उत्तर भारतीय मीडिया ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह दलितों के साथ नहीं बल्कि सवर्णों के साथ खड़ी है। रोहतास के बडडी गांव में राष्ट्रीय ध्वज फहराने को लेकर राजपूतों द्वारा दलितों की हत्या की खबर पर बिहार की मीडिया का नजरिया ढुलमुल रहा। बिहार से प्रकाशित अंग्रेजी अखबारों ने खबर को तरजीह दी, जबकि दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण सहित राज्य के बड़े हिन्दी अखबारों ने इस खबर को गुटीय संघर्ष करार दिया।
दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर को अहमियत न देते हुए पेज 18 पर ‘रोहतास में दो गुट भिड़े, एक मरा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की, वह भी पंचवीं खबर के रूप में, बिना किसी तस्वीर के। इस खबर में हिंदुस्तान लिखता है कि इस घटना में एक व्यक्ति विलास राम की मौत हो गई जबकि 50 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 15 की हालत नाजुक है। हिंदुस्तान ने इसी पेज पर पांच कॉलम की खबर छापी है, जिसका शीर्षक है ‘पीएमसीएच की इमरजेंसी वार्ड में भर्ती गर्भवती की हालत गंभीर’। चम्पा देवी नाम की यह महिला रोहतास हिंसा की शिकार थी। जबकि दैनिक जागरण ने पृष्ठ 13 पर ‘झंडोत्तोलन को लेकर दो गुट भिड़े, एक की मौत’ शीर्षक से खबर को प्रकाशित किया। इसमें कहीं भी दलितों पर दबंगों के कहर को रेखांकित नहीं किया गया। हिन्दुस्तान ने भी अपनी खबर में दलितों पर हमले की चर्चा नहीं की। दैनिक जागरण ने इस खबर को 13वें पेज पर नीचे जगह दी है। इस खबर को देखने से लगता है कि अखबार ने भ्रम फैलाने की कोशिश की है। शीर्षक देखिए-झंडोत्तोलन को लेकर दो गुट भिड़े, एक की मौत। दैनिक जागरण लिखता है, ‘स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडोत्तोलन के दौरान दो गुटों में हिंसक झड़प हो गई, जिसमें एक अधेड़ रामविलास की मौत हो गई जबकि दोनों पक्षों के 42 लोग घायल हैं।
अखबार ने ‘विलास राम’ की जगह ‘राम विलास’ लिखा है। नाम के आगे ‘राम’ और पीछे ‘राम’ लिखे जाने का फर्क आम आदमी भी समझता है। इन अखबारों ने दो गुटों के बीच मारपीट और गोलीबारी का हवाला दिया है। प्रभात खबर ने पृष्ठ 13 पर ‘रोहतास में झंडोत्तोलन को लेकर हुई हिंसक झड़प, एक की मौत, बयालीस घायल’ शीर्षक से खबर को प्रकाशित किया। लेकिन, प्रभात खबर ने भी इस खबर को लीड नहीं बनाया। इस पेज पर पहली खबर के रूप में भाजपा के कार्यक्रम की खबर छपी है फिर से लौट रहा है जंगलराज। इस अखबार ने संबंधित तस्वीर के साथ एक जख्मी तेज राम का बयान छापा है। प्रभात खबर के अनुसार तेज कहते हैं, जिस जगह पर घटना हुई, वहां रविदासजी की मूर्ति है। हर साल वहां झंडा फहराने को लेकर दबंगों द्वारा दबाव दिया जाता है। इस बार भी दोनों पक्षों में प्रशासन की पहल पर समझौता हुआ और हम लोगों ने समझौते के तहत झंडा फहराने का निर्णय त्याग दिया। सुबह सभी लोग परिसर में जमा थे। इसी बीच दबंग पुलिस के साथ पहुंचे और हमला कर दिया। दैनिक ‘आज’ ने पेज छह पर सिंगल कॉलम की खबर छापी। वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर को अहमियत देते हुए पहले पेज पर प्राथमिकता के साथ ‘दलित किल्ड फोर्टी हट्स फॉर होस्टिंग फ्लैग इन रोहतास’ शीर्षक से विस्तार से खबर को छापा। हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी पहले पेज और विस्तार से पेज चार पर खबर को स्थान दिया। हिन्दुस्तान टाइम्स ने शीर्षक लगाया कि ‘दलित किल्ड इन रोहतास फ्लैग होस्टिंग’।
इन खबरों से साफ होता है कि अखबारों का दलितों के प्रति नजरिया क्या है? वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया की भूमिका भी अच्छी नहीं थी। आर्यन टीवी ने अच्छा कवरेज किया। पीडि़तों के फुटेज भी दिखाए जो पटना के पीएमसीएच में भर्ती हैं। वहीं अन्य चैनलों ने बस खानापूर्ति की।
(फारवर्ड प्रेस के सितंबर 2013 अंक में प्रकाशित)
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