आदिवासियों पर ब्राह्मणवादी संस्कृति लगातार थोपी जा रही है। इसके कारण वे अपनी प्रकृतिपूजक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ब्राह्मणवादी उनके साथ छुआछूत का व्यवहार करते हैं। इसी तरह की एक घटना गत 6 अक्टूबर, 2022 को झारखंड के गढ़वा जिले के पाल्हे नामक गांव में घटित हुई। दबंगों ने कोरवा आदिम जनजाति के पांच युवकों के साथ मारपीट की तथा एक पीड़ित विनोद कोरवा का सिर मुंड़ दिया। दबंगों के मुताबिक युवकों का कसूर यह रहा कि उन्होंने दुर्गा की प्रतिमा के साथ सेल्फी ली।
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 210 किलोमीटर दूर है गढ़वा जिले का पाल्हे गांव। जिले के आदिम जनजाति संघ के अध्यक्ष नन्हेश्वर कोरवा बताते हैं कि इस गांव में कोरवा आदिम जनजाति की आबादी करीब 70 फीसदी है और 30 फीसदी गैर आदिवासी रहते हैं। चूंकि गैर-आदिवासियों का गांव की जमीन पर कब्जा पुरखों से रहा है और वे शोषण करते आए हैं, इसलिए उनकी दबंगई आज भी कायम है। घटना के बारे में उन्होंने बताया कि दुर्गा की मूर्ति की तस्वीर खींचने पर दबंगों ने युवकों के साथ मारपीट यह कहते हुए किया कि “तुमलोग कोरवा जाति के हो, इसलिए दुर्गा मां अपवित्र हो जाएगी।”
छूत हमारे पैसे से क्यों नहीं?
घटना के संबंध में पीड़ित युवकों में से एक विनोद कोरवा ने बताया कि “जब मैं विसर्जन के दिन दुर्गा की मूर्ति की तस्वीर खींच रहा था, तो कुछ लोगों ने मुझे पंडाल से बाहर निकाल दिया और कहा कि मैं कोरवा जाति का हूं, इसलिए यहां नहीं रूक सकता। इतना कहते हुए मुझे उन्होंने पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद उसी गांव के दिनेश कोरवा, अजय कोरवा, गंगा कोरवा और रूपेश कोरवा मुझे बचाने के लिए आए तो उन्हें जातिसूचक गालियां दी गयीं और पीटा गया।”
ध्यातव्य है कि दबंगों ने कोरवा आदिम जनजाति के लोगों से दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने के लिए चंदा उगाही की थी। इस संबंध में विनोद बताते हैं कि मूर्ति बिठाने से पहले उनलाेगों ने गांव में चंदा किया था और हमलोगों से भी चंदा लिया। वे सवाल करते हैं कि “जब हमलोगों से दुर्गापुजा के लिए चंदा लिया था तब उस वक्त हमारा पैसा अछूत क्यों नहीं हुआ?”
बैठक में बुलाकर मारपीट
विनोद कोरवा के अनुसार अगले दिन पूरे मामले में पंचायत के मुखिया रामेश्वर सिंह सहित गांव का दबंग बंधु यादव, मनोज यादव समेत कई अन्य लोगों ने पांचों कोरवा युवकों को एक बैठक के बहाने बुलाया और रस्सी से बांधने के बाद उनकी जमकर पिटाई की। विनोद का आधा सिर मुंड़वा दिया गया। इनकी दबंगई का आलम यह रहा कि इनकी पिटाई का वीडियो भी बनाया गया। इतना ही नहीं पंचायत में पीड़ितों को भूखा रखा गया, पानी भी नहीं पीने दिया गया। इस दौरान जब दिनेश कोरवा ने खुद को बचाने की कोशिश की तो उसके सिर पर हमला करके उसे गहरी चोट पहुंचाई गई।
जैसे ही इस घटना की जानकारी रूपेश कोरवा एवं विनोद कोरवा की मां बसंती देवी को हुई तब उसने बीच बचाव के लिए पंचायत के पूर्व मुखिया पति बंधु यादव का पैर भी पकड़ा और माफी देने के लिए अनुरोध किया। लेकिन दबंगों ने उसकी एक न सुनी।
भयवश चार दिन बाद दर्ज करायी प्राथमिकी
उपरोक्त घटना के बाद पीड़ित युवक और उनका परिवार काफी डरा सहमा रहा। वे लोग इस मामले को लेकर डर से थाना में अपनी शिकायत तक दर्ज कराने नहीं जा पा रहे थे। लेकिन कुछ ग्रामीणों के समझाने के बाद गत 9 अक्टूबर, 2022 को पांचों पीड़ित युवकों ने जिले के चिनियां थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज करायी। अपनी प्राथमिकी में उन्होंने बेता पंचायत के मुखिया रामेश्वर सिंह, पाल्हे निवासी बंधु यादव व मनोज यादव तथा सिदे गांव निवासी मनोज यादव सहित 8 को नामजद अभियुक्त बनाया।
नन्हेश्वर कोरवा बताते हैं कि पाल्हे निवासी बंधु यादव की पत्नी पूर्व में मुखिया थी। बंधु यादव की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। हालांकि कुछ साल पहले उसे लकवा मार दिया था और वह चलने-फिरने में असमर्थ है। फिर भी वह इतना बड़ा जातिवादी है कि उसने रिक्शे पर बैठकर लाठी से युवकों को अपने हाथों से पीटा।
चिनियां थाना प्रभारी वीरेंद्र हांसदा ने बताया कि इस मामले में मुखिया रामेश्वर सिंह समेत आठ लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा 10 अक्टूबर को दो आरोपियों मनोज यादव और मंजय यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है। शेष की गिरफ्तारी के लिए धड़-पकड़ की जा रही है।
मुख्य आरोपी ने कहा– शराब पीकर बदमाशी कर रहे थे युवक
वहीं आरोपी चिनियां के बेता पंचायत के मुखिया रामेश्वर सिंह का कहना है कि उनके ऊपर लगाया गया आरोप निराधार है। उसके मुताबिक, पांचों आदिवासी युवक शराब पीकर दुर्गापूजा के पंडाल में बदमाशी कर रहे थे। इस कारण उनकी पिटाई की गई है ताकि गलत काम करने से ग्रामीण बचे।
वहीं मुखिया रामेश्वर सिंह के बयान का नन्हेश्वर कोरवा विरोध करते हुए कहते हैं कि अगर लड़कों ने शराब पी थी और बदमाशी कर रहे थे तो मुखिया को पुलिस बुलाकर उनके हवाले कर देना चाहिए था न कि उनके साथ मारपीट करना चाहिए था।
विलुप्ति के कगार पर कोरवा आदिम जनजाति
नन्हेश्वर कोरवा बताते हैं कि कोरवा जनजाति झारखंड की विलुप्त हो रही आदिम जनजाति है। अब इस जनजाति की आबादी लगभग 50 हजार रह गई है। इस जनजाति के सबसे अधिक लोग गढ़वा जिले में रहते हैं। वहीं पलामू, लातेहार और गुमला जिले में भी कुछ लोग रहते हैं। लेकिन वहां उनकी आबादी बहुत कम रह गई है।
दुर्गा हमारी देवी नहीं, महिषासुर हमारे पुरखे हैं
कोरवा जनजाति के लिए दुर्गापूजा का क्या महत्व है? यह पूछने पर नन्हेश्वर कोरवा कहते हैं कि “सीधे तौर पर कोई महत्व नहीं है। महिषासुर हमारे पुरखे हैं और हम उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन हिंदू लोग उन्हें राक्षस कहते हैं। इस कारण से हमलोग पहले दुर्गापूजा में शामिल नहीं होते थे। अब होता यह है कि दुर्गापूजा के दौरान मेला-ठेला लगता है तो आदिवासी समाज के लोग भी चले जाते हैं। इसके अलावा अब सब लोग एक ही गांव में रहते हैं तो ऐसे भी मेल-मिलाप हो ही जाता है।”
आपके इलाके में दुर्गापूजा का चलन कबसे शुरू हुआ? इसके जवाब में नन्हेश्वर कोरवा कहते हैं कि “यह सब 1987-88 से होना शुरू हुआ है। पहले राजा/जमींदार सब दुर्गापूजा करता था। लेकिन अब तो यह हर पंचायत में होने लगा है। जैसा कि मैंने पहले कहा कि गांव-समाज में सभी को एक साथ रहना है तो आदिवासी समाज के लोग भी इसमें अब शामिल हो जाते हैं। इसके अलावा वे चंदा भी जबरन वसूलते हैं। जैसे कि इस बार पाल्हे गांव में ही हर आदिवासी के घर से चार-चार सौ रुपए चंदा लिया गया। यदि किसी ने देने में असमर्थता जतायी तो उसे धमकी तक दी गई। किसी ने महुआ बेचकर तो किसी ने खस्सी बेचकर चंदा दिया।”
अब क्या करेगा कोरवा समाज?
नन्हेश्वर कोरवा कहते हैं कि इस पूरे मामले में पुलिस की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है। मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि वह रसूखदार है। यदि जल्द ही तमाम दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो जिला कार्यालय का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा हम पूरे गढ़वा जिले में अपने समुदाय के बीच इसक प्रचार-प्रसार करेंगे कि जो हमें अछूत मानते हैं तथा अपने देवी-देवताओं से दूर रखते हैं, हम उनसे संबंध नहीं रखेंगे और उनके देवी-देवतओं की पूजा नहीं करेंगे।
(संपादन : नवल/अनिल)
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