हैं।
देश के अलग-अलग शहरों से जो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार अब तक दस नर्सोंं, डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इस करण ये सभी खौफ में हैं। इन नर्सों में बड़ी संख्या गरीब और कमज़ोर समुदायों से आने वाली महिलाओं की है। हालांकि इनमें से कुछ ही होंगी, जो अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में बात करती हैं, लेकिन गहराई से समझने से स्पष्ट होता है कि इनमें से अधिकांश ने अपनी पढाई के लिए या तो बैंक से ऋण लिया है या फिर छात्रवृत्ति प्राप्त की है।