सावित्रीबाई फुले ने अपने पति जोतीराव फुले के समाज सुधार के काम में उनका पूरी तरह सहयोग देते हुए एक परछाईं की तरह पूरे लगन और समर्पण के साथ काम की शुरुआत की, लेकिन इस...
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन दृष्टि को व्यवस्थित और व्यापक तौर इतिहास में वह जगह भी...
अंग्रेज किसानाें को तीनकठिया प्रथा के तहत एक बीघे यानी बीस कट्ठे में तीन कट्ठे में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे। लेकिन पंडुई के जमींदार किसानों को प्रति बीघा पांच कट्ठे...
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी और वर्ण-जातिवादी हिंदू धर्म और भारतीय इस्लाम के विकल्प के रूप...