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किताबें

सावित्रीबाई फुले की कविताओं के इतिहासपरक संदर्भ
सावित्रीबाई फुले की कुशाग्रता का परिचय इतिहास की उनकी गहरी समझ से मिलती है। उन्होंने शूद्र शब्द का अर्थ ‘मूलवासी’ बताया है। वह कहती हैं कि शूद्र भारत के मूलवासी हैं, जिन्होंने प्रारंभ में ईरानी-ब्राह्मणों...
हिंदुत्व मुक्त भारत की ओर
तेलुगु-भाषी क्षेत्र के अपने अध्ययन पर आधारित कांचा आइलैय्या शेपर्ड की यह मूल अंग्रेजी कृति ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया : अ डिस्कोर्स ऑन दलित-बहुजन, सोशियो-स्पिरिचुअल एंड साइंटिफिक रेवोलुशन’ के हिंदी अनुवाद का हिंदी भाषी दलित-बहुजन पाठकों के...
सावित्रीनामा : सावित्रीबाई फुले का समग्र साहित्यकर्म (जोतीराव फुले के भाषण सहित)
सावित्रीबाई फुले के साहित्य का यह संकलन ‘काव्यफुले’ (1854) से शुरू होता है, जिसके प्रकाशन के समय वे मात्र 23 वर्ष की थीं और इसका अंत ‘बावन्नकशी सुबोध रत्नाकर’ (1892) से होता है। इन दो...
कबीर और कबीरपंथ
कुल ग्यारह अध्यायों में बंटी यह पुस्तक कबीर के जन्म से लेकर उनके साहित्य, कबीरपंथ के संस्कारों, परंपराओं और कर्मकांडों आदि का प्रामाणिक ब्यौरा तो प्रस्तुत करती ही है, कबीर से प्रेरित अन्य संप्रदायों की...
आंबेडकर की नजर में गांधी और गांधीवाद
जिस समतामूलक समाज की परिकल्पना डॉ. आंबेडकर ने की थी, वह साकार नहीं हो सकी है। इसके पीछे...
गुलामगिरी : ब्राह्मणवाद की आड़ में (मूल मराठी से अनूदित व संदर्भ-टिप्पणियों से समृद्ध)
‘गुलामगिरी’ जोतीराव फुले द्वारा लिखित बहुजनों की मुक्ति का घोषणापत्र के समरूप किताब (मूल मराठी से अनूदित व...
हिंदू धर्म की पहेलियां : बहुजनो! जानो ब्राह्मणवाद का सच
डॉ. आंबेडकर द्वारा हिंदू धर्म की हकीकत बताने वाली अंतिम किताब (एनोटेटेड संस्करण) खास आपके लिए ही है।...
भारतीय कार्यपालिका में सामाजिक न्याय का संघर्ष : अनकही कहानी, पी. एस. कृष्णन की जुबानी
मंडल कमीशन कैसे लागू हुआ? एससी-एसटी एक्ट कैसे बना? इसके अलावा दलित-बहुजनों के हितार्थ कानूनों के बनने की...
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