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Suresh Kumar

दलित आलोचना की कसौटी पर प्रेमचंद का साहित्य (संदर्भ : डॉ. धर्मवीर, अंतिम भाग)
प्रेमचंद ने जहां एक ओर ‘कफ़न’ कहानी में चमार जाति के घीसू और माधव को कफनखोर के तौर...
दलित आलोचना की कसौटी पर प्रेमचंद का साहित्य (संदर्भ : डॉ. धर्मवीर, पहला भाग)
डॉ. धर्मवीर को प्रेमचंद से यही तो अपेक्षा थी कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री की तरह वह भी ‘कफ़न’...
डॉ. धर्मवीर की नजर में दलितों का धर्म
डॉ. धर्मवीर न तो हिंदू धर्म को दलितों के लिए ठीक मानते हैं, न ईसाई, न मुसलमान और...
बाबासाहब के संदर्भ में अपना नजरियां बदलें द्विज स्त्रियां
वर्तमान में स्त्री चिंतन की बात की जाए तो कहीं ना कहीं उच्च श्रेणी की स्त्रियां डॉ. आंबेडकर...
जातिवादी मुखौटों की शिनाख़्त करतीं असंगघोष की कविताएं
असंगघोष का कविकर्म सामाजिक गलियारों में फैली जातिवादी सड़ांध को उजागर करने का काम करता है। तथा कथित...
ब्राह्मणवादी निर्मितियों के विरुद्ध जोतीराव फुले की ‘गुलामगिरी’
‘गुलामगिरी’ किताब ब्राह्मणवादी निर्मितियों की पूरी श्रृंखला की बड़ी तीखी और बेबाक आलोचना करती है। यह किताब न...
ब्राह्मणवादी कारख़ाने के विरुद्ध फुले का ‘तृतीय रत्न’
फुले की यह रचना जहां एक तरफ पुरोहितों के छल-पाखंड और चीमड़पन का पर्दाफाश करती है। वहीं दूसरी...
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