हाल के वर्षों में कई दलित प्रोफ़ेसर मिथकों पर अकादमिक टिप्पणी के चलते संस्थानिक, प्रशासनिक, सामाजिक यातना के शिकार हुए हैं। ताजा मामला इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के आधुनिक एवं मध्यकालीन इतिहास विषय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. विक्रम हरिजन से जुड़ा हुआ है। ये वही डॉ. विक्रम हरिजन हैं, जिन्होंने पूर्वांचल के इलाकों में मृत्युभोज के खिलाफ आंदोलन चला रखा है। इसके अलावा विश्वविद्यालयों में छात्रों से लिये जाने वाले शुल्क में वृद्धि के सवाल पर भी इन्होंने आगे बढ़कर मुखालिफत की।
विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागरण मंच और बजरंग दल की संयुक्त शिकायत पर गत 22 अक्टूबर, 2023 की शाम उनके खिलाफ़ केस दर्ज़ किया गया है। विहिप के जिला संयोजक शुभम की तहरीर पर कर्नलगंज थाने में उनके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने) और 295ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) और सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून की धारा 66 के तहत प्राथमिकी दर्ज़ की गई है।
प्रयागराज जिले के डीसीपी सिटी दीपक भूकर ने मीडिया को दिए बयान में बताया है कि 22 अक्टूबर को वादी के तहरीर के आधार प्रोफ़ेसर विक्रम के ख़िलाफ़ प्रयागराज जिले के कर्नलगंज थाने में सुसंगत धाराओं में अभियोग दर्ज़ कर लिया है। इनके द्वारा ‘एक्स’ पर कुछ अशोभनीय टिप्पणियां की गई थी। आगे पुलिस वैधानिक कार्रवाई करेगी।
वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के दक्षिणपंथी छात्र और कुछ बाहरी तत्व सार्वजनिक तौर पर डॉ. विक्रम को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ़ नफ़रती मुहिम छेड़ी गई है। जबकि उन्होंने जो टिप्पणी की है, उससे संबंधित विचार जोतीराव फुले से लेकर पेरियार और डॉ. आंबेडकर की रचनाओं में आया है।
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दरअसल 22 अक्टूबर की सुबह उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि “यदि आज प्रभु श्रीराम होते तो मैं ऋषि शंबूक का वध करने के लिए उनको आईपीसी की धारा-302 के तहत जेल भेजता। यदि आज कृष्ण होते तो महिलाओं के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट के लिए उनको भी जेल भेजता।”
उनके इसी बयान को लेकर ही बवाल मचा हुआ है और दक्षिणपंथी गिरोह ने उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज करवाया है।
प्रोफ़ेसर विक्रम बताते हैं कि वो क्लास में बच्चों को मार्जिनल हिस्ट्री पढ़ाते हैं। इसमें वो धर्म और सीमांत समुदाय के संबंध को पढ़ाते हैं। इसके अंतर्गत मनुस्मृति, रामचरित मानस जैसे तमाम धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाते हैं। ऐसे ही एक दिन एम.ए. की क्लास में छात्रों को पढ़ाते समय सवाल आया कि ऑटोक्रेसी (एकतंत्र) सरकार के क्या फायदे नुकसान है और डेमोक्रेसी (जनतंत्र) सरकार के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं। क्लास में बच्चों को समझाते समय उन्होंने ये उदाहरण दिया था यदि आज के लोकतांत्रिक समय व्यवस्था में राम और कृष्ण होते तो उन पर आज के क़ानून के मुताबिक कार्रवाई होती। और फिर इसी बात को क्लास से बाहर ले जाते हुए उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर भी लिख दिया।
प्रो. विक्रम ने कहा कि यह सब उन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर की किताब ‘रिडल्स इन हिंदुज्म’ का संदर्भ देते हुए छात्रों को बताया और सोशल मीडिया पर लिखा है। वे आगे कहते हैं कि उन्होंने बच्चों में विज्ञान और तार्किकता की सोच बढ़ाने के लिए ही ऐसा पोस्ट किया है। इस पोस्ट से अगर किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो इसके लिए वो माफ़ी मांगते हैं।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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