फॉरवर्ड प्रेस के लेखक व मैसूर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं संचार विभाग के प्रोफेसर डॉ. बी पी महेश चंद्र गुरु को शुक्रवार, 16 जून, को उस शिकायत के बाद गिरफ्तार कर लिया गया कि उन्होंने गत वर्ष एक समारोह में बोलते वक्त ‘भगवान राम का अपमान’ किया था।
गौरतलब है कि फॉरवर्ड प्रेस को भी वर्ष 2014 में सरकारी दमन का सामना करना पड़ा था. 9 अक्टूबर, 2014 को धार्मिक विद्वेष भड़काने तथा ब्राह्मणों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बीच वैमनष्य फ़ैलाने के अरोप में पत्रिका के दफ्तर पर छापा मारा गया था तथा इसके सम्पादकों आयवन कोसका और प्रमोद रंजन को पुलिस प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी.
मैसुर से गिरफ्तार किये गए प्रोफेसर गुरु भी फॉरवर्ड प्रेस पत्रिका के नियमित लेखक रहे हैं। ‘आम्बेडकर और मीडिया : सशक्तिकरण न कि व्यक्ति पूजा’ शीर्षक उनका आलेख फॉरवर्ड प्रेस के दिसंबर 2015 के आंबेडकर विशेषांक में शामिल था। इसमें उन्होंने लिखा था, ‘आंबेडकर में संवाद की जबरदस्त क्षमता थी। भारतीय प्रेस को लेकर उनका प्रेक्षण उनकी उस धारणा और व्यवहार की झलक पेश करता है, जिसका वे लोग बहुत मान करते हैं, जो मीडिया को मानव विकास का जरिया मानते हैं। ‘
उन्होंने गत वर्ष अक्टूबर में ‘चामुंडी हिल्स’ पर तमाम अन्य बौद्धिकों के साथ मिलकर महीषाना हब्बा का उत्सव मनाया। वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘महिष एक बौद्घ बहुजन शासक था, जिसने मानवीय मूल्यों और प्रगतिशील विचारों को आधार बनाकर महिषा मंडल पर शासन किया। वह समता और न्याय का प्रतीक था…ब्राह्मणवादी ताकतें इतिहास के साथ अन्याय करने पर तुली हैं और उन्होंने चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर को मारे जाने की काल्पनिक कथा रची है। महिषाना हब्बा का उत्सव देसी लोगों के दशहरा उत्सव की शुरुआत है। अब से देसी लोग महिषा के सम्मान में उत्सव मनाएंगे, दशहरा नहीं।’
2016 में नए साल के दिन मैसूर में पहली बार कोरेगांव विजय दिवस का उत्सव मनाया गया। प्रोफेसर गुरु उस आयोजन के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा, ‘निहित स्वार्थी तत्वों ने देश का वास्तविक इतिहास दबा दिया ताके वे बिना पसीना या रक्त की एक बूंद बहाए खुद को सत्ता पर काबिज रख सकें।
रामायण, महाभारत, वचन साहित्य, विद्रोही साहित्य और भारतीय संविधान, जिसमें बेहद बुद्धिमता और मानवीय मूल्यों का समावेशन है, इन सब की रचना देसी लोगों ने की। इन्हीं लोगों ने राष्ट्रीय संपदा निर्मित की और अपने बलिदान से राजनीतिक शक्ति हासिल की। लेकिन ब्राह्मणवादी ओर पूंजीवादी ताकतों ने आजादी के बाद के समय में उनको हाशिए पर धकेल दिया।’
इस वर्ष के आरंभ में प्रोफेसर गुरु ने उस वक्त भाजपा से दुश्मनी मोल ले ली थी, जब उन्होंने मैसूर में रोहित वेमुला की स्मृति में आयोजित एक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की आलोचना की थी। उसके बाद कर्नाटक राज्य भाजपा एस सी मोर्चा के महासचिव चीना रामू ने उनके खिलाफ बेंगलुरू पुलिस में अपमानजनक टिप्पणी करने की शिकायत दर्ज कराई।
इस प्रकार केंद्र की सत्ताधारी भाजपा और कर्नाटक राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस जहां आंबेडकर को हथियाने के लिए आपस में लड़ रही हैं वहीं एक फुले-आंबेडकरवादी को जेल में डाल दिया गया है।