कुल समाज जब गणराज्य के रूप में संगठित हुआ, तब उस समय गणों के सभागृह में सबसे पहले जिस कानून का मंजूरी दी गई, वह कुल बाह्य विवाह का कानून था। इस प्रकार भारतीय मूलनिवासी...
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ जैसी तमाम उक्तियों को ढाल बनाकर अक्सर ब्राह्मणवादी वाङ्मय में व्याप्त उन तमाम सामाजिक असमानताओं को ढंकने का फूहड़ प्रयास किया जाता रहा है, जो कि भारतीय सामाजिक ढांचे को बिगाड़ती रही हैं।...
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ जैसी तमाम उक्तियों को ढाल बनाकर अक्सर ब्राह्मणवादी वाङ्मय में व्याप्त उन तमाम सामाजिक असमानताओं को ढंकने का फूहड़ प्रयास किया जाता रहा है, जो कि भारतीय सामाजिक ढांचे को बिगाड़ती रही हैं।...
महुआ डाबर पहुंचे बुनकरों में कुछ ऐसे भी थे, जिनके पूर्वजों के हाथ अंग्रेजों ने काट डाले थे। उनके मन में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था। इसलिए 1857 में विद्रोह की चिंगारी जब महुआ डाबर...