केंद्र सरकार ने तय अवधि रोज़गार [फिक्स्ड टर्म इम्प्लॉयमेंट (एफटीई)] योजना का पहला प्रयोग सेना में करते हुए अग्निपथ योजना के रूप में किया है। इसके तहत सिपाही पद के लिए भर्ती सिर्फ़ 4 साल के लिए की जाएगी और इसके बाद सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। एफटीई योजना को केंद्र सरकार ने 2018 में मंजूरी दी थी और तत्कालीन श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इस आश्य से संबंधित विधेयक सदन में पेश किया था। इस लिहाज से अग्निपथ योजना के जैसी योजना के लागू किये जाने की संभावना पांच साल पहले ही बनने लगी थी। हालांकि अब इसका व्यापक विरोध हुआ है। खासकर उत्तर भारत में यह विरोध खासा चर्चा में रहा। दूसरी ओर निलंबित कृषि क़ानूनों की तर्ज़ पर केंद्र सरकार, भाजपा शासित राज्य सरकारें और उसके सभी सांसद व विधायक तथा सेना के तमाम उच्च अधिकारी व सेनाध्याक्ष अग्निपथ योजना के फायदे गिना रहे हैं। आखिर इस योजना को लेकर ग्रामीण क्या सोचते हैं? इसी सवाल की तलाश फारवर्ड प्रेस ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले के एक दर्ज़न गांवों के लाेगों से बातचीत कर जानने की कोशिश की। हालांकि इस दौरान लोगों के ऊपर सरकारी दमन का खौफ इस कदर स्पष्ट दिखा कि लोगों ने अपना नाम नहीं छापने और फोटो खिंचने की अनुमति तक देने से इंकार किया।